उत्तरी भारत के कुछ शहरो में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। एक बड़ी तादात में लोगो को डेंगू की बीमारी से जूझते देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में डेंगू (Dengue) के संक्रमण के लक्षणों की सही जानकारी होना काफी जरुरी हो जाता है। वैसे तो अधिकाशं लोगो को जोड़ो के दर्द, तेज़ फीवर एवं प्लेटलेटस के कम होना इत्यादि लक्षणों की ही जानकारी है किन्तु इतनी जानकारी काफी नहीं है।
डेंगू से संक्रमित व्यक्ति को कुछ अन्य लक्षणों से भी पहचाना जा सकता है। ये अलग लक्षण डेंगू की बीमारी के विभिन्न प्रकारो से सम्बंधित है। ऐसे में सभी लोगो को डेंगू के इन दूसरे लक्षणों को जानना और दूसरो को जनवाना जरुरी हो जाता है। पहले से अन्य बीमारियों जैसे एचआईवी-एड्स, ब्लड प्रेशर इत्यादि से ग्रसित लोगो को विशेष देखभाल एवं सावधानी की जरूरत है।
बारिश के बाद डेंगू का प्रकोप बढ़ता है
उत्तर भारत में बरसाती सीजन के बाद यानि सितम्बर एवं अक्टूबर में डेंगू के संक्रमण बढ़ने के मामले सामने आते है। मरीज में डेंगू के काटने के 4 से 10 दिन बाद ही बुखार के लक्षण प्रकट होने शुरू होते है। ऐसे में मरीज को तेज़ फीवर होना और शरीर में दर्द सहित कमजोरी का अनुभव होता है। मरीज की बॉडी में अंदरूनी रक्त का स्रव भी होने लगता है।
बुखार न उतरने की दशा में टेस्ट जरुरी
यदि किसी इंसान को बार-बार बुखार हो रहा है 2 से 3 दिनों तक बुखार में सुधार भी नहीं हो रहा हो तो उस व्यक्ति के खून की जाँच होनी जरुरी है। डेंगू की बीमारी का पता ब्लड टेस्ट से ही चलता है।
धर्मनगरी हरिद्वार में डेंगू का कहर
हरिद्वार में बड़ी तादात में डेंगू के मरीज गवर्नमेंट हॉस्पिटल में एडमिट हो रहे है। मंगलवार के दिन 36 रोगियों की एलाइजा चेकअप में 16 लोग डेंगू से संक्रमित पाए गए है। नए केस सहित जनपद में डेंगू के रोगियों की संख्या 141 हो चुकी है। दूसरी तरफ जिले का आइसोलेशन वार्ड भी डेंगू संक्रमितों से भर चुका है।
सामान्य डेंगू का बुखार (Mild Dengue Fever)
अधिकांश लोगो को डेंगू का सामान्य बुखार आता है जिसमे प्लेटलेट्स में कमी आती है। वैसे आम लोगो के लिए ये बुखार अधिक चिंताजनक नहीं होता है। ऐसे में बॉडी में तेज़ दर्द के साथ फीवर होने लगता है। इसके साथ ही बॉडी में रेशेज भी देखने को मिलते है और जोड़ो में दर्द की शिकायत होती है। ऐसे लक्षण होने पर व्यक्ति में डेंगू होने की पुष्टि होती है।
डेंगू हमरेजिक फीवर (Dengue Hemorrhagic fever)
डेंगू के सामान्य बुखार की तुलना में ये बुखार काफी चिंताजनक होता है चूँकि ये फीवर वयक्ति के सर पर भी चढ़ने लगता है। बीमार के नाक एवं मसूड़ों से खून का स्त्राव होता है। बीमार की हालत बिगडने पर उनको खुनी उलटी भी होने लगती है। ऐसे में इस वाले फीवर को कमतर आंककर लाहपरवाही करना जानलेवा हो सकता है।
डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock syndrome)
ये डिंगू बीमारी के सर्वाधिक घातक प्रकार में से एक पहचाना जाता है। ऐसे में बीमार का ब्लड प्रेसर कम हो जाता है और मूर्छा आने लगी है। इस प्रकार के डेंगू में बीमार को एक से अधिक बार बेहोशी आ जाती है।
डेंगू से रिकवर करने के उपाय
डॉक्टर की राय में डेंगू से संक्रमित मरीज को भरपूर मात्रा में पानी को पीते रहना चाहिए और साथ में तरल भोज्य पदार्थ को भी लेते रहना होगा। जितना हो सके अपने शरीर को आराम दें। तरल भोजन बॉडी में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। सेहतमंद वस्तुओं को लेने से बॉडी में प्लेट्सलेट्स की मात्रा को मेन्टेन किया जा सकेगा।
रोगी के प्लेट्सलेट्स का काउंट लेने के लिए प्रतिदिन रोगी का ब्लड टेस्ट होना जरुरी है। प्लेटलेट्स का काउंट घटने की दशा में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरुरी हो जाता है।