कम्यूटेड पेंशन: रिटायरमेंट के बाद हर पेंशनभोगी को पेंशन से एक निश्चित कटौती का सामना करना पड़ता है। पेंशनभोगी अपनी पेंशन का 40% हिस्सा कम्यूट करा सकते हैं, जिसके बदले उन्हें एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाता है। यह राशि सरकार द्वारा 15 साल की अवधि में वसूल की जाती है। हालांकि, इस अवधि को कम करने को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है, जो हर पेंशनभोगी के लिए नजीर साबित हो सकता है।
सरकार की नीति और ब्याज दर में बदलाव
सरकार ने रिटायरमेंट के बाद भुगतान की गई पेंशन के कम्यूटेड मूल्य की वसूली के लिए 15 साल की समय सीमा तय की है, जो पहले 12% की मौजूदा ब्याज दर पर आधारित थी। लेकिन 2006 से ब्याज दर में गिरावट आई है, जो 2010 में 8% और वर्तमान में 5% से कम हो गई है।
कोर्ट का रुख और फैसला
कम्यूटेशन से पेंशनभोगियों को होने वाले वित्तीय नुकसान को देखते हुए, सेवानिवृत्त सचिवालय अधीक्षक श्री आरएस जिंदल सहित दो दिग्गजों ने कोर्ट का रुख किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 8% की कम्यूटेशन की पूरी राशि 10 साल और 8 महीने में वसूल कर ली जाएगी। अगर वसूली 15 साल तक जारी रहती है, तो सरकार को अधिक पैसा मिलता है और उसका वास्तविक मूल्य 18.3% तक बढ़ जाता है।
श्री जिंदल ने दो अलग-अलग याचिकाएँ दायर कीं। केस संख्या CWP 2490/2024 में, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 09 फरवरी 2024 को भविष्य की वसूली पर रोक लगाने के आदेश पारित किए। कोर्ट ने पाया कि कम्यूटेड मूल्य की पूरी वसूली 10 साल 8 महीने में पूरी हो गई है, ऐसे में 15 साल तक वसूली जारी रखने का कोई अधिकार नहीं है। दूसरी याचिका 8222/2024 पर 15 अप्रैल 2024 को सुनवाई हुई और हाईकोर्ट ने इस मामले में भी कम्यूटेशन से भविष्य की वसूली रोकने के आदेश पारित किए।
पेंशनभोगियों को वित्तीय राहत
यह फैसला सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए ऐतिहासिक है। सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन का कम्यूटेड मूल्य 15 वर्ष के बाद बहाल किया जाता है। इस अवधि की गणना प्रचलित ब्याज दरों के आधार पर की गई थी जो 12% थी, जबकि वर्तमान ब्याज दरें लगभग 5% हैं। श्री जिंदल ने पाया कि पूरी राशि 10 वर्ष और 8 महीने में वसूल की जा रही है जबकि कटौती 15 वर्षों तक की जा रही है, जिससे पेंशनरों को वित्तीय नुकसान हो रहा था।
गुजरात सरकार ने कम की अवधि
गुजरात सरकार ने इस वित्तीय हानि को समझते हुए 15 वर्ष की सीमा को कम कर 13 साल कर दिया है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले से पेंशनधारकों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वे सभी पेंशनभोगियों के लिए कम्यूटेड बहाली की अवधि 15 साल से घटाकर 12 साल करें ताकि सभी पेंशनभोगियों को लाभ पहुंचे। यह न केवल न्यायालय पर अनावश्यक बोझ को कम करेगा बल्कि पेंशनधारकों की वित्तीय हानि को भी रोकेगा।
यह ऐतिहासिक निर्णय पेंशनभोगियों के लिए एक नजीर साबित हो सकता है और उन्हें वित्तीय स्थिरता प्रदान कर सकता है। सभी पेंशनधारकों को यह सलाह दी जाती है कि वे इस तरह के आदेशों का लाभ उठाने के लिए CAT या AFT में न्यायालयीन मामला दायर कर सकते हैं।
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