वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, ओमीक्रॉन का एक नया वेरिएंट ईजी 5.1 से विश्वभर में कोरोना के केस में उछाल देखने को मिला है। ईजी 5.1 को विश्वभर में ट्रेस हुआ है और खासकर अमेरिका एवं एशिया में इसका अधिक असर है। अभी पिछले कुछ महीनों में कोरोना के केसो में कमी आने से आम लोगो और सरकार ने थोड़ी राहत की साँसे जरुरी ली थी। उसके बाद डब्लूएचओ ने मई में कहा था कि अब कोविड हेल्थ एमरजेंसी नहीं है।
किन्तु अभी की अपनी वीकली अपडेट में डब्लूएचओ ने बयान जारी किया है कि विश्वभर में रिपोर्ट हुए नए कोविड-19 के केसो में 80 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी देखी गई है। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है – ‘यह वायरस फैलेगा और म्यूटेट होगा। इस कारण हॉस्पिटल में भर्ती और कभी-कभी मृत्यु होने के आँकड़ो में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट हुए केसो और मृत्यु का बिलकुल सही-सही डेटा देना तो कठिन है। चूँकि अभी महामारी के पहले फेज की तुलना में काफी कम टेस्टिंग एवं मॉनीटरिंग हो रही है।
नए वैरिएंट ईजी 5.1 को जाने
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) में वैज्ञानिक ने नाम सामने न लाने की शर्त पर बताया है – ‘ नए वैरिएंट के लिए चिंता जरूर है और इसका निर्माण XBB1.9 से हुई है। यद्यपि भारत में इसका कुछ विशेष प्रभाव नहीं है। हमारी रिसर्च में पाया गया अहा कि इसका एकमात्र केस जरूर देश के बाहर से आया होगा। स्पाइक प्रोटीन में म्युटेशन की वजह से अनुमान है कि ये दूसरे वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है।
नए वैरिएंट को लेकर चिंतित है डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ ने जानकारी दी है – ‘ओमिक्रोन वैरिएंट के सब-वैरिएंट ईजी 5.1 की वजह से अमेरिका एवं ब्रिटेन में केस बढ़ चुके है। इस साल जून में इस वैरिएंट के केस 7.6 फ़ीसदी बढ़ें थे, जोकि जुलाई में ही 17 फीसदी हो गए। इस तरह से एक ही महीने में केसो ने 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर ली।
डब्ल्यूएचओ के चीफ ट्रेड्रोस एडनॉम घेबियस की चेतावनी है कि ‘भविष्य में और घातक वेरिएंट के आने का खतरा है। यह केसो और जाने जाने में अचानक बढ़ोत्तरी होने की वजह बन सकता है।’ यूनिटेड नेशन की वीकली अपडेट के अनुसार संक्रमण के केस तो बढ़े है किन्तु मृत्यु दर में कमी आई है। मृतकों की तादात में 57 फीसदी आकर 2,500 रही है।
अभी तक 39 देशों में ईजी 5.1 की दस्तक
नए वैरिएंट को एरिस के नाम से भी जानते है। WHO ने ओमिक्रोन के वैरिएंट फैमिली में ईजी.5 ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया है। इसमें दो अन्य म्युटेशन F456L और Q52H है। स्पाइक प्रोटीन में Q52H म्यूटेशन की वजह से ईजी 5.1 का फैलाव ईजी 5 की तुलना में तेज़ होता है।
संक्रमण के अधिकांश केस वेस्टर्न पेस्फिक रीजन में रिपोर्टेड है। यहाँ पर संक्रमण में 137 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। यूएसए, यूके, फ़्रांस एवं जापान इत्यादि बहुत से देशों में पिछले हफ़्तों में केस बढ़े है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार इस टाइमपीरियड में सर्वाधिक नए केस इटली, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, ब्राजील एवं सिंगापुर में रिकॉर्ड हुए है। यदि बात करें मौतों के बारे में तो यह रूस, पेरू, कोरिया, ब्राजील एवं ऑस्ट्रेलिया में अधिक हुई है।
भारत में नए वैरिएंट की स्थिति
बात भारत की हो तो अभी तक तो सिर्फ 1 ही केस ईजी 5.1 का दर्ज़ हुआ है जोकि मई के महीने में रिपोर्ट किया गया है। वैसे इस केस के बाद से संक्रमितों एवं हॉस्पिटल में एडमिट होने वालो की संख्या में कुछ विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के अनुसार, ‘देश में नए वैरिएंट के संक्रमण के केसो के लिए चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। संक्रमण की स्थिति पर निगाह रखी जा रही है। जीनोम सिकलेंसिंग के द्वारा इस नए वैरिएंट पर निगाह रखी जा रही है।
इम्युनिटी को चकमा देने की क्षमता
खबरों के अनुसार कोरोना के नए वैरिएंट से संक्रमित लोगो में गंभीर लक्षण नहीं दिखे पाए है। अधिकतर मरीज तेज़ बुखार, सामान्य सर्दी, बदन दर्द एवं सर के दर्द से ही जूझ रहे है। अभी मरीजों में घातक बीमारी अथवा हॉस्पीटल में एडमिट होने के केस नहीं दिखे है। लेकिन प्रतिरक्षा को गच्चा देने की विशेषता के कारण से भविष्य में केसो में बढोत्तर दिख सकती है।