इस बार की जन्माष्टमी को लेकर कुछ संशय जरूर होने लगे है चूँकि कुछ के अनुसार जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्यौहार 26 अगस्त 2024 को है शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्ठमी तिथि को हुआ था। श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में होने के कारण इस नक्षत्र का भी ध्यान रखते है।
जन्माष्टमी का सही दिन एवं समय (Date and Time)
- निशीथ काल पूजा का समय: 12:06 AM से 12:51 AM (26 अगस्त, 2024)
- पारण का समय: 27 अगस्त, 2024 (मंगलवार) को सुबह 8:59 AM से 9:23 AM तक
भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति
अधिकांश श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बाल रूप कृष्णजी की मूर्ति को ही स्थापित करते है। वैसे भक्त अपनी इच्छा के अनुसार भी भगवान की मूर्ति को ला सकते है। वैवाहिक जीवन के लिए राधा-कृष्ण की मूर्ति की स्थपना करना शुभ रहेगा। संतान की कामना पूर्ति के लिए बाल रूप कृष्णजी की मूर्ति की स्थापना करें। धन प्राप्ति के लिए कामधेनु गाय के साथ कृष्णजी की मूर्ति ला सकते है।
जन्माष्टमी मनाने की विधि
इस दिन सबसे पहले स्नान करके व्रत, पूजा करने का संकल्प लें और दिन में जल एवं फल को लेते रहे। दिनभर सात्विकता बनाये रखते हुए रात्रि के समय श्रीकृष्ण की धातु की मूर्ति को थाली में रखे। सबसे पहले दूध, दही, शहद, शक्कर एवं आखिरी में घी से स्नान करवाते हुए अर्पित करें। ये पंचामृत स्नान कहलाता है और इसके बाद मूर्ति को पानी से नहला दें।
सभी वस्तुओ पर शंख का पानी अर्पित करना है। पूजन करने वाले व्यक्ति को इस दिन काले एवं सफ़ेद कपडे धारण नहीं करने है। अपनी मनोकामना के हिसाब से मन्त्र का जप करने के बाद प्रसाद को स्वयं लेकर दूसरो को भी दें।
पूजन के लिए मन्त्र
वैसे तो श्रीकृष्ण भगवान का नाम ही अपने आप में एक मन्त्र है जिसको भक्त जप कर सकते है। चाहे तो ‘हरे कृष्ण’ मन्त्र का जप भी कर सकते है। जिंदगी में प्यार एवं ख़ुशी की इच्छा रखने वाले ‘मधुराष्टक’ का पाठ कर सकते है। भगवान कृष्ण को गुरु की तरह से पाने की इच्छा रखने वाले लोग ‘श्रीमद्भागवत गीता’ का पाठ कर सकते है। मन की सभी इच्छाओं की पुर्ति के लिए ‘गोपाल सहस्रनाम’ का पाठ करना है।
मोर पंख से खुशहाली लाए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मोरपंख काफी शुभ होता है जोकि व्यक्ति और वास्तु की दृष्टि से घर के लिए शुभ माना जाता है। मारोपंख से पैसो की समस्या दूर होगी, गृह क्लेश कम होगा, दाम्पत्य जीवन सुधरेगा और घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी।