Ganesh Chaturthi: देशभर में आज से गणेशोत्सव का पर्व, गणेश चतुर्थी की कथा, मुहूर्त, पूजन-विधि एवं मन्त्र जाने
आज के दिन से देशभर में गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जायेगा और भक्त अपने घरो में गणपति की स्थापना करके उनके सुख-शांति की कामना करने वाले है। सभी को गणपति की स्थापना का सही समय एवं विधि को जान लेना चाहिए।

इस वर्ष 19 सितम्बर के दिन गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का उत्सव बड़े उल्लास के साथ मनाया जायेगा। गणपति के भक्त 10 दिनों तक इस त्यौहार के रंग में रंगे रहने वाले है। इस प्रकार से 28 सितम्बर तक गणेशोत्सव मनाया जायेगा और घर-घर में गणेशजी की स्थापना और पूजन होगा।
शास्त्रों के अनुसार गणेशजी का जन्म भादौ की चतुर्थी में दूसरे पहर में होने का वर्णन है और उस दिन स्वाति नक्षत्र एवं अभिजीत मुहूर्त था। इसी प्रकार का संयोग इस बार की गणेश चतुर्थी पर भी बना है। इसी दिन और समय पर दिन के सूरज के ठीक सिर के ऊपर होने पर माँ पार्वती ने गणेशजी की मूर्ति को बनाया था और शिवजी ने इसमें प्राण डाले थे।
आज गणेशजी के पूजन के लिए 2 संयोग रहने वाले है। यूँ तो दिन के समय ही गणेशजी की स्थापना एवं पूजन का काम होना चाहिए किन्तु समय न मिल पाने पर शुभ लग्न अथवा चौघड़िया मुहूर्त में भी गणेशजी को स्थापित कर सकते है।
गणेश चतुर्थी की कथा
शास्त्रों में वर्णित कथा के मुताबिक इस दिन ही माँ पार्वती एवं शिवजी ने गणेशजी को निर्मित करके प्राण डाले थे। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन ही गणेशजी ने महाभारत के लेखन कार्य की शुरुआत की थी। इन दोनों ही वजहों से गणेश चतुर्थी का महत्व काफी बढ़ जाता है।
ऐसी मान्यताएँ भी है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी में ही भगवान शिव ने गणेशजी को पुनर्जीवन दिया था। इससे पहले शिवजी ने ही गणेशजी को क्रोध में आकर सिर को धड़ से अलग कर दिया था। इसके बाद पार्वती जी के नाराज होने की वजह से उनमे हाथ का सिर्फ लगा दिया था।
गणपति की मूर्ति की स्थापना में जरुरी बातें
- सही दिशा का ध्यान रखें – गणपति की मूर्ति की दिशा हमेशा ईशान कोण में ही स्थापित करनी चाहिए और उनके मुँह को उत्तर की ओर रखना चाहिए। साथ ही पश्चिम दिशा में भी मूर्ति की स्थापना करना काफी अच्छा मानते है।
- मूषक वाली मूर्ति हो – गणपति की मूषक वाली मूर्ति ही लानी चाहिए। शास्त्रानुसार गणपतिजी के साथ मूषक एवं हाथ में मोदक होना शुभ होता है। इनके बिना गणपति का पूजन भी अधूरा रहता है।
- वाममुखी गणपति हो – गणपतिजी की मूर्ति को घर में लाते समय उनकी सूँड का विशेष ध्यान रखना होता है और वो मूर्ति के बाई तरफ होनी चाहिए। इस प्रकार की मूर्ति को वाममुखी गणेशजी कहते है जोकि शुभ कही जाती है।
- मूर्ति का रंग – भक्त अपने पसंद के रंग के गणपति घर ला सकते है और सफ़ेद एवं सिंदूरी लाल रंग के गणपति की प्रतिमा को काफी अच्छा मानते है। इस मूर्ति से घर में सुख-शान्ति का वातावरण रहता है।
घर में मूर्ति स्थापना का समय
- प्रातः 9:30 से 11 बजे तक
- प्रातः 11:25 से दोपहर 2 बजे तक
पूजन का मन्त्र
ॐ गं गणपतये नमः – मंत्र का उच्चारण करते हुए ही पूजन करें।

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गणपति की पूजा-विधि
- मिट्टी के गणपति में सबसे पहले पानी और उसके बाद पंचामृत को कुछ बून्द डाले।
- साफ़ पानी छिड़कने के बाद घातु की प्रतिमा का अभिषेक करें।
- मूर्ति में मौली एवं जनेऊ चढ़ाकर चन्दन, चावल, अबीर एवं गुलाल लगा दें।
- मूर्ति पर कुमकुम, अष्टगंध, हल्दी, मेहंदी, इत्र एवं माला-पुष्प अर्पित करें।
- फिर गुड़, दूर्वा चढ़ाने के बाद धूप-दीप अर्पित करें।
- इस समय के कोई भी अच्छे फल, सूखे मेवे, मोदक एवं दूसरे मिष्ठान का नैवेध लगाए।
- गणपति को आचमन के लिए मूर्ति के समीप ही किसी बर्तन में 5 बार पानी छोड़े।
- पान के पत्ते में लौंग-इलायची को रखने के बाद अर्पित करना है।
- अंत में दक्षिणा चढ़ाकर आरती करें और प्रसाद का वितरण भी कर दें।