सुप्रीम कोर्ट की ओर से मणिपुर हिंसा के पीड़ितों को राहत, पुनर्वास एवं क्लेम की देखरेख करने के लिए 3 पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक कमेटी को बनाने के आदेश 7 अगस्त को दिए गये थे। साथ ही महाराष्ट्र के भूतपूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को क्रिमिनल केसो के जाँच की देखरेख करने के को कहा गया था। कोर्ट के अनुसार कमेटी सीधे ही अपनी रिपोर्ट जमा करेगी।
मणिपुर हिंसा केस में में जस्टिस (सेवानिवृत) गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली कमेटी ने आज के दिन यानी 21 अगस्त में सुप्रीम कोर्ट को 3 रिपोर्ट जमा की है। एक रिपोर्ट में हिंसा से पीड़ित नागरिको के मुआवजे की स्कीम के अपग्रेड करने की बात भी कही है। अब सुप्रीम कोर्ट इन सिफारिशों पर विचार-विमर्श करके शुक्रवार तक निर्णय देगा।
गठित कमेटी की हेड जम्मू-कश्मीर की मुख्य महिला न्यायाधीश गीता मित्तम है। इस कमेटी में उनकी साथी सदस्य न्यायाधीश (सेवानिवृत) शालिनी पी जोशी एवं नयायाधीश (सेवानिवृत) आशा मेनन ने रिपोर्ट को बनाने में भागीदारी दी है।
रिपोर्ट की कॉपी मामले से जुड़े वकीलों को मिलेगी – CJI
आज सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने रिपोर्ट लेने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सहायता की मांग की। फिर बताया कि इस रिपोर्ट की कॉपी को मणिपुर हिंसा के मामले से सम्बंधित वकीलों को भी देंगे, जिससे उनके परामर्श लिए जाए।
कमेटी ने 3 प्रकार की रिपोर्ट दी है
- हिंसा के कारण से लोगो के जरुरी प्रमाण-पत्र खो चुके है।
- पीड़ितों के लिए मुआवजा स्कीम के अपग्रडेशन की आवश्यकता है।
- परेशानियों से जुड़े विशेषज्ञों की कमेटी बनानी चाहिए।
एडवोकेट इंदिरा जय सिंह ने कहा
कोर्ट को आदेश देना चाहिए कि कमेटी के काम के लिए फंडिंग केंद्र सरकार करें और राहत सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित न रहे। कमेटी इस मामले में अधिक साफ़ नहीं रही अतः इसका स्पष्टीकरण कर सकते है।
मामले की जाँच CBI कर रही है
मणिपुर मामले में हुई हिंसा पर सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (CBI) जाँच कर रही है। इस जाँच के लिए विभाग ने बहुत सी रैंक की 29 महिला अधिकारी वाली 53 अधिकारीयों की टीम लगा रखी है। खबरों के अनुसार, सीबीआई अधिकारी कहते है – ‘जब ऐसी भारी संख्या में उनको केस मिलते है तो वे शक्ति पाने के लिए इससे जुड़े प्रदेशों पर निर्भर हो जाते है।’
मणिपुर हिंसा एवं महिलाओं के निर्वस्त्र घुमाने के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख रखते हुए प्रदेश एवं केंद्र सरकार को फटकारा है।
सुप्रीम कोर्ट में 10 याचिकाओं पर सुनवाई
मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में 10 याचिकाएँ दायर हो चुकी है जिनकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है। मामले में सैकड़ो लोगो की मारे जाने एवं बहुतो के घायल होने की खबरे है। इस समय 50,000 से अधिक नागरिक राहत शिविरों में रह रहे है।
अभी तक 160 नागरिको की मौते दर्ज़
मणिपुर में 3 मई के दिन हिंसा भड़कने के बाद 160 से जायदा नागरिको की मौते दर्ज हो चुकी है और सैकड़ो अन्य चोटिल भी हुए है। मणिपुर राज्य में 53 फीसदी जनसँख्या मैतई समुदाय के नागरिको की है। और ये अधिकांश इम्फाल घाटी में बसे है। लेकिन आदिवासी एवं कुकी समुदाय की कुल जनसंख्या 40 फीसदी है जोकि पर्वतीय जिलों में बसे है।
मणिपुर हिंसा कैसे शुरू हुई?
मणिपुर की हिंसा का मामला कुकी एवं मैतेई समुदाय के बीच हुआ है। मैतेई समुदाय के नागरिक काफी समय से अनुसूचित जाति (SC) में शामिल करने की माँग कर रहा है। उच्च न्यायालय, मणिपुर की ओर से 20 अप्रैल में राज्य सरकार को उनकी माँगो पर विचार करने के लिए कहा गया। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद 3 मई में आल इंडिया स्टूडेंट यूनियन मणिपुर की ओर से ‘आदिवासी एकता मार्च’ हुआ। रैली मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति की मान्यता देने के विरोध में थी। रैली में ही आदिवासियों एवं गैर-आदिवासियों में हिंसा होने लगी।