सरकारी पेंशनभोगियों के लिए बड़ी खुशखबरी! 15 साल के बजाय 12 साल में पूरी पेंशन का प्रस्ताव

केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों ने कम्युटेशन बहाली की अवधि को 15 साल से घटाकर 12 साल करने की मांग की है। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के बाद इस मांग को बल मिला है। राष्ट्रीय परिषद जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने इसे प्रमुखता से सरकार के समक्ष रखा है।

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Reported by Sheetal

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सरकारी पेंशनभोगियों के लिए बड़ी खुशखबरी! 15 साल के बजाय 12 साल में पूरी पेंशन का प्रस्ताव
Commutation period may be reduced from 15 years to 12 years

केंद्र सरकार के समक्ष पेंशनभोगियों ने कम्युटेशन बहाली की अवधि को मौजूदा 15 साल से घटाकर 12 साल करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। यह मांग पेंशनभोगी संघों द्वारा लंबे समय से की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए इस प्रस्ताव में JCM स्टाफ साइड के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने पेंशनभोगियों से संबंधित सभी लंबित मुद्दों का उल्लेख किया है। प्रमुख मांग यह है कि कम्युटेशन बहाली की अवधि 15 साल से घटाकर 12 साल की जाए।

राष्ट्रीय परिषद जेसीएम, पेंशनभोगियों की सभी मांगों को केंद्र सरकार के समक्ष रखने का कार्य करता है। यह मंच पेंशनभोगियों के मुद्दों को सीधे कैबिनेट सचिव के स्तर पर उठाता है। सरकार भी ज्यादातर इस यूनियन की मांगों को स्वीकार करती है। सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा है कि राष्ट्रीय परिषद (JCM) के सचिव के रूप में यह उनका कर्तव्य है कि वे पेंशनभोगियों के इस मुद्दे को गंभीरता से सरकार के समक्ष रखें।

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क्या है कम्युटेशन?

रिटायरमेंट के समय केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पास अपनी पेंशन का 40% हिस्सा बेचने का विकल्प होता है। इसके बदले उन्हें एकमुश्त धनराशि का भुगतान सरकार की तरफ से किया जाता है, लेकिन इसकी वसूली हर महीने उनकी पेंशन में से की जाती है, जो कि 15 साल तक चलती है। यदि कर्मचारी कम्युटेशन कराते हैं, तो उन्हें एक साथ पैसा मिलता है, लेकिन उनकी पेंशन में से हर महीने कटौती होती है और यह कटौती पूरे 15 साल तक चलती है।

यदि सेवानिवृत्त व्यक्ति सेवानिवृत्ति के एक साल के भीतर पेंशन कम्युटेशन का विकल्प चुनता है, तो उसे किसी चिकित्सीय परीक्षण से नहीं गुजरना पड़ता है। लेकिन यदि यह सुविधा एक साल बाद ली जाती है, तो उसे मेडिकल टेस्ट से गुजरना होता है।

हाईकोर्ट का निर्णय और उसकी प्रभाव

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के बाद पेंशनभोगियों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूकता मिली है। हाईकोर्ट ने कहा था कि कम्यूटेशन की वास्तविक रिकवरी 10 साल 8 महीने में पूरी हो जाती है, इसलिए 15 साल तक रिकवरी करने का कोई औचित्य नहीं है। हाईकोर्ट ने आगे की रिकवरी पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद हरियाणा के वित्त विभाग ने पेंशनभोगियों की रिकवरी पर रोक लगा दी।

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पेंशनभोगियों को मिलेगा उनका हक

इसके बाद विभिन्न कोर्टो के माध्यम से पेंशनभोगी अपनी रिकवरी को रोकने में सफल हो रहे हैं। उसी कड़ी में अब राष्ट्रीय परिषद जेसीएम स्टाफ साइड के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने इस मांग को प्रमुखता से सरकार के समक्ष रखा है। पेंशनभोगियों को उम्मीद है कि सरकार इस जायज मांग को पूरा करेगी। केंद्र सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एक सर्वसामान्य आदेश जारी करे ताकि पेंशनभोगियों को न्याय मिल सके।

अन्य मुद्दों का उल्लेख

इसके साथ ही स्टाफ साइड की तरफ से कुछ और मुद्दों का भी प्रस्ताव केंद्र सरकार को सौंपा गया है, जिसमें पेंशनभोगियों की पेंशन को आयकर से मुक्त करने और सीनियर सिटीजन को रेलवे किराए में फिर से छूट देने की मांग प्रमुख रूप से शामिल हैं।

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