आज हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। हरियाली तीज का दिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। महिलाओं को इस दिन प्रातः उठकर पूजन करने के बाद उपवास रखना होता है। कुछ क्षेत्रो में तो इस त्यौहार में झूला झूलने की परंपरा भी देखी जाती है। महिलाएँ एकत्रित होकर गीत गाते हुए उत्सव मनाती है। इस साल का हरियाली तीज का पर्व 7 अगस्त के दिन है।
सावन महीने की तृतीया तिथि यानी 7 अगस्त (बुधवार) के दिन विवाहित महिलाएँ तीज का व्रत करेगी। इस तीज को श्रावणी तीज भी कहते है। यह व्रत सुहागिने अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती है। व्रत के साथ ही भगवान शिव एवं पार्वती के जोड़े की पूजा करने का भी विधान है। कुँवारी लड़कियां भी अच्छे पति की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है।
इस दिन निर्जला व्रत रखना होगा
हरियाली तीज को सर्वाधिक मुश्किल व्रत भी माना गया है चूँकि इस दिन महिला को निर्जला व्रत रखना होता है यानी व्रती को बिना भोजन एवं पानी के दिन बीतना है। व्रत का महत्त्व है कि इससे वैवाहिक जीवन में खुशियाँ आती है और धार्मिक शास्त्रों में व्रत को लेकर कुछ खास विधि-विधान भी दिए गये है।
- पूजा का मुहूर्त:
- सुबह: 7:47 AM से 9:22 AM तक
- शाम: 6:52 PM से 7:45 PM तक
हरियाली तीज को मनाने का कारण
यह देश का प्राचीन एवं महत्वपूर्ण पर्व है जोकि श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में मनाते है। इस त्यौहार को श्रावणी तीज भी कहते है। यह दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती के मिलाप का दिन है। एक विवाहिता के लिए यह व्रत बहुत ही पवित्र एवं लाभदायी मन गया है। व्रती सुहागिन इस दिन शिव-गौरी की पूजा करते हुए पति की दीर्घायु की कामना करती है।
हरियाली तीज की कहानी जाने
शास्त्रों के अनुसार, माता पार्वती ने सालो के तप के बाद शिव को पति रूप में पाया था। मान्यता है कि शिव को पाने के लिए पार्वती ने 107 जन्म लिये और 108वें जन्म पर उनको शिव मिले। इस दिन ही शिव ने पार्वती को दर्शन देकर पत्नी स्वीकृत किया था।
हरियाली तीज के दिन अश्विनी नक्षत्र में पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। अश्विनी नक्षत्र 7 अगस्त 2024 को सुबह 6:27 AM से शुरू होगा और 8 अगस्त 2024 को सुबह 4:54 AM तक रहेगा।
व्रती महिला के लिए प्रावधान जान लें
व्रत रखने वाली महिला के लिए शास्त्रों में कुछ नियम बताए है जिनका पालन करना आवश्यक है –
अन्न-जल का सेवन नहीं करना है
हरियाली तीज का व्रत निर्जला रखना पड़ता है यानी कि इस दिन कुछ भी खाया-पीया नहीं जाता है। यहाँ तक कि फल का सेवन भी नहीं कर सकते है। व्रत की शुरुआत प्रातः से ही होकर अगले दिन सूर्योदय तक समाप्ति होती है। इस दिन किसी भी स्थिति में अन्न या जल नहीं ले सकते है।
गुस्से से बचना है
शास्त्रों की माने तो व्रती को इस दिन किसी भी स्थिति में लड़ाई या गुस्से से दूर रहना होगा। किसी को अपशब्द कहने एवं क्रोध करने से व्रत को खंडित मानते है।
व्रत अधूरा नहीं छोड़ना है
कोई भी स्त्री तीज का व्रत शुरू करने के बाद बीच में ही अधूरा न छोड़े। इस दिन हिम्मत बनाए रखे और पूरी निष्ठा के साथ व्रत के नियमो का पालन करें। एक बार व्रत को खंडित करके दुबारा या अगले वर्ष करने के नियम नहीं है।
मेहंदी लगाने का महत्व जाने
इस दिन व्रती महिला अपने हाथों में मेहंदी लगाती है और इस काम को सोलह श्रृंगार में से एक मानते है। मेहंदी रचने के बाद लाल रंग की हो जाती है जोकि माँ गौरी के लाल रंग के वस्त्रो के रंग के समान ही होता है। मान्यता के अनुसार महिला के हाथों में मेहंदी का रंग जितना गहरा होगा उतना ही व्रत का लाभ मिलेगा।
पति की दीर्घायु का मन्त्र
व्रती महिला तीज पूजन के समय इस मन्त्र का उच्चारण अपने पति की दीर्घ आयु के लिए कर सकती है –
हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।