भारत की ओर से भेजे गए चन्द्रयान-3 की पाँचवी एवं अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक एंट्री हो गई है। अभी लैंडर विक्रम के अलग होने की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। इसरो ने जानकारी दी थी कि 17 अगस्त की सुबह को लैंडर अलग हो जायेगा। इसके बाद अभी प्रोपल्शन मॉड्यूल एवं विक्रम लैंडर अलग होने को तैयार है। इसका अर्थ है कि देश के चंद्रयान-3 के चाँद पर उतरने में थोड़े ही दिन बचे है।
अब पौने चार लाख किमी की दूरी में से बच गई 100 किमी को प्रोपल्शन मॉड्यूल अपने आप ही तय करेगा। चन्द्रमा के 2 बार परिक्रमा लगाकर अपनी ऊँचाई एवं स्पीड को कम करेगा। अपनी स्पीड को कम करने के लिए अपने इंजनों यानी थर्स्टर्स को यूज करेगा। फिर 23 अगस्त में शाम पौने छह बजे के करीब चाँद पर उतरने वाला है।
अभी 18 और 20 अगस्त में होने वाले डीओर्बिटरिंग से विक्रम लैंडर को 30 किमी के पेरील्यून और 100 किमी के एपोल्यून आर्बिट में डालेंगे। एपोल्यून मतलब चन्द्रमा की जमीन से कम दूरी और फिर विक्रम को बची दूरी अपने आप तय करनी होगी। विक्रम लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद ऑर्बिट में चक्कर नहीं लगाएगा। वो 30×100 किमी के अंडाकार ऑर्बिट में घूमने के लिए 2 बार डिऑर्बिटिंग करेगा।
चन्द्रमा पर लैंड होगा विक्रम
विक्रम अब चाँद की जमीन पर रोवर के साथ उतरने वाला है और लैंडिंग के बाद लैंडर से रोवर अलग होगा। इस यान का तीसरा प्रमुख भाग प्रोपल्शन मॉड्यूल है जोकि लैंडर एवं रोवर के साथ ही आकाश में गया है। प्रोपल्शन मॉड्यूल का कार्य लैंडर ईवा रोवर को लेकर जाने का है। आज विक्रम एवं रोवर को अलग करने पर ही प्रोपल्शन मॉड्यूल का कार्य पूर्ण होना है। अब अपनी ऊँचाई और स्पीड में कमी करेगा जिसके लिए इसके इंजनों की रेट्रोफायरिंग भी की जाएगी, मतलब इनको विपरीत दिशा में घुमाएंगे।
अब प्रोपल्शन मॉड्यूल क्या करेगा?
अब प्रोपल्शन मॉड्यूल चन्द्रमा में अंतिम कक्षा तक विक्रम एवं रोवर के साथ ही रहेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर एवं रोवर को चन्द्रमा की कक्षा में 100 किमी की ऊँचाई से छोड़ा जायेगा। फिर प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर एवं रोवर से कम्युनिकेशन को कायम रखने हेतु चक्कर लगएगा। यहाँ से डाटा लेकर धरती पर भेजने की प्रक्रिया करेगा।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 17, 2023
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).
LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
ओर्बिट्स में प्लान के अनुसार थोडा अंतर
16 अगस्त के दिन चंद्रमा के चारो ओर चन्द्रयान-3 का अंतिम आर्बिट मैन्युवर किया था। अब चंद्रयान 153×163 किमी के ऑर्बिट में है। इसकी लॉन्चिंग के समय इसरो के प्रमुख डॉ एस. सोमनाथ के बताया था कि चंद्रयान-3 को 100 किमी की गोलाकार ऑर्बिट में लाया जायेगा और फिर प्रोपल्शन एवं विक्रम लैंडर मॉड्यूल अलग हो जायेंगे।
चन्द्रयान-3 के ऑर्बिट का अंतर चिंता नहीं
इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक के मुताबिक चंद्रयान-3 को 100 से 150 किमी के गोलाकार ऑर्बिट में डालने की योजना थी। अभी भी ऐसी प्लानिंग ही है, इसके लिए निर्णय हाल में ही लिया गया है। 16 अगस्त के दिन चन्द्रयान-3 ने जिस ऑर्बिट को पाया वो उसी निर्णय का रिजल्ट है। अब लैंडिंग होने में सिर्फ 6 दिन ही बाकी है।
अभी असली परीक्षा होनी है
इसरो अध्यक्ष इस सोमनाथ ने बताया कि इस लैंडिंग का महत्वपूर्ण भाग लैंडर की गति को 30 किमी ऊँचाई से आखिरी लैंडिंग तक लाने का प्रोसेस है। अब हमको अपनी योग्यता दिखाते हुए वाहन हो हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल दिशा में पहुँचाने की प्रक्रिया करनी है। इसके स्टेप्स को काफी बार दोहरा दिया गया है। इन सब स्टेप्स की जरुरी प्रोसेस को कण्ट्रोल करने एवं सही लैंडिंग करने के प्रयास में अल्गोरिदम लगा दिए है। अब 23 अगस्त के दिन लैंडर की चन्द्रमा पर लैंडिंग देश के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।