Hoysal Temple History: क्या है होयसल के मंदिर समूह UNESCO ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट में किया शामिल, जानें इसका इतिहास

विश्व धरोहर की सूची में कर्नाटक के होयसल मंदिर को 2022 -2023 में शामिल कर लिया है। 2014 से ही इस मंदिर को विश्व धरोवर में शामिल करने की बात की जा रही थी। कर्नाटक के तीन प्रसिद्ध मंदिर को यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोवरो की सूची में शामिल किया है।

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Reported by Sheetal

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Hoysal Temple History: भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर कर्नाटक राज्य में होयसल (Hoysal Temple) नाम से प्रसिद्ध मंदिर है। इस पवित्र मंदिर को समूह UNESCO ने वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल कर लिया है। विश्व की धरोवर में भारत की 42 वीं यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है।

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Hoysal Temple UNESCO World Heritage Site List

विश्व धरोहर की सूची में कर्नाटक के होयसल मंदिर को 2022 -2023 में शामिल कर लिया है। 2014 से ही इस मंदिर को विश्व धरोवर में शामिल करने की बात की जा रही थी। कर्नाटक के तीन प्रसिद्ध मंदिर को यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोवरो की सूची में शामिल किया है। होयसल वंश के तीन विश्व प्रसिद्ध मंदिर बेलूर (Belur), हालेबिडु (Halebeedu) और सोमनाथपुरा (Somnathpura) की चर्चा सभी जगह की जा रही है।

कर्नाटक के होयसल मंदिर विश्व के UNESCO World Heritage Site की सूची में शामिल

होयसल मंदिर का इतिहार (Hoysal Temple History)

होयसल के तीन प्राचीन मंदिरों को विश्व धरोवर में शामिल किया गया है, 12वीं -13 वीं सदी का यह पवित्र मंदिर है। जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के सभी दीवारों पर बारीकी से चित्रकला की गई है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर अलग -अलग तरह के चित्र जैसे – रामायण, महाभारत, भागवत पुराण, अन्य प्रमुख शैव और वैष्णव पुराणों का वर्णन करते हैं।

इस मंदिर का निर्माण काल 12 वीं शताब्दी का माना जाता है। मंदिर का पूरा आकार एक सितारे के समान दिखाई देता है। कभी होयसल वंश की राजधानी हुआ करती थी। इस राजवंश को कला और साहित्य का संरक्षक माना जाता है। इस पुरातत्विक सम्पति/मंदिर की देख-भाल ASI करता है। मंदिर का पूरा निर्माण होयसल (Hoysal) राजा द्वारा काले उत्तम पत्थरों से बनवाया गया था। जो अभी तक ऐसा का ऐसा ही देखता है।

मंदिर की संरचना (structure)

कर्नाटक के हालेबिदु स्थान पर हिन्दू धर्म का आकर्षित होयसल मंदिर स्थित है। जिसे आकर्षित करने के लिए ऐसी वास्तु कला एवं संरचना और पौराणिक तरीकों का उपयोग किया गया है, जिसे देख कर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। मुख्य रूप से यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसके अलावा मंदिर के अंदर लगभग 250 से अधिक अलग -अलग देवी -देवताओं की मूर्तियां स्थापित है। मंदिर के एक भाग में शंकर और नन्दी की बड़ी प्रतिमा बनी हुई है।

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