भारत सरकार ने देशभर के बुजुर्गों, वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा शुरू की है। अब, यदि आपको किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो आप सिर्फ एक नंबर 14567 पर कॉल कर सकते हैं। यह टोल-फ्री नंबर देश में वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा और भलाई को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया है।
केंद्र सरकार का ट्वीट
केंद्र सरकार ने अपने आधिकारिक ट्वीट में जानकारी दी है कि वरिष्ठ नागरिक पेंशन से संबंधित समस्याओं, चिकित्सा सहायता की आवश्यकता, घर में उत्पीड़न, कानूनी मुद्दों पर जानकारी या किसी भी प्रकार की सहायता के लिए अब एल्डर लाइन नंबर पर टोल-फ्री कॉल कर सकते हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए देश की पहली हेल्पलाइन
केंद्र सरकार ने कहा है कि बुजुर्ग अनुभव की खान हैं और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ भावनात्मक लगाव की भी आवश्यकता होती है। सरकार उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें डरने या चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। यदि उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है, तो वे बिना किसी चिंता के इस टोल-फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं। उनकी समस्याओं को सुना जाएगा और उनका समाधान किया जाएगा।
यह नंबर क्यों जारी किया गया?
भारत सरकार ने देश का पहला ऑल-इंडिया टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14567 जारी किया है। इसका नाम “एल्डर लाइन” रखा गया है। इस हेल्पलाइन के माध्यम से, वरिष्ठ नागरिक अब अपनी पेंशन से संबंधित जानकारी और कानूनी मामलों पर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इसके साथ ही, वे घर में होने वाले दुर्व्यवहार के मामलों में भी मदद ले सकेंगे। यह बेसहारा बुजुर्गों के लिए भी एक मदद का साधन बनेगा।
इस हेल्पलाइन से सभी प्रकार की परेशानियां दूर होंगी
इस हेल्पलाइन के माध्यम से सरकार का लक्ष्य सभी वरिष्ठ नागरिकों की मदद करना और उनकी मन की चिंताओं को दूर करना है। इसके साथ ही, उनके जीवन से जुड़ी हर छोटी-मोटी परेशानी का भी समाधान किया जा सकेगा। आपको बता दें कि टाटा ट्रस्ट द्वारा सबसे पहले हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की गई थी।
2050 तक 20% होगी बुजुर्गों की आबादी
देश में 2050 तक बुजुर्गों की आबादी 20% तक हो जाएगी। इस आयु वर्ग के लोगों में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और कानूनी सहित कई तरह की समस्याएं देखी जाती हैं। इस हेल्पलाइन के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर मदद देने का लक्ष्य रखा गया है।
नीति आयोग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2050 तक बुजुर्गों की संख्या 50% तक पहुंच जाएगी। ऐसे में उनकी सामाजिक सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर है। इसके लिए नियोजन की आवश्यकता है।
बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा राष्ट्र का कर्तव्य
सुप्रीम कोर्ट भी अपने फैसले में कह चुकी है कि बुजुर्गों को भावनात्मक और मानसिक लगाव की आवश्यकता होती है। वे अपने परिवार और बच्चों के साथ सुरक्षित महसूस करते हैं, लेकिन आज के एकल परिवार के कारण बच्चे अपने माता-पिता की देखभाल नहीं कर पाते हैं। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उनका शोषण न हो और उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिले।
आज के बदलते समय में, एकल परिवार एक आम बात हो गई है। ऐसे में, बच्चों के लिए माता-पिता की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है। कामकाजी महिलाएं और पुरुष दोनों ही समय की कमी से जूझ रहे हैं, जिसके कारण वे अपने बुजुर्ग माता-पिता को पर्याप्त समय और ध्यान नहीं दे पाते हैं।
इसके अलावा, बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याएं, अकेलापन, और भावनात्मक उतार-चढ़ाव जैसी समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं। बुजुर्गों को अपने परिवार और बच्चों के साथ रहना और उनका प्यार और समर्थन पाना बहुत जरूरी होता है।