किसी भी रिश्ते में शारीरिक संबंध एक महत्वपूर्ण पहलू होते हैं। ये प्यार और विश्वास को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि पत्नी का संबंध बनाने से इनकार करना मानसिक क्रूरता है।
इस मामले में, एक शख्स ने याचिका दायर की थी कि उसकी शादी के बाद से उसकी पत्नी संबंध बनाने से इनकार कर रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने पत्नी से कई बार बात की, लेकिन वह नहीं मानी। इसके बाद उसने कोर्ट की शरण ली। आइए जानते हैं इस पूरे मामले को।
क्या है मामला?
यह फैसला एक पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया था। पति ने याचिका में कहा था कि उसकी पत्नी शादी के बाद से ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से मना कर रही है। पति ने यह भी बताया कि उसकी पत्नी ने उसे धमकी दी है कि वह आत्महत्या कर लेगी और उसके साथ-साथ उसके माता-पिता के खिलाफ भी झूठा मुकदमा दर्ज कराएगी।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि पत्नी का यह व्यवहार पति के लिए मानसिक क्रूरता है। कोर्ट ने कहा कि शारीरिक संबंध एक विवाह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस तरह का व्यवहार पति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए पत्नी को तलाक देने का आदेश दिया।
कोर्ट से क्या सुनाया फैसला?
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि पत्नी का यह व्यवहार पति के लिए मानसिक क्रूरता है। कोर्ट ने कहा कि शारीरिक संबंध एक विवाह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस तरह का व्यवहार पति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए पत्नी को तलाक देने का आदेश दिया।
फैसले से मिलेगी राहत
इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि पत्नी द्वारा पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना तलाक का एक वैध आधार हो सकता है। इस फैसले से उन पति-पत्नी को राहत मिलेगी, जिनकी पत्नियां उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती हैं।
इस फैसले के बाद, ऐसे मामलों में तलाक के लिए पति को यह साबित करना होगा कि पत्नी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार किया था। इसके अलावा, उसे यह भी साबित करना होगा कि पत्नी का यह व्यवहार उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा था।
यह फैसला एक महत्वपूर्ण फैसला है, जो शादी में शारीरिक संबंध के महत्व को रेखांकित करता है। यह फैसला उन पति-पत्नी के लिए एक राहत है, जिनकी पत्नियां उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती हैं।