मूवी के पैन इंडिया फैन्स का मजा ख़राब कर रहे है ये क्लैश, इस साल आपसी तालमेल की काफी कमी दिखी

फिल्मो के इस आपसी तालमेल से दर्शको को भी फायदा होता है और उनको मनोरंजन के लिए बहुत से विकल्प मिल जाते है। दर्शक चाहे तो हर मूवी का मजा ले सकते है। किन्तु बीते साल में मूवी के ये आपसी तालमेल कम होने लगे है।

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Reported by Pankaj Yadav

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बाहुबली मूवी को मिली अपार कामयाबी के बाद साऊथ और बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में पैन इंडिया मूवी को बनाने का चलन काफी बढ़ा है। बीते साल में तो करीबन हर बड़ी मूवी को पैन इंडिया रिलीज़ के साथ ही लाया गया है। किन्तु अब इनकी संख्या इतनी अधिक हो गई है कि दर्शक के इनको देखने का स्कोप ही नहीं रह गया है।

जूनियर एनटीआर (N. T. Rama Rao Jr.) और राम चरण से जब कभी मूवी के आपसी प्रतिस्पर्धा को लेकर पूछा गया तो इनके जवाब यही थे कि इस समय फिल्म उद्योग अलग नहीं रह गए है। आज इस पॉइंट पर जोर दिया जा रहा है कि मूवी बॉलीवुड, टॉलीवुड या फिर कॉलीवुड की नहीं है बल्कि ‘इंडियन फिल्म इंडस्ट्री’ की है।

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एक इंडस्ट्री होने के बहुत फायदे

इस तरह की बात सुनने में अच्छी लगती और इसके इंडस्ट्री को लाभ भी काफी हो रहे है। ऐसे फिल्मो के लिए अच्छी प्रतिभाओ को आगे आने का अवसर मिल रहा है और मूवी के आपसी कॉम्पिटिशन से निर्मातों को अच्छा कलेक्शन भी मिल रहा है।

आपसी समझ का ही नतीजा है कि मूवी एक साथ रिलीज़ डेट के क्लैश से बचती है। इस प्रकार से क्लैश न होने के कारण सभी मूवी को पर्याप्त स्क्रीन मिल पाते है। फिल्मो के बाजार में बढ़ोत्तरी होती है और मूवी के अच्छा होने पर बॉक्स ऑफिस पर अच्छे कलेक्शन की गारण्टी भी मिलती है।

बड़ी मूवी को पर्याप्त मौके मिले

जिस वीक में RRR मूवी थिएटर में आई थी तो उस समय बॉलीवुड की कोई भी बड़ी मूवी उसके सामने नहीं थी। इसी तरह से बीते दिनों शाहरुख़ खान (Shah Rukh Khan) की जवान मूवी जिसमें साऊथ के ही प्रसिद्ध निर्देशक एटली, अभिनेत्री विजय सेतुपति थे, के रिलीज़ होने पर इसके सामने कोई साउथ की बड़ी मूवी नहीं थी।

तेलुगु मूवी से जुड़े राजामौली, जूनियर एनटीआर, रामचरण जैसे अभिनेताओं ने ‘ब्रह्मास्त्र’ को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रमोशन दिया तो तेलुगु की कोई भी सामने क्लैश के लिए नहीं थी।

इस साल आपसी तालमेल की कमी रही

फिल्मो के इस आपसी तालमेल से दर्शको को भी फायदा होता है और उनको मनोरंजन के लिए बहुत से विकल्प मिल जाते है। दर्शक चाहे तो हर मूवी का मजा ले सकते है। किन्तु बीते साल में मूवी के ये आपसी तालमेल कम होने लगे है। साऊथ की बहुत सी मूवी उत्तर भारत में रिलीज़ हुई तो कुछ बॉलीवुड मूवी साउथ में पहुँची लेकिन इन दोनों को ही खास लाभ नहीं हुआ। ऐसे में दर्शको को भी कुछ खास मजा नहीं मिल पाया।

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क्लैश का असर इन मूवी पर दिखा

रजनीकांत की जेलर का हिंदी वर्जन – साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत (Rajinikanth) सिर्फ साउथ में ही नहीं बल्कि हिंदी पट्टी में भी काफी लोकप्रिय अभिनेता है। इस साल भी उनकी बड़ी मूवी ‘जेलर’ का बॉलीवुड की बड़ी मूवी के साथ क्लैश देखने को मिला। जेलर मूवी को 10 अगस्त के दिन रिलीज़ करने का फैसला हुआ तो इसके अगले ही दिन ग़दर 2, ओएमजी 2 रिलीज़ होने के लिए शेड्यूल हो चुकी थी।

इस दशा में तय था कि रजनीकांत की इस बड़ी मूवी जेलर को उत्तर भारत में कम ही स्क्रीन मिलने थे। अनुमान के मुताबिक़ हुआ भी ऐसा ही, मुंबई में जेलर को 13 और दिल्ली ने इससे भी कम 5 ही शो मिल सके। ऐसी लिमिटेड स्क्रीन की उपलब्धता के बाद जेलर मूवी ने 7 करोड़ से ज्यादा का बिज़नेस किया था। OTT पर रिलीज़ होने के बाद ये भी तय हो गया कि इसका हिंदी वर्जन भी ठीक ही था।

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पोन्नियिन सेल्वन 1 – इसी प्रकार से मणिरत्नम की पोन्नियिन सेल्वन 1 (PS 1) ने भी बीते वर्ष हिन्दी वर्जन में अच्छी कमाई करके दिखाई। इस प्रकार से मूवी ने कम स्क्रीन एवं रिलीज़ के बाद भी 23 करोड़ की अच्छी खासी कमाई करके दिखाई थी। लेकिन इस साल मूवी का दूसरा पार्ट रिलीज़ हुआ किन्तु इसको हिंदी भाषी क्षेत्रों में कम प्रमोशन दिया गया। ऐसे में दर्शको को ज्यादा खबर न मिल पाने से कम ही फेन्स थिएटर में पहुँचते दिखे।

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