Onam 2024: ओणम त्यौहार के मनाने का कारण और 10 दिनों से जुड़े तथ्य जाने, केरल के लोकप्रिय पर्व में से एक

ओणम त्यौहार के दिनों में भगवान विष्णु एवं महाबली का पूजन होता है। हमारे देश के केरलवासी तमिल लोगो के लिए ये बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है।

Photo of author

Reported by Sheetal

Published on

ओणम के त्यौहार को साउथ इण्डिया के राज्यों और विशेषरूप से केरल राज्य का सर्वाधिक प्राचीन एवं पारम्परिक पर्व मानते है। ये पर्व (Onam) पूरे 10 दिनों तक बहुत उत्साह और ख़ुशी से मनता है। इस वर्ष का ओणम पर्व 5 सितंबर से 14 सितंबर के बीच मनाया जा रहा है। इस दिन लोग अपने घरो को फूल एवं रंगोली से सजाकर सुन्दर कर लेते है, इसको ‘पुकलम’ कहते है।

ओणम त्यौहार के दिनों में भगवान विष्णु एवं महाबली का पूजन होता है। हमारे देश के केरलवासी तमिल लोगो के लिए ये बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है। इसी प्रकार से इन दिनों आयोजन, गाने, नाचना, खाद्य सामग्री एवं रंग-रंगोली देखने को मिलते है।

घरो में महिलाएँ अपने पारम्परिक परिधान में तैयार होकर घरो में ही बहुत प्रकार के व्यंजन बनाती है। ऐसे ही परिवार के सभी लोग अपने घरो को इन दिनों (Onam) काफी सजाकर रखते है। इस पर्व में घरो की रंगोली का काफी महत्व होता है।

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

ओणम का इतिहास जाने

शास्त्रों के अनुसार, ओणम पर्व को दैत्यराज महाबली के वापस आपने के कारण मनाते है। महाबली ने अपनी वीरता एवं शक्ति से 3 लोको (स्वर्ग, पृथ्वी एवं पातल) पर अधिपत्य कर लिया था। वे आम मनुष्यो के बीच भी अपनी दयालुता, करुणा एवं सद्गुणों की वजह से काफी प्रसिद्ध थे। स्वर्ग लोक के जाने से व्यथित देवताओ ने भगवान विष्णु से सहायता माँगी।

संबंधित खबर pitru-paksha-days-importance-worship-methods-

पितृ पक्ष के दिनों का महत्व, पूजा-विधि एवं समस्याओं के विभिन्न उपाय जाने

भगवान विष्णु वामन का अवतार लेकर महाबली से मिलने गए और महाबली से 3 पग जमीन देने को कहने लगे। इसके बाद वामन ने विशाल स्वरूप से एक कदम में स्वर्ग, दूसरे कदम में पृथ्वी को नाम दिया। इसके बाद तीसरे कदम के लिए महाबली ने अपने सिर को आगे कर दिया। उनकी निष्ठा को देखकर भगवान विष्णु ने महाबली को पाताल में भेज दिया।

इस घटना के बाद से ही मान्यता है कि महाबली प्रत्येक वर्ष सावन के माह में श्रवण नक्षत्र में अपने राज्य के निवसीयो को देखने आते है। इन दस दिनों में ही साउथ इण्डिया के लोग अपने घर को सजाकर पर्व मनाते है।

onam mahabli festival
onam mahabli festival

ओणम से जुड़े 10 दिनों का आयोजन

  • ओणम के पहले दिन में वामनमूर्ति थिर्रिकार मंदिर एवं कोच्चि में अथाचमायम जुलुस निकलते है। ये रात ‘अठापू’ कहलाती है और इस दिन में फूलो की पंखुड़ियों से सजावट होती है।
  • दूसरे दिन को चिथिरा कहते है और इस दिन पुककलम में एक और परत जोड़ देते है। तीसरी परत को नारंगी एवं पीले पंखुड़ियों से बनाते है।
  • ओणम के चौथे दिन मतलब चोड़ी वाले दिन पुक्कलम में एक अन्य परत जोड़ देते है। कुछ लोग नए कपडे पहनकर ओनक्कोड़ी पूजन भी करते है।
  • पर्व के चौथे दिन विशाकम है, वैसे तो ओना साद्य के शुरू होने का संकेत देता है। लोग घरो में नयी फसल का संग्रह करते है और बहुत तरह के पकवान भी बनाते है।
  • पाँचवा दिन अनिजम कहलाता है जिसमे पम्बा नदी के किनारे आयोजन होता है और नाव की दौड़ का खेल होता है।
  • छठें दिन को त्रिकेट्टा कहते है जिसमे लोग मन्दिर एवं पुस्तैनी घरो में जाकर आशीर्वाद लेते है। इस दिन नए फूलो से सजावट भी करते है।
  • सातवे दिन को मूलं कहते है और लोग अब से ओना साद्य अर्पण करना शुरू कर देते है। केरल में इस दिन में पुलीकली एवं कैकोट्टीकली आदि प्राचीन लोक नृत्य भी होते है।
  • आँठवा दिन पुरदाम कहलाता है और इस दिन पुककलम को और बड़ा करने के लिए अधिक पुष्प डाल देते है। पुककलम के बीच में महाबली एवं वामन की मूर्ति रखकर पुरदम अनुष्ठान होता है।
  • नौवें दिन (उथारोडम) में महाबली के आने की तैयारी होने लगती है और सभी लोग सीजन की नई फसल से खाद्य पदार्थ बनाकर घरो में खाने लगते है।
  • ओणम त्यौहार का सर्वाधिक शुभ दिन दसवाँ (थिरुवोणम) है और इस दिन महाबली के आने से लोग पाने घरो को सजाकर रखते है।

संबंधित खबर अक्षरधाम मंदिर किसने बनवाया था ? Akshardham Temple का इतिहास जानिए।

अक्षरधाम मंदिर किसने बनवाया था ? Akshardham Temple का इतिहास जानिए।

Leave a Comment

WhatsApp Subscribe Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp