इंडियन रिज़र्व बैंक की ओर से नई मौद्रिक नीति की घोषणा हुई है। आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास के रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में किसी भी बदलाव नहीं होने की जानकारी दी है। इस प्रकार से अभी रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर ही स्थिर रहेगी। बैंको से सस्ता लोन लेने की तैयारी करे रहे लोगो के लिए थोड़ी मायूसी की खबर जरुर है किन्तु लोन लेने वालो के लिए इसे एक अच्छी खबर कहा जा रहा है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की 3 दिनों की मीटिंग में सभी की स्वीकृति के बाद नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर ही रखने का निर्णय हुआ है। गवर्नर शशिकांत दास के अनुसार रेपो रेट में परिवर्तन न करने के फैसले से देश सही दिशा में आगे जा रहा है और भविष्य में ग्रोथ इंजन के रूप में उभरेगा। उनके अनुसार अभी हम विश्व की 5वें नम्बर की अर्थव्यवस्था है और अभी विकास जारी है।
महँगाई में कमी लाने पर ध्यान
आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास कहते है कि आरबीआई का ध्यान महँगाई में कमी लाने पर है और हमारी इकोनॉमी में विकास जारी है। लेकिन आरबीआई के लक्ष्य से महँगाई ज्यादा ही रही है और आईबीआई 4 प्रतिशत महँगाई की दर लाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है।
कोर महँगाई की दर कम हो रही है और इसका प्रभाव नीतिगत दरों में भी दिखेगा। उनके अनुसार जुलाई-अगस्त में महँगाई दर अधिक रहेगी और सब्जियों की महँगाई दर में बढ़ोत्तरी के कारण ऐसा होने के अनुमान है।
- मौद्रिक नीति समिति ने 6.50 प्रतिशत रेपो रेट स्थिर रखी है।
- आरबीआई से आम नागरिको को बड़ी राहत मिली है।
- आरबीआई गवर्नर ने अर्थव्यवस्था के और विकसित होने की बात कही।
फरवरी से रेपो रेट नहीं बदला है
पिछले साल देश में महँगाई के अधिकतम स्तर पर पहुँच जाने के बाद इसमें वापिसी करने के लिए आरबीआई ने मई 2022 के बाद 9 बार रेपो रेट में बढ़ोत्तरी की थी। उस समय में यह दर 250 बेसिक अंक बढ़ाई गई थी। किन्तु केंद्रीय बैंक ने इसकी वृद्धि पर रोक लगाते हुए फरवरी 2023 से अभी तक कोई चेंजेस नहीं किये है। इससे पहले भी अप्रैल-जून की मीटिंग में भी रेपो रेट को स्थिर रखा था।
रेपो रेट के बढ़ने से लोन की EMI बढ़ती है
रेपो रेट उस दर को कहते है जोकि आरबीआई द्वारा बैंको को लोन देने में इस्तेमाल होती है। जबकि आईबीआई द्वारा बैंको को पैसा रखने पर ब्याज रिवर्स रेपो रेट की दर पर मिलता है। ऐसे रेपो रेट में कमी आने पर लोन की EMI भी घटती है और रेपो रेट के बढ़ने पर EMI बढ़ती है। देश में महँगाई के आरबीआई द्वारा निश्चित लिमिट से ऊपर जाने पर रेपो रेट में वृद्धि करके स्थिति सम्हाली जाती है।
महँगाई और रेपो रेट का गठजोड़ जाने
आरबीआई महँगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में वृद्धि करता है जिससे लोन महँगे होते है। लोन के महँगे हो जाने से अर्थव्यवस्था में कैश के फ्लो में कमी आती है। इसके बाद माँग के भी कमी आने से महँगाई दर घटती है। जून महीने में रिटेल महँगाई की दर 4.8 प्रतिशत पर थी।
टमाटर के रेट चिंताजनक – गवर्नर शशिकांत
मीटिंग के फैसलों को जारी करते हुए आरबीआई गवर्नर ने देश में टमाटर के बढ़ते रेट पर भी बात की। उनके मुताबिक ये कीमते आम नागरिको के साथ ही योजना निर्माताओ की चिंता भी बढ़ाती है। उनका अनुमान है कि अगस्त महीने में महँगाई बढ़ेगी जिससे सब्जियों के मूल्य में उछाल हो सकता है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024 में रिटेल महँगाई के 5.4 प्रतिशत तह होने के अनुमान लगाए है।
नीतिगत दरों के स्तर जान लें
रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट को तो अपरिवर्तित ही रखा है तो ऐसे में रेपो रेट पहले की तरह 6.50 प्रतिशत पर ही है। जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत पर कायम है। एमएसएफ और बैंक रेट 6.75 प्रतिशत पर ही बने हुए है।