VPF क्या होता है? इसमें पैसा जमा करने के क्या फायदे हैं? What is VPF full form and meaning in Hindi

सभी नौकरी करने वाले लोग अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए और कुछ आर्थिक टारगेट पाने के उद्देश्य से कुछ न कुछ निवेश जरूर करते है। इसी प्रकार की एक निवेश स्कीम प्रोविडेंट फण्ड भी है जिसमे निवेशक को सेफ एवं अधिक लाभ मिल जाता है। पीएफ में कर्मचारी अपने वेतन का एक छोटा सा भाग निवेश करके लाभ लेते है।

इस खाते में कम्पनी (नियोक्ता) को भी इतनी ही मात्रा में अंशदान देने की जरुरत होती है। किन्तु कम ही लोग वॉलेंटरी प्रोविडेंट फण्ड (VPF) के बारे में जानते होंगे।

ईपीएफ में तो नियोक्ता एवं कर्मचारी की तरफ से मूल वेतन एवं डीए की 12-12 फीसदी ही राशि खाते में जमा होती है। किन्तु इसमें से नियोक्ता की राशि का 8.33 फ़ीसदी भाग कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में शामिल होता है और बचा भाग ही पीएफ में जमा होता है।

ऐसी में अगर कोई कर्मचारी अपने द्वारा जमा होने वाले अंशदान में वृद्धि करना चाह रहा हो तो वह वालेंटरी प्रोविडेंट फण्ड (वप्फ) में इन्वेस्ट करता है।

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फण्ड क्या है?

यदि कोई कर्मचारी अपने ईपीएफ कहते में 12 फ़ीसदी से अधिक PF राशि डालना चाह रहा हो तो वो सीधे ही वॉलेंटरी प्रोविडेंट फण्ड (VPF) में अपना निवेश करता है। वो अपनी इच्छा से वेतन का सौ फ़ीसदी भाग भी इसमें निवेश कर सकता है। इस प्रकार से उसको VPF में डाली गई राशि पर ब्याज प्राप्त होता है। वैसे यहाँ पर कर्मचारी का अंशदान 12% पर ही रहता है।

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फण्ड के पात्र लोग

जो भी व्यक्ति संघठित सेक्टर में काम करते है वो वॉलेंटरी प्रोविडेंट फण्ड (VPF) के लिए पात्र है। इसके लिए वह व्यक्ति किसी EPF वैलिड आर्गेनाईजेशन में जॉब करना चाहिए।

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फण्ड में कैसे निवेश करें

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फण्ड (वीपीएफ) में कर्मचारी को अपने इन्वेस्ट में वृद्धि करने में अपने एचआर से बात करनी होगी। इस मामले में कर्मचारी को लिखित डिटेल्स भी देनी होगी और यहाँ ये बताना होगा कि कितना PF का अंशदान देने की इच्छा है। यदि कंपनी में वीपीएफ की सर्विस होगी तो एक फॉर्म में अंशदान की राशि डालकर एचआर को देना है। ये प्रक्रिया नए वित्त वर्ष की शुरुआत में पूर्ण होती है।

वीपीएफ में मिलने वाली ब्याज दर

वीपीएफ एक सबसेट होता है तो इस वजह से इसमें EPF के बराबर ही ब्याज की दर प्राप्त होती है। इस समय के वित्तीय वर्ष में EPF की ब्याज दर 8.1% तक रही थी तो इतनी ही फ़ीसदी ब्याज दर VPF पर मिल रही है।

इसका मेच्योरिटी टाइम जाने

वीपीएफ को लेकर कम से कम लॉक इन की समयसीमा 5 साल है। इसके मेच्योर होने पर कर्मचारी को मिलने वाली धनराशि उसके द्वारा इंवेट हुई रकम पर निर्भर होती है।

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वॉलेंटरी प्रोविडेंट फण्ड के मुख्य लाभ

  • इस स्कीम में कर्मचारी को सबसे पहला लाभ तो यह होता है कि इसमें सरकार से ईपीएफ खाते के सामान ही ब्याज मिलता है।
  • कमर्चारी के लिए अपने वेतन में से जमा करने वाली राशि की लिमिट तय नहीं होती है और वो अपनी इच्छा से सौ फ़ीसदी वेतन भी जमा कर सकता है।
  • VPF खाते को ईपीएफ की तरह से ही ट्रांसफर भी कर सकते है किन्तु वीपीएफ के ऑप्शन को चुनने के बाद इसमें न्यूनतम 5 सालो के लिए अंशदान देना होगा।
  • इसका लॉक-इन टाइम 5 वर्षो का रहता है और जॉब के 5 वर्ष पूर्ण होने के बाद निकासी पर टैक्स भी नहीं देना पड़ेगा।
  • लॉक-इन टाइम से पूर्व पैसे की निकासी में कर्मचारी को अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना पडता है।
  • इसमें ब्याज एवं निकलने वाली धनराशि एकदम कर मुक्त है और इसी कारण से इसको Exempt-Exempt-Exempt (E-E-E) कैटेगरी का इन्वेस्टमेंट कहते है।

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