यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, भगवद गीता के अध्याय 4, श्लोक 7-8 का हिंदी में पूर्ण अर्थ के साथ श्लोक। पूरा मतलब हिंदी में जानें

वर्तमान समय से करीब 5168 वर्ष पूर्व गीता का ज्ञान बोला गया था। भगवद गीता के चौथे अध्याय का श्लोक 7-8 तो आपने अवश्य ही सुने होंगे लेकिन क्या आप उनका हिंदी में मतलब जानते है यदि नहीं तो आज हम आपको बताएँगे.

Photo of author

Reported by Sheetal

Published on

भगवद गीता हिन्दू धर्म की पवित्र पुस्तक है। महाभारत के शुरू होने से पहले श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे वे सभी उपदेश भगवद गीता में लिखित है। गीता में 18 अध्याय है और 700 श्लोक है। वर्तमान समय से करीब 5168 वर्ष पूर्व गीता का ज्ञान बोला गया था। भगवद गीता के चौथे अध्याय का श्लोक 7-8 तो आपने अवश्य ही सुने होंगे लेकिन क्या आप उनका हिंदी में मतलब जानते है यदि नहीं तो आज हम आपको बतायेगे भगवद गीता के अध्याय 4, श्लोक 7-8 (यदा यदा हि धर्मस्य) का हिंदी में पूर्ण अर्थ के साथ श्लोक पूरा मतलब :-

यह भी देखे :- सनातन धर्म पर स्टालिन ने सनातन धर्म पर बयान दिया, गृह मंत्री अमित शाह और RSS-VHP नेताओं का पलटवार

Table of Contents

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

भगवद गीता के अध्याय 4, श्लोक 7-8 का हिंदी में पूर्ण अर्थ के साथ श्लोक। पूरा मतलब हिंदी में जानें

अध्याय 4 के श्लोक 7-8 :-

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥

संबंधित खबर Diwali Date 2023: इस साल किस दिन है दिवाली? यहां देखें डेट और डेकोरेशन आइटम की लिस्ट

Diwali Date 2024: इस साल किस दिन है दिवाली? यहां देखें डेट और डेकोरेशन आइटम की लिस्ट

हिंदी में अर्थ :- श्री कृष्ण कहते है कि हे भारत में जब जब धर्म की हानि होगी और अधर्म की वृद्धि होगी तब तब मैं अपने स्वरुप को रचता हूँ मैं लोगो के सम्मुख प्रकट होता हूँ।

साधु पुरुषो का उद्धार करने के लिए और दुष्कर्मियों का विनाश करने के लिए धर्म की स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट होता हूँ।

श्लोक 7 का हिंदी शाब्दिक अर्थ

यदा= जब
यदा= जब
हि = वास्तव में
धर्मस्य = धर्म की
ग्लानि: = हानि
भवति = होती है
भारत = हे भारत
अभ्युत्थानम् = वृद्धि
अधर्मस्य = अधर्म की
तदा = तब-तब
आत्मानं = अपने रूप को रचता हूँ
सृजामि = लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ
अहम् = मैं

श्लोक 8 का हिंदी शाब्दिक अर्थ

परित्राणाय= साधु पुरुषों का
साधूनां = उद्धार करने के लिए
विनाशाय = विनाश करने के लिए
च = और
दुष्कृताम् = दुष्कर्म करने वालों का
धर्मसंस्थापन अर्थाय = धर्म की स्थापना करने के लिए
सम्भवामि = प्रकट हुआ करता हूँ
युगे युगे = युग-युग में

संबंधित खबर onam-festivals-events-2023-

Onam 2024: ओणम त्यौहार के मनाने का कारण और 10 दिनों से जुड़े तथ्य जाने, केरल के लोकप्रिय पर्व में से एक

Leave a Comment

WhatsApp Subscribe Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp