पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को लेकर कर्मचारियों के बीच एक नया मोड़ आया है। वित्त सचिव टी.वी सोमनाथन की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) में सुधार के लिए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में पुरानी पेंशन योजना की जिद छोड़ते हुए कर्मचारियों ने नई शर्तें स्वीकार कर ली हैं।
नई शर्तें और समझौते
बैठक के दौरान कर्मचारी संगठनों ने अंतिम बेसिक वेतन का 50% गारंटीड पेंशन के रूप में मांग को मंजूरी दी। इसके साथ ही न्यूनतम पेंशन और फैमिली पेंशन को बनाए रखने की भी मांग की गई, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया। सरकार ने कर्मचारियों से कहा है कि वे कुछ दिनों तक मीडिया में इस पर कोई बयान न दें, क्योंकि समिति अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश करने वाली है।
बैठक के मुख्य बिंदु
- 50% गारंटीड पेंशन: अंतिम बेसिक वेतन का 50% पेंशन के रूप में सुनिश्चित किया जाएगा और इसके लिए एक अलग कोष बनाया जाएगा।
- मीडिया प्रतिबंध: समिति ने कर्मचारियों को मीडिया में बयान देने से मना किया है।
- अंशदान में कोई रियायत नहीं: कर्मचारियों को 10% अंशदान देना पड़ेगा, इसमें कोई छूट नहीं दी जाएगी।
- PFRDA एक्ट 2014: यह एक्ट पहले की तरह लागू रहेगा।
अन्य संगठनों की मांगें
कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स ने स्पष्ट किया है कि वे केवल OPS की बहाली चाहते हैं और NPS को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने भी बैठक का बहिष्कार किया और कहा कि उन्हें सिर्फ पुरानी पेंशन चाहिए।
कर्मचारियों की नाराजगी
JCM स्टाफ साइड द्वारा किए गए इस समझौते से कई कर्मचारी नाराज हैं। उनका कहना है कि उन्होंने OPS के लिए संघर्ष किया था और NPS में 50% पेंशन स्वीकार करना सही नहीं है। कर्मचारियों का मानना है कि NPS में 50% पेंशन की गारंटी OPS की तरह नहीं है, क्योंकि OPS में वेतन आयोग का फायदा मिलता है जो NPS में नहीं मिलेगा।
कर्मचारियों का असंतोष
कर्मचारियों ने कहा कि सरकार NPS में बदलाव लाकर उनकी 10% राशि हमेशा के लिए ले लेना चाहती है। यदि कोई कर्मचारी 30 साल तक NPS के तहत 6000 रु कटवाता है, तो यह राशि लगभग 50 लाख से ज्यादा होगी। जिनकी सेवा 10-15 साल की है, उन्हें OPS में पूरी पेंशन मिलती थी, जबकि संशोधित NPS/GPS में उन्हें बहुत कम पेंशन मिलेगी।
इस प्रकार, कर्मचारियों के बीच असंतोष और नाराजगी साफ है, जबकि सरकार और समिति के बीच नए समझौते की कोशिशें जारी हैं।