आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में महिलाओं के बारे में कई बातें कही हैं। उन्होंने कुछ ऐसी महिलाओं का भी जिक्र किया है जो घर में आने से संकट ला सकती हैं। अर्थात आपको इनसे बच कर रहना होगा वरना यह आपके घर के साथ आपके जीवन को ही कर सकती है बर्बाद। आइए जानते हैं इस जानकारी के विषय में……
कौन सी तीन स्त्रियाँ ला सकती हैं संकट?
चाणक्य के अनुसार, ऐसी स्त्रियाँ जो निम्नलिखित गुणों वाली हैं, वे घर में संकट ला सकती हैं:
- जरूरत से ज्यादा बात करने वाली
- गुस्से में रहने वाली स्त्री
- झूठ बोलने वाली
1. जरूरत से ज्यादा बात करने वाली
चार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में जरूरत से ज्यादा बात करने वाली स्त्री के बारे में भी कई बातें कही हैं। उन्होंने कहा है कि जरूरत से ज्यादा बात करने वाली स्त्री भी घर में कलह और विवाद का कारण बनती है। वह परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव पैदा करती है। इससे घर का माहौल खराब हो जाता है और संकट पैदा हो जाता है।
चाणक्य का मानना है कि जरूरत से ज्यादा बात करने वाली स्त्री कभी भी संतुष्ट नहीं रहती है। वह हमेशा दूसरों की बातों का विरोध करती है। वह अपनी बात मनवाने के लिए दूसरों से झगड़ती रहती है। इससे घर का माहौल खराब हो जाता है।
चाणक्य ने जरूरत से ज्यादा बात करने वाली स्त्री के बारे में एक श्लोक भी लिखा है, जो इस प्रकार है:
बहुभाषिणी नारीणां मधुरो वाणी न भवति।
क्षीरं विषवत् तत्सर्वं कुर्वन्ति नृणां हन्ति।।
इस श्लोक का अर्थ है कि बहुत बात करने वाली स्त्रियों की मीठी वाणी भी विष के समान होती है। वे अपने मीठे बोलों से दूसरों को मूर्ख बनाती हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाती हैं।
2. गुस्से में रहने वाली स्त्री
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में गुस्से में रहने वाली स्त्री के बारे में भी कई बातें कही हैं। उन्होंने कहा है कि गुस्से में रहने वाली स्त्री भी घर में कलह और विवाद का कारण बनती है। वह परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव पैदा करती है। इससे घर का माहौल खराब हो जाता है और संकट पैदा हो जाता है।
चाणक्य का मानना है कि गुस्से में रहने वाली स्त्री कभी भी सुखी नहीं रह सकती है। वह हमेशा किसी न किसी बात से नाराज रहती है। वह अपने गुस्से को दूसरों पर निकालती है। इससे परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचता है।
चाणक्य ने गुस्से में रहने वाली स्त्री के बारे में एक श्लोक भी लिखा है, जो इस प्रकार है:
क्रोधाग्रणी स्त्रीणां न सुखं कदाचित्।
कुत्रचित् स्थातुं ते न धीरा: स्युः।।
इस श्लोक का अर्थ है कि गुस्से में रहने वाली स्त्रियों को कभी भी सुख नहीं मिल सकता है। वे कभी भी किसी जगह टिक नहीं सकती हैं।
3. झूठ बोलने वाली स्त्री
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में झूठ बोलने वाली स्त्री के बारे में कई बातें कही हैं। उन्होंने कहा है कि झूठ बोलने वाली स्त्री घर में कलह और विवाद का कारण बनती है। वह परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव पैदा करती है। इससे घर का माहौल खराब हो जाता है और संकट पैदा हो जाता है।
चाणक्य का मानना है कि झूठ बोलने वाली स्त्री कभी भी भरोसे के लायक नहीं होती है। वह हमेशा अपने स्वार्थ के लिए झूठ बोलती है। वह दूसरों को धोखा देकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करती है।
चाणक्य ने झूठ बोलने वाली स्त्री के बारे में एक श्लोक भी लिखा है, जो इस प्रकार है:
अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलोभिता।
अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषा: स्वभावजा:।।
इस श्लोक का अर्थ है कि झूठ बोलना, छल-कपट करना, मूर्खता, अत्यधिक लोभ और अपवित्रता स्त्रियों के स्वभावगत दोष हैं। चाणक्य की इस नीति से हमें यह सीख मिलती है कि हमें झूठ बोलने वाली स्त्रियों से बचना चाहिए।
चाणक्य का मानना है कि ऐसी स्त्रियाँ घर में कलह और विवाद का कारण बनती हैं। वे परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव पैदा करती हैं। इससे घर का माहौल खराब हो जाता है और संकट पैदा हो जाता है। चाणक्य की इस नीति से हमें यह सीख मिलती है कि हमें ऐसी स्त्रियों से बचना चाहिए जो इन गुणों वाली हों।