स्वच्छ भारत मिशन के तहत, भारत सरकार द्वारा हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता है। इस सर्वेक्षण में देश के सभी शहरों को स्वच्छता के आधार पर रैंकिंग दी जाती है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में, उत्तर प्रदेश का सबसे साफ सुथरा शहर नोएडा रहा है। नोएडा को इस सर्वेक्षण में फाइव स्टार रैंकिंग मिली है। नोएडा को यह रैंकिंग लगातार दूसरी बार मिली है। आइए जानते हैं इस पूरी खबर को।
ऑल इंडिया रैंकिंग में नोएडा को मिला 14वां स्थान
भारत सरकार के आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता है। इस सर्वेक्षण में देश के सभी शहरों को स्वच्छता के आधार पर रैंकिंग दी जाती है।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में, उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर को फाइव स्टार रैंकिंग मिली है। यह रैंकिंग नोएडा को लगातार दूसरी बार मिली है। हालांकि, ऑल इंडिया रैंकिंग में नोएडा को 14वां स्थान मिला है। यह रैंकिंग नोएडा को पिछले साल की तुलना में तीन पायदान नीचे आई है।
नोएडा की स्वच्छता में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
- शहर की बढ़ती आबादी
- शहर की बढ़ती गतिविधि
- शहर में कूड़े के निपटान की व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता
नोएडा की स्वच्छता में सुधार के लिए नगर निगम द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें शामिल हैं:
- शहर में सफाई कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि
- कूड़ा उठाने के वाहनों की संख्या में वृद्धि
- कूड़े के निपटान के लिए नए तरीकों को अपनाना
- स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाना
नगर निगम की इन पहलों से नोएडा की स्वच्छता में और सुधार की उम्मीद है।
नोएडा की स्वच्छता में सुधार के लिए लोगों की भागीदारी भी जरूरी है। लोग अपने घरों और आसपास के क्षेत्रों को साफ सुथरा रखने में सहयोग कर सकते हैं।
सफलता के यह मानक हुए पूरे
नोएडा में एक एकीकृत कंट्रोल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है। इस सेंटर से शहर में होने वाली सभी सफाई गतिविधियों की निगरानी की जाती है। सेंटर में 5 हजार स्वच्छता कर्मियों के चेहरे की पहचान कर उनकी बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज की जाती है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सभी स्वच्छता कर्मी अपने निर्धारित समय पर काम पर उपस्थित हों और अपना काम नियमित रूप से करें।
नोएडा को वाटर प्लस सर्टिफिकेट मिला
उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर को स्वच्छता के क्षेत्र में लगातार सफलता मिल रही है। हाल ही में, नोएडा को वाटर प्लस सर्टिफिकेट मिला है। यह सर्टिफिकेट स्वच्छ भारत मिशन के तहत दिया जाता है। गारबेज फ्री सिटी का अवार्ड लोगों के घरों से कूड़ा लेना, उसको पृथक-पृथक करना और उसका निस्तारण कार्य करने पर प्रदान किया गया।
आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा होता है देश में सर्वेक्षण
भारत सरकार के आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता है। इस सर्वेक्षण में देश के सभी शहरों को स्वच्छता के आधार पर रैंकिंग दी जाती है। स्वच्छता सर्वेक्षण का उद्देश्य शहरों में स्वच्छता की स्थिति में सुधार करना है। इस सर्वेक्षण के माध्यम से शहरों को स्वच्छता के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों का मूल्यांकन किया जाता है। बेहतर रैंकिंग की बात करें तो इस बार नोएडा शहर का नाम सबसे पहले आ रहा है।
नोएडा का सफर
नोएडा शहर में स्वच्छता की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। साल 2018 में, नोएडा की स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिंग 324 थी। जबकि, साल 2019 में, नोएडा की रैंकिंग में सुधार हुआ और यह 150वीं स्थान पर आ गया। इस तरह, नोएडा ने उत्तर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया। साल 2019 में, नोएडा को गार्बेज फ्री सिटी कैटेगरी में 3 स्टार रैंकिंग तथा तथा ओपन डेफेकेशन फ्री सिटी कैटेगरी में ओडीएफ प्लस सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ था।
वर्ष 2020 में, नोएडा को स्वच्छता सर्वेक्षण में 25वीं रैंक मिली थी। 2021 में, यह रैंक बढ़कर 4वीं हो गई। 2022 में, नोएडा ने क्लीनेस्ट मीडियम सिटी और फाइव स्टार गार्बेज फ्री सिटी का खिताब जीता। इसके साथ ही, नोएडा को 5वीं रैंक के साथ बेस्ट सेल्फ सस्टेनेबल सिटी चुना गया।