भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 15 जनवरी 2014 को EPS 95 (ईपीएफ पेंशन) के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन को 3000 रुपये प्रति माह करने की मांग उठाई थी। उन्होंने सरकार द्वारा प्रस्तावित 1000 रुपये की पेंशन को केवल प्रतीकात्मक कदम बताते हुए अस्वीकार कर दिया था। बीजेपी का तर्क था कि यह निर्णय देश के श्रमिक वर्ग के साथ अन्याय होगा।
बीजेपी की मांग न्यूनतम पेंशन 3000 रुपये प्रति माह
बीजेपी का कहना था कि सरकार को भी 8.33% का योगदान देना चाहिए ताकि न्यूनतम पेंशन 3000 रुपये प्रति माह की जा सके और इसे महंगाई के साथ जोड़ा जा सके। उस समय बीजेपी ने श्रमिक वर्ग को नौकरी, वेतन, और सामाजिक सुरक्षा के रूप में नया सौदा देने का वादा किया था। यह मांग आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि 50 मिलियन से अधिक श्रमिक हर महीने अपनी मजदूरी का 8.33% प्रोविडेंट फंड में जमा करते हैं, जबकि नियोक्ता भी 8.33% का योगदान करते हैं।
2014 की मांग और वर्तमान स्थिति
2014 में, बीजेपी ने सरकार से 3000 रुपये की न्यूनतम पेंशन की घोषणा करने की मांग की थी। इस संबंध में श्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा पिटीशन कमिटी में याचिका दायर की थी, जिसमें महंगाई से जुड़ी पेंशन की मांग की गई थी। कमिटी ने सभी मांगों को स्वीकार करते हुए सरकार को इस दिशा में कदम उठाने की सिफारिश की थी। हालांकि, सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकारने के बजाय पुराने प्रस्ताव को पुनः लागू करने का विचार किया।
बीजेपी की मांग को भूली वर्तमान सरकार
आज, 2024 में, यह मांग और भी प्रासंगिक हो गई है। वर्तमान में, सरकार अपने योगदान को 1.16% से बढ़ाकर 1.79% करने की योजना बना रही है, जिसे बीजेपी ने पहले अपर्याप्त बताया था। लेकिन आज, दो कार्यकाल पूरे होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने यह नीति लागू नहीं की। इसके परिणामस्वरूप, 41 लाख पेंशनर्स में से 30 लाख को 1000 रुपये से कम पेंशन मिलती है।
कांग्रेस सरकार की आलोचना
प्रेस वार्ता में बीजेपी के नेता प्रकाश जावड़ेकर ने UPA सरकार को सबसे अधिक मजदूर विरोधी सरकार बताया था। बीजेपी का कहना था कि वह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेगी और न्याय की मांग करती रहेगी। लेकिन खुद की सरकार बनते ही बीजेपी यह बात भूल गई।
बीजेपी की 2014 में की गई मांग आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। श्रमिक वर्ग को सम्मान और सुरक्षा देने के लिए यह आवश्यक है कि न्यूनतम पेंशन को बढ़ाया जाए। यह कदम श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा। सरकार को इस दिशा में तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है।