World War 3: तीसरे विश्व युद्ध की आहट? छिड़ी एक और जंग, समझें- क्यों भिड़े ये मुल्क

World War 3: अभी रूस और यूक्रेन युद्ध पूरी तरह से नहीं रुका है कि दो अन्य देशो के बीच युद्ध शुरू होने की खबरे है। यह युद्ध 13 सितम्बर की सुबह अर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia and Azerbaijan) नाम के देशों के बीच हुई है। खबरे आ रही है कि दोनों देशों की सीमा पर ... Read more

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Reported by Pankaj Yadav

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another war broke out, understand why this country clashed

World War 3: अभी रूस और यूक्रेन युद्ध पूरी तरह से नहीं रुका है कि दो अन्य देशो के बीच युद्ध शुरू होने की खबरे है। यह युद्ध 13 सितम्बर की सुबह अर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia and Azerbaijan) नाम के देशों के बीच हुई है। खबरे आ रही है कि दोनों देशों की सीमा पर तेज़ी से हमले हो रहे है। इन हमलों में अजरबैजान के बहुत से सैनिकों के मरने की खबरे है। साथ ही अर्मेनिया अपने 49 सैनिको के मरने की बात कहा रहा है।

World War 3

दरअसल अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच इससे पहले साल 1980 में युद्ध हुआ था। दोनों ही देश सोवियत शासन का हिस्सा थे। अर्मेनिया की सेना के तक Nagorono-Karabakh के स्वास्थ्स क्षेत्र (बड़े समय तक विश्वभर में अजरबैजान का भाग माना जाता था) पर कब्ज़ा कर लिया था।

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अजरबैजान सेना ने आधी रात के बाद हमला किया

वैसे तो अभी तक दोनों देश युद्ध के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे है। अलजज़ीरा चैनल की रिपोर्ट में अर्मेनिया की रक्षा मंत्रालय की ओर से बयान आया है कि अजरबैजान ने ‘इंटेंसिव शेलिंग’ की थी। यह हमला गोरिस, सोक और जुर्मुक शहरों की ओर किया गया था। इस तरफ अर्मेनिया की सेना तैनात रहती है। इस हमले में अजरबैजान की आर्मी ने ड्रोन और आर्टिलरी, बड़े कैलिबर फायरआर्म्स को प्रयोग किया। इसके जवाब में अर्मेनिया के सैन्य बल ने भी कड़ी कार्यवाही की।

आर्मेनिया के पीएम ने पुतिन और मेक्रो से बात की

प्रधानमंत्री निकोल ने देर रात को रुसी राष्ट्रपति पुतिन से फ़ोन पर बात की। अजरबैजान के साथ दुश्मनी पर बात करने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मेक्रो से फ़ोन पर चर्चा भी की। आर्मीनिया का नजदीकी रूस पर दोनों देशों की मध्यस्थता की जिम्मेवारी है।

दोनों देशों के लिए यह कोई पहला अवसर नहीं है जब ये दोनों आमने सामने आये हो। बीते हफ्ते में अर्मेनिया ने अजरबैजान पर अपने सैनिक को सीमा पर हमले में मार डालने का आरोप लगाया था। साल 2020 में नागोरनो-करबाख भाग के लिए दोनों देशों में लड़ाई हो चुकी है।

लड़ाई का पुराना इतिहास

दोनों देशो के बीच साल 1980 में भीषण युद्ध लड़ा जा चुका है वो समय सोवियत रूस (USSR) का था। तब बड़ी आबादी में आर्मीनिया के लोग स्वास्थ्स क्षेत्र में मौजूद थे। इस जंग के बाद यहाँ करीब 30 हजार लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी थी।

अब 2022 में जो जंग हुई है इसमें अजरबैजान ने इस भाग को “रसियन-ब्रोकेरेड ट्रूस” के साथ कब्ज़ा लिया। खबरों के मुताबित 6 हफ़्तों तक चलने वाली इस जंग में लगभग 3200 लोगों ने अपनी जान गवा दी। दोनों देशो के नेताओं की और से शांति की दिशा में बढ़ने के लिए भी कई बैठके हुई है। लेकिन इन मीटिंग का कुछ खास असर होता नहीं दिख रहा है।

दोनों देशों के मुखिया करेंगे शांति संधि

मई एयर अप्रैल में ब्रसल्स में EU (यूरोपीय यूनियन) की मध्यस्थता के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद अजरबैजान के प्रेजिडेंट इल्हाम ऑलिव और अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान आने वाले समय में पीस ट्रीटी (शांति स्थापित करें वाली संधि) के लिए राजी हुए थे।

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