जब कोई कर्मचारी रिटायर होता है तो उन्हें कम्युटेशन कराने का ऑप्शन मिलता है। लेकिन कई कर्मचारियों को इसके फायदे-नुकसान के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती, और उनके क्लर्क भी इस पर ज्यादा जानकारी नहीं देते। नतीजतन, कर्मचारी बिना पूरी जानकारी के कम्युटेशन करा लेते हैं और बाद में उन्हें इसके नुकसान का पता चलता है। इस लेख में, हम कम्युटेशन रिकवरी के असली खेल को समझेंगे और जानेंगे कि इससे कितना नुकसान हो सकता है और इससे कैसे बच सकते हैं।
कम्युटेशन का विकल्प: एक परंपरा या समझदारी?
कम्युटेशन कराने का चलन वर्षों से चला आ रहा है। अधिकतर कर्मचारी इसे बिना समझे अपनाते हैं क्योंकि उनके सहकर्मी भी ऐसा करते हैं। कम्युटेशन का मतलब है कि आप अपनी पेंशन का एक हिस्सा एकमुश्त रकम के रूप में ले लेते हैं, जिससे बाद में आपकी पेंशन कम हो जाती है। कम्युटेशन करने के बाद हर महीने पेंशन से कटौती होती है और यह कटौती 15 साल तक चलती है।
कम्युटेशन की रिकवरी अवधि: 15 साल या कम?
कम्युटेशन कराने के बाद, हर महीने आपकी पेंशन से एक निश्चित राशि कटती है और यह प्रक्रिया 15 साल तक चलती है। इसके बाद, आपको पूरी पेंशन मिलनी शुरू होती है। इस अवधि के दौरान, आप चाहकर भी इस कटौती को रोक नहीं सकते।
सरकार को ब्याज का भुगतान: फायदे से ज्यादा नुकसान
कम्युटेशन कराने के बाद, आपको एकमुश्त रकम तो मिलती है, लेकिन 15 साल की कटौती के कारण आप सरकार को ज्यादा ब्याज भरते हैं। आइए एक उदाहरण से इसे समझते हैं:
- बेसिक पेंशन: ₹50,000
- कम्युटेशन फैक्टर (60 वर्ष की उम्र पर): 8.194
- मिली कुल राशि: ₹19,66,560
- 15 साल में भरा गया ब्याज: ₹10,33,440
- कुल भुगतान सरकार को: ₹30,00,000
इस प्रकार, कर्मचारी को ₹19,66,560 मिलते हैं लेकिन 15 साल में वे सरकार को ₹30,00,000 वापस भरते हैं।
वास्तविक रिकवरी अवधि: 11 साल
कुछ जानकारों ने गणित का गहन विश्लेषण किया और पाया कि कम्युटेशन की वास्तविक रिकवरी 11 साल में पूरी हो जाती है। इसके बाद, कर्मचारियों ने इस मुद्दे को कोर्ट में उठाया। कोर्ट ने भी माना कि कम्युटेशन की रिकवरी 10 साल 8 महीने में पूरी हो जाती है। इस पर सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
शीला देवी: असली खिलाड़ी
कम्युटेशन रिकवरी का मुद्दा कोर्ट में लाने के लिए शीला देवी का नाम सबसे आगे आता है। उन्होंने 1 मई 2023 को इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका डाली थी। इसके बाद, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को समझा और कम्युटेशन रिकवरी पर स्टे लगा दिया। उनके प्रयासों के कारण, अन्य पेंशनभोगियों ने भी कोर्ट का रुख किया और उनकी रिकवरी पर भी स्टे मिल गया है।
अभी तक का निर्णय और आगे की राह
फिलहाल, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कम्युटेशन रिकवरी पर स्टे दिया है। अगली सुनवाई 21 अगस्त 2024 को होने वाली है। जब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक स्टे जारी रहेगा और रिकवरी बंद रहेगी।
आप कैसे अपनी रिकवरी रुकवा सकते हैं?
यदि आप भी चाहते हैं कि आपकी कम्युटेशन रिकवरी पर रोक लगे, तो आप कोर्ट का रुख कर सकते हैं और शीला देवी के केस का हवाला देकर अपनी रिकवरी को रोकवा सकते हैं। सरकार से कॉमन सर्कुलर की उम्मीद न करें। कोर्ट का रास्ता ही एकमात्र उपाय है जिससे आपकी रिकवरी रुक सकती है।
कम्युटेशन का विकल्प अपनाने से पहले सभी फायदे-नुकसान को समझना जरूरी है। इस लेख में दिए गए तथ्यों और आंकड़ों से स्पष्ट है कि कम्युटेशन रिकवरी का असली खेल क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है। कर्मचारियों को जागरूक होना चाहिए और सही निर्णय लेना चाहिए ताकि रिटायरमेंट के बाद उन्हें किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।