छपरा बिहार: मशरक, जो जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर स्थित है, के रितेश और प्रिंस की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है। ये दोनों मित्र, जिन्होंने अपनी पढ़ाई विभिन्न शहरों में की, अपने गांव में वापस आकर एक सफल स्टार्टअप की नींव रखी। इनका यह उद्यम न केवल उन्हें वार्षिक लाखों रुपए की आय प्रदान कर रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं को भी रोजगार दे रहा है।
रितेश ने पुणे में पढ़ाई की और वहां पार्ट-टाइम जॉब भी किया। एक बार एक रेस्टोरेंट में खाना खाते समय, उन्होंने सोचा कि अगर उनके गांव में भी एक ऐसा ही रेस्टोरेंट होता, तो गांववालों को भी शहरी व्यंजनों का आनंद मिलता। इस विचार के साथ, उन्होंने और उनके दोस्त प्रिंस ने मशरक में एक कैफे खोला, जिसके बाद एक रेस्टोरेंट भी खोला। उनका यह व्यवसाय बहुत जल्दी सफल हो गया और गांव के लोगों को पिज्जा, बर्गर जैसे व्यंजनों का स्वाद चखने को मिला।
2021 में कैफे खोलने के कुछ समय बाद, रितेश ने रेस्टोरेंट भी खोला। उनके व्यवसाय का वार्षिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से अधिक है। इनके रेस्टोरेंट और कैफे में बने व्यंजनों की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि लोग इसके दीवाने हो गए।
कोरोना काल में बेरोजगार होने के बाद, रितेश और प्रिंस ने अपनी मेहनत और साहस के बल पर न केवल अपने लिए एक नया आयाम खोला, बल्कि गांव के युवाओं को भी रोजगार प्रदान किया। इससे उन्हें गांव छोड़कर दूसरे शहरों की ओर पलायन करने की आवश्यकता नहीं पड़ी।