लोकसभा में दो तिहाई बहुमत के साथ महिला आरक्षण बिल पारित हुए, बिल के पक्ष में 454 और विरोध में केवल 2 वोट पड़े

पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी इस बिल के पारित होने पर एक्स पर पोस्ट लिखा - 'इस अभूतपूर्व समर्थन के साथ लोकसभा में बिल पारित होने पर ख़ुशी हुई।'

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Reported by Pankaj Yadav

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लोकसभा एवं राज्यसभा की सीटों में 33% आरक्षण का महिला आरक्षण बिल दो तिहाई वोटिंग से पास हुआ है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम के इस बिल के समर्थन में 454 मतदान पड़े किन्तु विरोध में सिर्फ 2 ही वोट आए। पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी इस बिल के पारित होने पर एक्स पर पोस्ट लिखा – ‘इस अभूतपूर्व समर्थन के साथ लोकसभा में बिल पारित होने पर ख़ुशी हुई।’

भारत में बीते 27 वर्षों में इस महिला आरक्षण बिल पर काफी बार चर्चा तो हुई है किन्तु ये कभी भी पास न हो सका। किन्तु बुधवार का दिन संसद के लिए ऐतिहासिक रहा चूँकि इस दिन महिला आरक्षण का बिल (Women’s Reservation Bill) लोकसभा में भारी बहुमत से पारित हुआ। देश की विधानसभाओ में महिलाओं को 33 फ़ीसदी रिज़र्वेशन देने वाल ये बिल लोकसभा में पहली दफा पास हुआ है।

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अब राज्यसभा में बिल प्रस्तुत होगा

2 दिनों के वाद-विवाद होने के बाद महिला आरक्षण बिल पर अंतिम स्वीकृति बन ही गई। अब 21 सितम्बर के दिन राज्यसभा में इस बिल को प्रस्तुत किया जायेगा। लोकसभा में बहस के दौरान महिला बिल के समर्थन में 454 मत आए जबकि 2 मत AIMIM पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन औवेसी और उनके ही नेता इम्तियाज़ जलील ने किये।

इस प्रकार से बहुत चर्चित महिला आरक्षण बिल को लोकसभा के अधिकांश पार्टियों का समर्थन ही प्राप्त हुआ। लोकसभा में पहले दिन की बहस में विरोधी पार्टियों ने इस बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए रिजर्वेशन होने एवं परिसीमन को हटाकर कानून बनाने की माँगे रखी थी।

बिल का श्रेय लेंगे की कोशिशे

वही अब महिला आरक्षण बिल को लेकर क्रेडिट लेने की कोशिशे भी जारी है। कॉंग्रेस पार्टी ने इस बिल को दिवंगत राजीव गाँधी का सपना कहा तो टीएमसी ने इसको ममता बनर्जी को बिल की जननी कहा। वैसे सदन में सभी दल बिल के समर्थन में ही दिखे। पीएम मोदी ने भी एक्स के माध्यम से लोकसभा में संविधान विधेयक 2023 (128वां संशोधन) पास होने पर प्रसन्नता दिखाई।

प्रक्रिया पूर्ण होने में इतना समय लगेगा – अमित शाह

विपक्ष की ओर से इस कानून के जल्दी लागु न होने के आरोप पर गृह मंत्री अमित शाह ने संवैधानिक प्रावधानों की बात कहकर सभी पार्टियों से इस बिल को अपना समर्थन देने की माँग की। शाह के मुताबिक़ जनगणना के बगैर एवं परिसीमन के बिना सीटों को आरक्षित नहीं कर सकते है। शाह ने ये भी इशारा दिया कि इस कानून को 2029 से पहले मान्य नहीं कर पाएंगे।

बिल का क्या प्रभाव होगा?

लोकसभा एवं विधानसभाओ में एससी-एससी वर्ग की सीट रिज़र्व है लेकिन अब इनमे से 33 फ़ीसदी सीट महिला उम्मीदवार रिज़र्व रहेगी। अभी लोकसभा की कुल सीटों में से SC-ST वर्ग के लिए 131 सीट रिज़र्व की गई है। अब बिल पारित होने बाद से इनमे से 43 सीट महिला उम्मीदवार के लिए रहेगी। इन सीटों को सदन में कुल सीट के एक भाग की तरह माना जाएगा।

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बिल के लिए आगे की प्रक्रिया

अभी संसद के दोनों सदनों (लोकसभा एवं राज्यसभा) में इस बिल को दो तिहाई मत से पास होना है। फिर जनगणना के बाद परिसीमन के काम शुरू होंगे। परिसीमन में दोनों सदनों के क्षेत्रों की आबादी के डेटा के अनुसार सीमाएँ निर्धारित होगी। अंतिम बार देशभर में परिसीमन 2002 में किया गया था जोकि साल 2008 में मान्य हुआ था।

महिला आरक्षण का ये बिल परिसीमन का काम पूर्ण होने एवं दोनों सदनों के भंग होने के बाद ही प्रभाव में आ पायेगा। इस प्रकार से अनुमान है कि साल 2024 के लोकसभा इलेक्शन से पूर्व ये बिल मान्य नहीं हो पायेगा। फिर भी मान्य होने के 15 वर्ष तक ही ये प्रभावी रहने वाला है। एससी-एसटी आरक्षण की सीटों को भी एक बार में सिर्फ 10 वर्षों के लिए बढ़ा सकते है।

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