High Court ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि सिर्फ बेटा होने से पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता है। इसके लिए बेटे को यह साबित करना होगा कि वह पिता का भरण-पोषण और देखभाल करता था।
हाई कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि सिर्फ बेटा होने से पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता है। बेटे को यह साबित करना होगा कि वह पिता का भरण-पोषण और देखभाल करता था। तो चलिए जानते हैं इसे पूरे मामले को।
सिर्फ बेटा होना पिता की संपत्ति पर हक जताने का आधार नहीं है
हाल है में एक गेस्ट हॉउस के मालिक आर.पी.रॉय ने कोर्ट में अपनी याचिका दी है जिसमें उन्होंने बताया की उनके सबसे छोटे बेटे ने जबस्दस्ती उनके गेस्ट हॉउस के तीनों कमरों में अपना अधिकार जमाने के लिए कब्ज़ा कर दिया है। इस कारण उन्हें काफी समस्या हुई है एक तो रहने की दिक्कत हो रही है और दूसरा उन्हें आय की समस्या झेलनी पड़ रही है जो वह लोगों को किराये में देकर पूरा करते थे। रॉय के आरोपों के पश्चात ट्रिब्यूनल ने बेटे के खिलाफ बेदखली का आदेश लागू कर दिया है, इसमें साफ-साफ बताया गया है की रॉय ने यह सम्पति अपने पट्टे पर खरीदी है, जो कानून के तहत सीनियर सिटीजन हैं।
बेटे को देना होगा किराया
हाई कोर्ट का यह फैसला वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह फैसला यह भी स्पष्ट करता है कि सिर्फ बेटा होने से किसी को माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता है। उन्होंने कहा की बेटे के पास आय के अन्य श्रोत भी हैं। यह सम्पति सयुंक्त परिवार की है। अतः उसका किसी भी प्रकार का हक नहीं लगता है। हाईकोर्ट ने बेटे की बेदखली के लिए ट्रिब्यूनल के आदेश को खारिज किया तथा मामला संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को भेज दिया, जिससे वह तय करेंगे की जिन कमरों में बेटे ने कब्ज़ा किया है उसका कितना किराया देना होगा। कमरों का सम्पूर्ण किराया बेटे को अपने पिता के खाते में ट्रांसफर करना होगा।