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Polygraph & Narco Test क्या होता है? क्यों और कैसे किया जाता है? | नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट में अन्तर जानें

आये दिन देश में अपराधों और अपराधी बढ़ते जा रहे है। कई बार आपराधिक मामलों की सच्चाई सामने लाने ले लिए पुलिस को साक्ष्यों को जुटाने में बहुत समय लग जाता है। समय को बचाने और अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। कई मामलों में देखा जाता है कि अपराधी बहुत शातिर होते है तो ऐसे में अपराधी को पकड़ना और जुर्म क़बूल करवाना थोड़ा मुश्किल होता है। तो इस स्थिति में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। आपने न्यूज़ चैनल्स पर कई बार सुना होगा कि अपराधी का Polygraph & Narco Test होने वाला है। तो चलिए आज हम आपको बताते है Polygraph & Narco Test क्या होता है ? और ये क्यों और कैसे किया जाता है और साथ ही जाने दोनों के बीच में क्या अंतर होता है।

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Polygraph & Narco Test क्या होता है ?

भारत के ऐसे कई केस होते है जिनमे अपराधी का नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट करने के आदेश जारी कर दिया जाते है। जब अपराधी अपने झूठे बयानो से पुलिस को गुमराह करता है तो ऐसे में केस सोल्व करना थोड़ा कठिन हो जाता है। Polygraph & Narco Test के लिए पुलिस को कोर्ट से परमिशन लेनी होती है। जब अपराधी अपने अपराध को स्वीकार नहीं करता है तो कुछ विशेष परिस्थितिओ में Polygraph & Narco Test कराया जाता है। जिससे झूट ओट सच का पता लगाया जा सके। Narco एक यूनानी शब्द है जिसको इंग्लिश में Anesthesia कहते है और इसका हिंदी मतलब होता है बेहोश होना। पॉलीग्राफ एक मशीन होती है जिसे झूठ पकड़ने के लिए यूज़ किया जाता है। इसको आम भाषा में लाई डिटेक्टर कहा जाता है। दोनों ही टेस्ट करने के लिए उस व्यक्ति की सहमति जरुरी होती है जिसका ये टेस्ट किया जाता है।

नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट क्यों और कैसे किया जाता है

पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट झूठ पकड़ने के लिए किया जाता है। नार्को टेस्ट फोरेंसिक एक्सपर्ट, डॉक्टर, जाँच अधिकारी और मनोवैज्ञानिक की उपस्थिति में किया जाता है। इस टेस्ट में एक व्यक्ति को Truth Drug नामक साइको एक्टिव दवा दी जाती है या sodium Pentothal या sodium Amytal नाम का इंजेक्शन लगाए जाते है। दवाओं का असर होते ही व्यक्ति ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जहाँ वे कुछ कुछ बेहोशी में होता है। दवा के असर से मनुष्य की तार्किक शक्ति कमजोर हो जाती है और व्यक्ति धीमी गति से बोलता है। अपनी समंजन क्षमता भी खो देता है जिससे सच बोलने की सम्भावना बढ़ जाती है। यह टेस्ट करने से पहले व्यक्ति का शारीरिक परीक्षण किया जाता है कि वे नार्को टेस्ट कराने के काबिल है या नहीं। यदि व्यक्ति बीमार, अधिक आयु या मानसिक रूप से कमजोर होता है तो ऐसी स्थिति में अपराधी का नार्को टेस्ट नहीं किया जा सकता।

Narco and Polygraph Test

पॉलीग्राफ टेस्ट करने के लिए एक मशीन का प्रयोग किया जाता है। पॉलीग्राफ नामक मशीन का उपयोग करके आरोपी व्यक्ति का झूठ पकड़ा जाता है। किसी संगीन अपराधी के खिलाफ सबूत पेश करने के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट काफी सहायक होता है। टेस्ट के दौरान आरोपी व्यक्ति के केवल केस सम्बन्धी सवालो को ही पूछ जा सकता है। यदि पूछी गए सवाल का जवाब गलत होता है तो अपराधी व्यक्ति के दिमाग से P300 (P3) सिग्नल निकलता है साथ ही उसके हार्ट से रेट और ब्लड प्रेशर में भी परिवर्तन आ जाता है। सभी परिवर्तनों और सिग्नल्स को कंप्यूटर में सहेजकर जाँच की जाती है।

नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट में अन्तर जानें

कई बार लोग नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट को एक ही समझते है। लेकिन दोनों अंतर होता है। चलिए जानते है नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट में अंतर

पॉलीग्राफ टेस्ट (Polygraph Test)नार्को टेस्ट (Narco Test)
पॉलीग्राफ या लाई डिटेक्टर टेस्ट द्वारा अपराधी या आरोपी व्यक्ति के झूठ को पकड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है।नार्को टेस्ट द्वारा अपराधी या आरोपी के झूठ को पकड़ा जाता है। और आरोपी से किये जाने वाले सवालों का जबाब भी आरोपी सही देता है।
पॉलीग्राफ टेस्ट के समय आरोपी या अपराधी व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाओं का आंकलन किया जाता है।
 इस टेस्ट में शरीर के हाव-भाव, आरोपी की पल्स रेट और  हार्ट रेट, शरीर से निकलने वाले पसीने, हाथ और पैर की हलचल सभी पर नजर रखी जाती है।
नार्को टेस्ट में आरोपी /अपराधी को एक कृत्रिम निंद्रा की स्थिति (hypnotic state) में लाया जाता है।
पॉलीग्राफ का अर्थ होता है झूठ पकड़ने वाला यंत्र
इस टेस्ट में आरोपी के झूठ को पकड़ा जा सकता है लेकिन उससे सच नहीं बुलवाया जा सकता
Narco Test में आरोपी से सच बुलवाया जाता है। इस टेस्ट को ट्रुथ सीरम (Truth Serum) नाम से भी जानते हैं।
पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी को किसी भी प्रकार की साइकोट्रापिक या रसायन का कोई डोज नहीं दिया जाता है बल्कि ये परीक्षण एक मशीन द्वारा किया जाता है। नार्को टेस्ट के दौरान आरोपी को दवा दी जाती है या इंजेक्शन लगाया जाता है, जिसके बाद इस दवा से आरोपी बेहोशी की हालत में चला जाता है।

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