पेंशनभोगी की डेथ होने के बाद उनके परिवार के लिए फैमिली पेंशन प्राप्त करना एक कठिन प्रक्रिया हो सकती है। अक्सर पेंशनधारकों के परिवारों को आवश्यक नियमों और प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी नहीं होती, जिससे फैमिली पेंशन क्लेम करने में समस्याएं आती हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करके फैमिली पेंशन प्राप्त कर सकते हैं।
PPO के आधार पर मिलती है Pension
रिटायरमेंट के बाद पेंशनभोगी को Pension Payment Order (PPO) के आधार पर पेंशन दी जाती है। पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद, उनके नॉमिनी को फैमिली पेंशन मिलती है। PPO में नॉमिनी का नाम होता है, जो उनकी पत्नी या बच्चे हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी को क्या करना चाहिए।
पेंशनभोगी के साथ जॉइंट एकाउंट में पेंशन
आवश्यक दस्तावेज
यदि पेंशनभोगी के साथ जॉइंट एकाउंट में पेंशन निकलती थी, तो पत्नी को फैमिली पेंशन का दावा करते हुए निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे-
- पेंशनभोगी की मृत्यु प्रमाण पत्र
- पेंशनभोगी का PPO (पेंशन भुगतान आदेश)
- नॉमिनी का जन्म प्रमाण पत्र (यदि पत्नी/पति नहीं है)
- विधवा प्रमाण पत्र (यदि पति की मृत्यु के बाद दावा किया जा रहा है)
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- अंडरटेकिंग (जिसमें यह घोषणा की गई हो कि यदि अधिक भुगतान हुआ है तो उसे वापस किया जाएगा)
यदि पेंशनभोगी के साथ जॉइंट एकाउंट नहीं था
यदि पेंशनभोगी के साथ पत्नी का जॉइंट एकाउंट था, तो पत्नी को उनकी मृत्यु के बाद फैमिली पेंशन के लिए एक हस्तलिखित आवेदन के साथ मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य साक्ष्य जमा करने होंगे। इससे उन्हें बिना किसी रुकावट के पेंशन प्राप्त हो सकेगी।
बैंक की जिम्मेदारी
पत्नी द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत करने के बाद बैंक की जिम्मेदारी होती है कि वे पेंशन को पारिवारिक पेंशन में परिवर्तित करें। पारिवारिक पेंशन का भुगतान मृत्यु की तारीख से करना है, न कि आवेदन की तारीख से। बिना देरी किए पारिवारिक पेंशन शुरू करनी चाहिए। यदि इसमें समय लगता है, तो प्रोविजनल पेंशन का भुगतान पहले महीने से शुरू किया जाना चाहिए। अधिकतम 6 महीने तक प्रोविजनल पेंशन दी जा सकती है। उसके बाद हर हालत में वास्तविक पेंशन शुरू करनी चाहिए, नहीं तो पेंशनभोगी ब्याज का हकदार हो जाएगा।
पारिवारिक पेंशन की मात्रा
1. यदि पेंशनभोगी की मृत्यु रिटायर होने के बाद 7 साल के भीतर हो जाती है:
- परिवार को वही पेंशन मिलेगी जो पेंशनभोगी को मिलती थी। यह तब तक मिलेगी जब तक पेंशनभोगी 67 साल के नहीं हो जाते अगर वे जीवित होते।
उदाहरण: मान लीजिए पेंशनभोगी 60 साल की उम्र में रिटायर होते हैं और 62 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो जाती है, तो परिवार को 5 साल तक वही पेंशन मिलेगी जो पेंशनभोगी को मिलती थी, यानी कि पेंशनभोगी की उम्र 67 साल होने तक।
2. यदि रिटायर होने के 7 साल के बाद पेंशनधारक की मृत्यु होती है:
- परिवार को पेंशनभोगी की बेसिक पेंशन का 60% पारिवारिक पेंशन के रूप में दिया जाएगा।
उदाहरण: मान लीजिए पेंशनभोगी की मृत्यु 67 साल के बाद होती है, तो परिवार को पेंशनभोगी की बेसिक पेंशन का 60% मिलेगा।
महंगाई भत्ते का भुगतान
पेंशनधारक की मृत्यु के बाद परिवार को पेंशन के साथ-साथ महंगाई भत्ता भी मिलेगा। बेसिक पेंशन के ऊपर महंगाई भत्ते की दर का भुगतान होगा, जिसमें कोई कमी नहीं होगी।
कम्युटेशन की कटौती बंद हो जाएगी
यदि पेंशनभोगी ने कम्युटेशन कराया था, तो उनकी मृत्यु के बाद कम्युटेशन की कटौती बंद हो जाएगी और परिवार को पूरी पेंशन मिलेगी। पारिवारिक पेंशन में से इसकी कटौती नहीं की जाएगी। सामान्यतः कम्युटेशन बहाली 15 साल के बाद होती है, लेकिन पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद इसकी कटौती माफ हो जाती है और परिवार को पूरी पेंशन मिलती है।
पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद उनके परिवार को पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के लिए सही जानकारी और दस्तावेज़ प्रस्तुत करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल उनका आर्थिक सहयोग सुनिश्चित होगा, बल्कि भविष्य की परेशानियों से भी बचा जा सकेगा। सही समय पर उचित कदम उठाने से परिवार को वित्तीय स्थिरता प्राप्त हो सकती है।