धूल के महीन कणों से होने वाली एलर्जी को जाने, इससे बचाव के उपाय एवं उपचार भी जानें

एक सर्वे में कहा गया है कि भारत के 7 लोग में से 1 ही घर की स्वच्छता पर गंभीर है। किन्तु डायसन ग्लोबल डस्ट स्टडी की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के बाद देश के 61 फ़ीसदी लोग घर की स्वच्छता को लेकर जागरूक हुए है। घरों में जमा होने वाले धूल, एलर्जी तो लाती ... Read more

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Reported by Pankaj Yadav

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एक सर्वे में कहा गया है कि भारत के 7 लोग में से 1 ही घर की स्वच्छता पर गंभीर है। किन्तु डायसन ग्लोबल डस्ट स्टडी की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के बाद देश के 61 फ़ीसदी लोग घर की स्वच्छता को लेकर जागरूक हुए है। घरों में जमा होने वाले धूल, एलर्जी तो लाती ही है किन्तु ये लोगों में साँसो के रोग भी बढ़ाते है।

अब वायरल बुखार से पीड़ित होने वाले मरीजों में 20 प्रतिशत को एलर्जिक अस्थमा होता है। इनमें हलके राइनाइटिस से घातक किस्म की एलर्जी वाले मरीज होते है। बारिश के मौसम के जाने एवं सर्दी के आने के बाद ठंडक एवं हवा में सूखापन बढ़ जाता है। महीन मिट्टी के कण एवं परागकण भी हवाओं में दूर तक जाते है। ये सभी एलर्जी को ट्रिगर करते है।

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एलर्जी क्या है?

एलर्जी एक चिकित्सकीय दशा है जिसमे व्यक्ति किसी चीज को खाने एवं उसके कांटेक्ट में आने से खुद को असहज अथवा रोगी फील करता है। यह उस समय हो जाती है जब बॉडी की रोग प्रतिरोधक प्रणाली मानती है कि कोई खास चीज बॉडी के लिए नुकसानदायक है।

ऐसी स्थिति में आने के बाद बॉडी की रोग प्रतिरोधक प्रणाली से एंटीबॉडीज पैदा होने लगते है। ये बॉडी के एलर्जी कोशिकाओं को एक्टिव करते है ताकि ब्लड में खास केमिकल्स का प्रवाह हो सके। ऐसा ही एक केमिकल है हिस्टामिन। ये केमिकल आँखों, नाक, गले, फेफड़े, स्किन एवं पाचन के रास्ते पर काम करता है।

बॉडी के द्वारा एलर्जन के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाने पर यह एलर्जन को सरलता से पहचानने लगता है। अमेरिका में हुए शोध के अनुसार दुनिया के 8 से 10 प्रतिशत लोगो एक या फिर ज्यादा प्रकार की एलर्जी है।

डस्ट एलर्जी

धूल से सांसो को होने वाली एलर्जी सबसे प्रमुख है। ऐसे लोगों को पेण्ट वाली जगह, धूल भरे मार्गों से गुजरते समय अपने आप को बचाने की जरूरत रहती है। ये फेफड़ों से लेकर सम्पूर्ण सांसो के तंत्र पर बुरा प्रभाव डालते है। ऐसे लोगों को धूल के संपर्क में आने पर कुछ खास लक्षण (dust allergy) भी देखने को मिलते है।

धूल में सिर्फ मिटी ही नहीं होती है बल्कि कुछ सूक्ष्म जीव भी होते है जो कि आँखों से दिखते भी नहीं है। ऐसी धूल में माइट्स, फफूंद, परागकण, मृत स्किन एवं पालतू पशुओं के बाल भी होते है। ऐसी हवा में साँस लेने पर दमे के रोगी की स्थिति ख़राब हो जाती है।

साफ-सफाई का तरीका बदले

  • नियमित स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे और गंदगी को अधिक समय तक एक स्थान पर न टिकने दें।
  • झाड़ू लगाते समय धूल के महीन कण उड़कर दीवारों एवं फर्नीचर्स में चिपक जाते है तो ऐसे में अधिक कचरा होने पर ही झाड़ू लगाए अन्यथा पोंछा लगा सकते है।
  • सफाई में वेक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल अच्छा रहेगा हफ्ते में एक बार तो दीवारों, दरवाजों एवं फर्नीचर्स पर इसका इस्तेमाल करें।
  • हफ्ते में एक बार अपनी चादर एवं तकिये को अवश्य धोये।
  • बाहर के जूतों एवं चप्पलों को घर में न लेकर आए।

एलर्जी के उपचार को जाने

ऐसी लोगों को एलेर्जन से बचना चाहिए और इसका (dust allergy) इलाज भी होता है। एलर्जी को जड़ सहित हटाने में अपने खून की जाँच एवं त्वचा का टेस्ट करवाना होता है। इसे जानकारी मिलती है कि व्यक्ति को किस चीज से एलर्जी है। उसी चीज को प्यूरीफाई करने के बाद व्यक्ति को देने से बॉडी में इसको लेकर इम्युनिटी बढ़ जाती है। ऐसे लोग साँसो के प्राणायाम कर सकते है।

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एलर्जी से बचाव में ये फल खाए

एलर्जी के असर को कम करने के लिए अपने खान पान को बदलना भी जरुरी है। अपने भोजन में ग्रीन टी, हल्दी, शहद, इलायची, सूखा मेवा, टमाटर, अदरक, प्याज, लहसुन, दही एवं चिकन आदि को लें। शराब एवं स्मोकिंग पर लगाम कसे चूंकि ये इम्युनिटी को कम करेंगे।

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