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एक देश, एक चुनाव का बिल लाने की तैयारी में सरकार, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समिति की अध्यक्षता करेंगे

One Nation One Election : केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाकर एक देश-एक चुनाव कराने को लेकर बात करने का मन बनाया है। सरकार ने इस मामले में एक समिति बनाई है जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दी गयी है।

देशभर में एक देश, एक चुनाव के ऊपर डिबेट का दौर जारी है चूँकि सरकार ने संसद में विशेष सत्र को बुलाया है। अनुमानों के मुताबिक़ एक देश-एक चुनाव के मामले पर ही इस खास सत्र को लाने की तैयारी है। केंद्र सरकार की ओर से इस मामले को लेकर भूतपूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति बनाई गई है। इस समिति का काम इस मामले पर चिंतन करके बनी रिपोर्ट को सौपना।

समिति की रिपोर्ट को देखने के बाद ही ये तय होगा कि इस मामले पर क्या किया जाए। इसके बाद ये भी तय हो जायेगा कि सरकार भविष्य में देशभर के राज्यों में होने जा रहे विधानसभा इलेक्शन की तैयारी करेगी अथवा नहीं। गौरतलब है कि एक देश, एक चुनाव का अर्थ देशभर में होने वाले सभी चुनावों को एक ही बार में करवाने से है।

इतिहास को देखे तो स्वतंत्र होने के बाद देशभर में लोकसभा एवं राज्यसभा के इलेक्शन एक साथ हो रहे थे। किन्तु कुछ वर्षों बाद ही इस तरीके को समाप्त करके दोनों इलेक्शन को अलग-अलग करने का फैसला किया गया।

अब खबरे आ रही है कि केंद्र की सरकार 18 से 22 सितम्बर तक संसद का ‘विशेष सत्र’ बुलाने की तैयारी में है। कुछ सूत्रों का अनुमान है कि इस सत्र में ही सरकार की ओर से वन नेशन, वन इलेक्शन का बिल भी लाया जायेगा।

चुनावो में बदलाव के लिए संशोधन जरुरी

साल 2018 के अगस्त महीने में कानून समिति ने एक देश, एक चुनाव की रिपोर्ट तैयारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक ये राय दी गई थी कि देशभर में 2 चरण में इलेक्शन हो सकते है। पहले चरण में लोकसभा के साथ कुछ प्रदेशो में विधानसभा के इलेक्शन होंगे और दूसरे चरण में बचे प्रदेशों में विधानसभा इलेक्शन होंगे।

किन्तु इस काम में कुछ विधानसभाओ के कार्यकाल के समय में वृद्धि करनी होगी और किसी को समयसीमा से पहले भंग करना होगा। इस सभी कामो के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी।

वन नेशन-वन इलेक्शन के लाभ

चुनावो पर कम खर्च – इस प्रकार की चुनाव प्रक्रिया का सबसे पहला लाभ होने वाले खर्च पर पड़ेगा। अभी पिछले ही लोकसभा चुनाव यानि 2019 इलेक्शन में 60 हजार करोड़ रूपये का खर्चा हो गया। इस खर्च में राजनैतिक पार्टियों एवं इलेक्शन कमिशन का खर्चा जुड़ा है। किन्तु एक साथ इलेक्शन होने पर इन खर्चो में भारी कमी आएगी।

प्रशासन का स्तर सुधरेगा – लोकसभा एवं विधानसभा के इलेक्शन एक साथ होने पर सकारात्मक प्रभाव देश के प्रशासन तंत्र पर पड़ने वाला है। इस तरह से प्रशासन के स्तर पर कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होगी जोकि इलेक्शन के समय मंद पड़ जाती है। इसका कारण एलेक्शन के समय ऑफिसर्स का इलेक्शन से जुड़े कामों में संलग्न होना है।

कार्यक्रम एवं नीतियाँ नहीं रुकेगी : एक साथ ही होने वाले चुनाव का लाभ नीति एवं कार्यक्रमों को बिना रुकावट के कार्यान्वित करने में मिलेगा। अभी की प्रक्रिया के मुताबिक जिस क्षेत्र में इलेक्शन हो रहे है वहां पर आदर्श संहिता लगती है। इस समय पर विभिन्न प्रोजेक्ट एवं जन कल्याण के कार्यों पर प्रतिबन्ध रहता है।

government_special_session_of_parliament
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वोटर्स की संख्या में वृद्धि होगी

ख़बरों के मुताबिक़, विधि आयोग की राय है कि यदि दोनों ही इलेक्शन एक साथ होते है तो इसका अच्छा प्रभाव वोटर्स की बड़ी संख्या पर पड़ने वाला है। वर्तमान के स्थिति में वोटर्स को अपने प्रदेश के एवं लोकसभा इलेक्शन पर अलग-अलग वोट देने पड़ते है। एक ही इलेक्शन होने पर वे एक साथ ही वोटिंग का अधिकार उपयोग कर सकेंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी इसके पक्ष में

एक देश-एक चुनाव के मामले पर पीएम मोदी हमेशा से ही एकमत होकर समर्थन देते रहे है। इस बात के लिए पहले सर्वदलीय मीटिंग भी हुई है। वैसे इस मीटिंग में कोई खास फैसला नहीं हो पाया था।

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