न्यूज़

Custom Duty: कस्टम ड्यूटी क्या होती है? कस्टम ड्यूटी क्यों लगायी जाती है? कस्टम ड्यूटी के प्रकार

Custom Duty:- हम अपने दैनिक जीवन में बहुत सी वस्तुओ का इस्तेमाल करते है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सभी वस्तुए कहाँ बनायी जाती है। दुनिया का कोई भी देश दैनिक जीवन की समस्त वस्तुओ का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है। इसलिए सभी देश खाद्यान, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक, मैन्युफैक्चरिंग एवं तकनिकी वस्तुओ सहित सैकड़ो उत्पादों के विभिन्न देशो पर निर्भर रहते है। यहाँ तक की देश में निर्मित होने वाली वस्तुओ के लिए कच्चे माल का आयत भी अन्य देशो द्वारा होता है। इस प्रक्रिया को हम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापर में कस्टम ड्यूटी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तो चलिए जानते है Custom Duty क्या है ? यह क्यों लगायी जाती है और ये कितने प्रकार की होती है।

यह भी पढ़े :- ITR Deadline: टैक्सपेयर अब 31 अक्टूबर तक भर सकेंगे इनकम टेक्स रिटर्न, नहीं लगेगा कोई जुर्माना

Custom Duty क्या होती है ?

वर्तमान समय में पूरी दुनिया वैश्वीकरण के माध्यम से एक दूसरे जुड़े है। जिसका अर्थ है कि सम्पूर्ण दुनिया संचार, तकनीक, परिवहन, प्रौद्योगिकी एवं व्यापार में एक दूसरे से जुडी हुई है एवं एक दूसरे पर निर्भर है। सभी देश एक दूसरे के साथ व्यापार कर रहे है। व्यापार के लिए वस्तु को एक देश से दूसरे देश भेजने के लिए एक टैक्स देने होता है उसको को Custom Duty कहते है। भारत के बॉर्डर से प्रतिदिन लाखो की संख्या में माल देश जाता है और विदेश से माल आता है। जैसे ही वो सामान देश की सीमा पर पहुँचता है तो वहां पर कस्टम ड्यूटी विभाग के अधिकारी सामान पर उसके वजन और मूल्य के अनुसार Custom Duty लगाते है। इस टैक्स का भुगतान होने के बाद ही सामान को देश से सीमा से बाहर या अंदर किया जाता है। यानि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादों का जो भी आयत या निर्यात होता है तो उस पर जो टैक्स लगया है उसको ही कस्टम ड्यूटी कहते है। जिस प्रकार एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान लाने ले जाने के लिए GST का भुगतान करना होता है उसी प्रकार देश से बाहर सामान ले जाने के लिए Custom Duty का भुगतान करना पड़ता है।

कस्टम ड्यूटी क्यों लगायी जाती है?

Custom Duty लगाए जाने का प्रमुख कारण भारत के राजस्व में वृद्धि करना है। प्रतिदिन देश में लाखो उत्पादों का आयात, निर्यात होता है। ऐसे में उन वस्तुओ पर थोड़ा टैक्स लगाने से भारत के राजस्व में वृद्धि होती है। जिसका उपयोग देश के विकास के लिए किया जाता है।

कस्टम ड्यूटी के प्रकार

कस्टम ड्यूटी कई प्रकार की होती है। जो पूर्ण रूप से उत्पाद, निर्माण करने में लगे हुए सामान, उसकी स्थिति , मुल्य आदि चीजों पर निर्भर करता है। यहाँ आपको कस्टम ड्यूटी के सभी प्रकार के बारे में बताया जा रहा है।

  • बेसिक कस्टम ड्यूटी (Basic Custom Duty)

बेसिक कस्टम ड्यूटी के अंतर्गत वे कस्टम ड्यूटी आती है जो भारत सरकार के कस्टम एक्ट 1962 द्वारा निर्धारित की गयी है। भारत में आने या जाने वाले हर सामान पर बेसिक ड्यूटी लगायी जाती है हालाँकि ये कस्टम ड्यूटी किस सामान पर कितनी लगेगी यह अन्य कारको पर भी निर्भर करता है। बेसिक ड्यूटी सामान्यतः उन उत्पादों पर लगायी जाती है जिनका निर्माण भारत में संभव नहीं है या फिर जो सामान भारत में बहुत कम मात्रा में बनाया जाता है।

  • अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी या अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी या काउंटरवेलिंग ड्यूटी (Additional Customs Duty or Countervailing Duty)

अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी उन सामानो पर लगायी जाती है जिनका निर्माण भारत में हो रहा है और अन्य देश की कम्पनिया भी उसी तरह के अलग अलग सामान को भारत भिजवा रही है। जैसे हमारे देश में फ्रिज के कई ब्रांड है आपको बाजार में फ्रिज के भारतीय ब्रांड के साथ साथ विदेशी ब्रांड को देखने को मिलेंगे। ऐसे उत्पाद जिनका निर्माण पहले से ही भारत में हो रहा है और विदेशी कम्पनिया भी यहाँ अपना समान बेच कर लाभ कमाना चाहती है तो उनपर कस्टम ड्यूटी लगायी जाती है।

  • प्रोटेक्टिव ड्यूटी (Protective Duty)

प्रोटेक्टिव ड्यूटी उन वस्तुओ पर लगायी जाती है जो सामान बाहर देश से भारत में आ रहा हो। ऐसा तब किया जाता है जब भारत सरकार को घरेलु बाजार एवं कंपनियों को सहायता देनी हो। ऐसा भारत की कंपनियों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से और बाजार भाव समान्य रखने के उद्देश्य से किया जाता है।

  • सेफ़गार्ड ड्यूटी (Safeguard Duty)

यह कस्टम ड्यूटी उन सामानो पर लगायी जाती है जो सामान भारत से बाहर जा रहा है। हालाँकि ये कस्टम ड्यूटी हमेशा नहीं लगायी जाती इसको केवल विशेष परिस्थितियों में किया जाता है।

  • एजुकेशन सेस (Education Cess)

यह शिक्षा व्यवस्था के लिए भारत सरकार द्वारा लिया जाने वाला एक अतिरिक्त चार्ज होता है। यह वस्तु की कुल कीमत का 2% तक होता है जिसे हर किसी को चूका अनिवार्य है।

  • एंटी डंपिंग ड्यूटी (Anti Dumping Duty)

एंटी डंपिंग ड्यूटी बहुत सीमा तक प्रोटेक्टिव ड्यूटी के ही समान है। क्योंकि एंटी डंपिंग ड्यूटी भी किसी विदेशी ब्रांड की कीमत को भारतीय बाजार के समान्य लाने के लिए ली जाती है। यह तब लिया जाता है कब किसी विदेशी उत्पाद की कीमत भारतीय बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पादों की की तुलना में कम या अधिक हो।

सम्बंधित खबर

Leave a Reply

Back to top button
लहसुन दिलाएगा आपको फैट से राहत, तेजी से घटेगी पेट की चर्बी सोफिया अंसारी कौन है – Sofia Ansari Short Bio खाली पेट न करे इन 7 चीजों का सेवन, वरना हो सकती है आपकी सेहत ख़राब ज्यादा चीनी खाने से शरीर को हो सकते हैं ये 7 नुकसान बच्चे-बच्चे को पता होनी चाहिए अपने देश के बारे में ये 10 बाते