91 क्यों लगता है फ़ोन नंबर के आगे क्या है इसकी वजह, कैसे मिलता है ये कोड किसी

पिछले कुछ दशकों में देश में हुई टेलीकॉम क्रांति के बाद अब मोबाइल फ़ोन लोगों के लिए उतना ही जरूरी हो चुका है जैसी खाना, कपडे और जूते। साथ ही ये फ़ोन लोगों की जिंदगी को ज्यादा सरल और आधुनिक भी बनाता है। अपनी उपयोगिता के कारण ही मोबाइल फ़ोन लोगों की जिंदगी का ऐसा ... Read more

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Reported by Sheetal

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पिछले कुछ दशकों में देश में हुई टेलीकॉम क्रांति के बाद अब मोबाइल फ़ोन लोगों के लिए उतना ही जरूरी हो चुका है जैसी खाना, कपडे और जूते। साथ ही ये फ़ोन लोगों की जिंदगी को ज्यादा सरल और आधुनिक भी बनाता है। अपनी उपयोगिता के कारण ही मोबाइल फ़ोन लोगों की जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन चुका है कि उनका कोई भी काम इसके बगैर पूरा नहीं होता है। काम पढ़ाई से सम्बंधित हो अथवा बैंक से, बिना पूरा भी नहीं हो सकता है। लेकिन क्या आप जानते है की नंबर से पहले 91 क्यों लगता है

लेकिन आज भी एक मोबाइल फ़ोन का सबसे जरुरी काम है कालिंग। किसी भी इंसान को कुछ नंबर डायल करने के बाद बड़ी आसानी से कई किलोमीटर दूर बैठे शख्स से बात करने की सुविधा मिलती है। लेकिन असभ्य लोगों के फ़ोन कॉल करते समय यह जरूर ध्यान दिया होगा कि हर भारतीय मोबाइल के शुरू में +91 नंबर का कोड जरूर लगा होगा है। बहुत से मोबाइल यूजर यह भलीभाँति जानते है कि ये कोड ‘भारत का कोड’ है। किन्तु यदि यह पूछा जाए कि भारत का कोड +91 ही क्या रखा गया है। जिन लोगों को इस वजह की जानकारी नहीं है वो यह लेख ध्यान से पढ़कर जान सकते है।

91 क्यों लगता है फ़ोन नंबर के आगे क्या है इसकी वजह, कैसे मिलता है ये कोड किसी

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ITU यह कंट्री कोड प्रदान करता है

मोबाइल नंबर के शुरू होने पर कंट्री कालिंग कोड अथवा कंट्री डायल-इन कोड्स का इस्तेमाल किया जाता है। इस कोड से इंटरनेशनल टेलेकमुनिकशन यूनियन (ITU) के सदस्य अथवा उस क्षेत्र में स्थित टेलीकॉम ग्राहक से संपर्क कर सकते है। इसी प्रकार से भारत को +91 और पाकिस्तान को +92 कोड प्रदान किया गया है। आईटीयू एक विशेष एजेंसी होने के साथ यूनिटेड नेशन (UN) का भी भाग है। यह एजेंसी 17 मई 1865 से सूचना एवं संचार के सम्बंधित मामलों को सम्हालता है। दुनियाभर के करीबन 193 राष्ट्र इस संघ के मेंबर है। यह कंट्री कोड इसी एजेंसी द्वारा प्रदान किया जाता है।

भारत को “+91” कोड मिलने की वजह

ये कंट्री कोड तब काम में आता है जब एक देश से दूसरे देश में फ़ोन कॉल की जाती है। साथ ही अपने ही देश के अंदर किसी से संपर्क करने पर ये कोड स्वतः ही लग जाता है। किन्तु कोई भी अंतर्राष्ट्रीय फ़ोन कॉल को करने से पहले इस कोड को लगाना बेहद अनिवार्य है। किसी भी देश का कंट्री कोड लगाने से पहले उस देश के जोन अथवा जोन में उसके नंबर के अनुसार तय करते है। उदाहरण के लिए हमारे देश भारत की स्थिति 9वें जोन में है तो इस जोन में ज्यादातर मिडिल ईस्ट एवं दक्षिण एशिया के देश शामिल है। इस जोन में भारत का 1 कोड है, जिस वजह से इंडिया को +91 कोड प्रदान किया गया।

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कोड “+” का इस्तेमाल जाने

इस कोड में “+” को इंटरनेशनल डायरेक्ट डाइलिंग (IDD) अथवा इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डाइलिंग (ISD) कहा जाता है। इसको सरल शब्दों में बताये तो + वह कोड लेटर है जिसको इंटरनेशनल कॉल करते समय प्रयोग करना अनिवार्य है। इण्डिया, नेपाल एवं कुछ अन्य देशों को 00 IDD कोड दिया गया है। इसी प्रकार से कुछ देशों को 001 IDD कोड या फिर कोई अन्य कोड प्रदान किया गया है। अब यदि कोई मोबाइल उपभोक्ता अपने फ़ोन से किसी इंटरनेशनल नंबर को डाइल करता है तो उसे नंबर के पहले IDD कोड, इसके बाद कंट्री कोड और अंत में संपर्क करने वाले नंबर को टाइप करना होगा। किन्तु यदि उपभोक्ता मोबाइल से मोबाइल नंबर पर संपर्क करता है तो उसे IDD कोड के स्थान पर “+” कोड को प्रयोग करना होगा।

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