वित्त मंत्रालय की नयी रिपोर्ट में महँगाई से राहत मिलने के संकेत मिले, अभी महँगाई रिकॉर्ड स्तर पर

रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबली स्थिरता की कमी होने पर भी प्राइवेट सेक्टर की पॉवरफुल बैलेंसशीट, कैपिटल एक्सपेंडिचर में सरकार का बल एवं प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में वृद्धि से डोमेस्टिक इकोनोमिकल एक्टिविटी में गति बनी है।

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Reported by Sheetal

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मंगलवार को वित्त मंत्रालय की ओर से महंगाई को लेकर एक अच्छी खबर आ रही है। वित्त मंत्रालय ने देश में महँगाई को अस्थाई बताया है। मंत्रालय के अनुसार खाद्य पदार्थो की मुद्रास्फीति अस्थायी रह सकती है। लेकिन यह भी कहा है कि वैश्विक अनियमितता एवं घरेलू बाधाओं के कारण आने वाले माह में मुद्रास्फीति का प्रेशर रहने वाला है। किन्तु सरकार आने वाले दिनों में इतियात के फैसले लेकर और ताज़ा फसलों के आवक मूल्य में कमी होगी।

वित्त मंत्रालय ने चेतावनी के साथ अपनी रिपोर्ट दी है, जिसमे कहा है कि आने वाले माह में महँगाई का दबाव बढ़ेगा। इस तरह से केंद्र एवं आरबीआई दोनों को इसको लेकर अलर्ट रहना चाहिए। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले के डिपार्टमेंट ने जुलाई माह की आर्थिक रिपोर्ट जारी की है।

  • सिर्फ 48 खाद्य पदार्थो की मुद्रास्फीदी 6 फ़ीसदी से ज्यादा रही
  • 14 खाद्य वस्तुओं की महँगाई का आँकड़ा दोहरे अंको से ज्यादा रहा
  • टमाटर, हरी मिर्च, अदरक एवं लहसुन के मूल्य में 50 फ़ीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी हुई।

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महँगाई का खतरा बना हुआ है

रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबली स्थिरता की कमी होने पर भी प्राइवेट सेक्टर की पॉवरफुल बैलेंसशीट, कैपिटल एक्सपेंडिचर में सरकार का बल एवं प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में वृद्धि से डोमेस्टिक इकोनोमिकल एक्टिविटी में गति बनी है। किन्तु ग्लोबल बाधाओं सहित डोमेस्टिक वजह से महँगाई में वृद्धि के आसार है और यह भारत की सूक्ष्म अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौती उत्पन्न कर सकती है।

कम बारिश से चिंता और बढ़ी

रिपोर्ट में अगस्त माह के मानसून में कम वर्षा को भी चिंता का विषय बताया है। साथ ही कहा है कि घरेलु खपत और निवेश में तेज़ी होने से आर्थिक गति बनी रहेगी। साथ ही ग्लोबल एवं रीज़नल अस्थिरता से डोमेस्टिक लेवल पर पूर्ति में परेशानी के कारण महँगाई बनी रहेगी। इन तथ्यों को लेकर सरकार और RBI को काफी अलर्ट रहने की बात कही है।

आने वाले महीने में सब्जियों के दाम कम होंगे

आरबीआई की ब्याज दर निर्धारण कमेटी में इस माह के प्रारम्भ में नीतिगत दरों में बदलाव न करने का निर्णय लिया था। MPC ने ये तय करने हेतु समायोजन को वापिस लेने पर ध्यान लगाया था कि मुद्रास्फीति विकास को समर्थन देते हुए टारगेट के साथ उत्तरोत्तर संरेखित हो। MPC ने आने वाले माह में सब्जियों के मूल्य ठीक होने की आशा की है। किन्तु मौषम में परिवर्तन एवं ग्लोबल खाद्य मूल्यों में दृढ़ता से डोमेस्टिक खाने के सामान में अनिश्चितता रहने को भी मार्क किया है।

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पूंजीगत खर्च वृद्धि से प्राइवेट इन्वेस्टमेंट बढ़ा

रिपोर्ट के अनुसार, ‘सरकार ने पूंजीगत व्यय में प्रावधानों में वृद्धि करने से प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में वृद्धि हो रही है। उद्योगों की रिपोर्ट्स इसके लिए समर्थन देते है। ग्लोबल लेवल पर इंडस्ट्रियल पॉलिसी के चलते संभावनाओं को अधिक बल करने हेतु बाहरी क्षेत्र को देखरेख की जरूरत है। सर्विस सेक्टर का इम्पोर्ट निरंतर अच्छे परिणाम दे रहा है।

वित्तीय साल 2024 की प्रथम तिमाही में प्रदेशों के पूंजीगत खर्च में वार्षिक आधार पर 74.3 फीसदी की बढोत्तरी हुई है। इससे इसी तिमाही में केंद्र के पूंजीगत खर्च में 59.1 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी का पूरक है।

मूल्यों का दबाव जल्दी कम होगा

वैसे महँगाई की दर पिछले 39 माह में अपने न्यूनतम स्तर यानी 4.9% पर है। मिनिस्ट्री की ओर से बताया गया कि अनाज, दालों एवं सब्जियों के मूल्य में पिछले वर्ष के जुलाई माह में इस वर्ष के माह में दोहरे अंक की वृद्धि हुई है। डोमेस्टिक प्रोडक्शन में बाधा से भी महँगाई पर दबाव वृद्धि हुई है। लेकिन खाने की वस्तुओ पर दबाव के अस्थाई होने के अनुमान है। मिनिस्ट्री के मुताबिक टमाटर, हरी मिर्च, अदरक वाम लहसुन इत्यादि चीजों के मूल्य 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ें।

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