अब पुराने संसद भवन का अब क्या होगा: पिछले साल 28 मई 2023 को भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया था। पुराने संसद भवन से विदा होने के समय प्रधानमंत्री काफी भावुक हो गए। क्योकि यह संसद 97 वर्षो तक राजनीतिक इतिहास का गवाह था।
पुराने संसद में कार्यरत रह चुके कुछ हस्तियां जैसे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए धन्यवाद भी दिया। लेकिन अब कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि पुराने संसद भवन का अब क्या होगा। आगे विस्तार से जानते है।
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अब पुराने संसद भवन का क्या होगा
नए संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है, कई लोग यह सोच रहे है की पुराने संसद भवन को ध्वस्त कर दिया जाएगा। लेकिन सरकारी सूत्रों के अनुसार देश की पुरातात्विक सम्पति और सभ्यता को दर्शाने के लिए इस इमारत को ध्वस्त नहीं किया जायेगा। भविष्य में ऐतिहारिक संरचना का स्वरुप देखने के लिए इस भवन का संरक्षण किया जाएगा, संसदीय कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए फंक्शन स्पेस और भी बढ़ाया जाएगा।
संसद भवन का उद्घाटन
पुराना संसद भवन भारत स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की गवाही देना है। ऐतिहासिक सम्पति के रूप में पुराने संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को गया था। आजादी से पहले जब भारत देश पर ब्रिटिश हुकूमत का कब्ज़ा था जिस वजह से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति नहीं होते थे। हमारे देश पर 1926 से 1931 तक लॉर्ड इरविन का कब्ज़ा था। जो भारत के वायसराय थे।
जिस वजह से संसद भवन का उद्घाटन करने का सौभाग्य उन्हें ही मिला। ब्रिटिश सरकार लॉर्ड इरविन के द्वारा 18 जनवरी 1927 को पुराने संसद भवन का उद्घाटन हुआ था। उस समय इसे हाउस ऑफ पार्ल्यामेंट के नाम से जाना जाता था।
पुराने संसद का डिजाइन और लागत
एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा पुराने संसद का डिजाइन तैयार किया गया था। ब्रिटिश काल में संसद भवन तैयार होने में 83 लाख रुपए खर्च हुए थे। यह भवन 566 मीटर व्यास में बना था, लेकिन कुछ समय बाद वर्ष 1956 में संसद भवन में दो मंजिला बनाया गया। भवन का गोलाकार डिजाइन मध्यप्रदेश के मुरैना स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के अद्वितीय गोलाकार आकार के परिसर को देखकर तैयार किया गया।
- पुराने संसद भवन का निर्माण कार्य – 1921 से लेकर 1927 तक, 6 साल
- खर्च (लागत) – 83 लाख
- डिजाइन – एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा
- लोकसभा सीटे – 543
- राजयसभा सीट – 250
संसद भवन का रोचक इतिहास
- पुराने संसद भवन तीन खड़ो में विभाजित है लोकसभा, राज्यसभा और सेंट्रल हॉल।
- देश का संविधान लिखने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ था। देश में पहली बार 9 अगस्त 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक सेंट्रल हॉल में हुई थी।
- देश के पहले प्रधानमत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी द्वारा सेंट्रल हॉल में भाषण दिया गया।
- पुराने संसद भवन से लोगों की कई यादे बसी हुई है जैसे – 5 अगस्त 2019 को जम्मू -कश्मीर से अनुच्छेद 370 ख़त्म कर दिया गया। जो सभी लोगों के लिए हैरानी वाली बात थी। इसी के बाद जम्मू -कश्मीर और लद्दाख को दो अलग -अलग केंद्र शासित राज्य में गठन किया गया।
- ऐसे ही 30 जून 2017 को सभी वस्तु और सेवा पर GST लागू कर दिया गया। जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री जी द्वारा आधी रात के समय की गई और उसके दूसरे दिन 1 जुलाई से पुरे देश में GST का लागू कर दिया।
- 13 दिसंबर 2001 सुबह के समय संसद शीतकाल सत्र के दौरान संसद भवन पर आतंकियों द्वारा बम बरसाया गया था। जिसमे संसद के एक माली, दो सुरक्षाकर्मी और दिल्ली के 6 जवान शहीद हो गए। कुछ समय बाद आतंकियों को फांसी की सजा दी गई।