‘नीलावंती ग्रंथ’ एक शापित ग्रन्थ जिसको पढ़कर पढ़ने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो

यक्षिणी प्राचीन समय में उत्तर प्रदेश राज्य के छोटे से गाँव के निवासी की बेटी थी। इस लड़की के पांच साल है होने पर माँ मर गई। इस बच्ची को 'नीलवन्ती' नाम से जानते थे।

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Reported by Pankaj Yadav

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पौराणिक ग्रन्थ को पढ़ने का शौक बहुत से लोगो में देखा जाता है। लेकिन आज हम ऐसे ग्रन्थ के बारे में बताने जा रहे है जिसको पढ़ने से पाठक मर जाता है और कभी पागल भी हो जाता है। ये बात किसी हॉरर मूवी या भूतिया टीवी सीरियल की लगती है किन्तु इस बात के सत्य होने का दावा किया जाता है।

हमारे देश में शास्त्रों, पुराणों एवं आदिकाव्यों की कोई कमी नहीं है। बहुत से ग्रन्थ संस्कृत, पाली एवं अन्य लोक भाषाओ एवं लिपियों में उपलब्ध है। इनको पाठक पढ़कर अपनी जानकारी को बढ़ाते है। कुछ प्राचीन ग्रन्थ लोगो को शुभ एवं अच्छे परिणाम देते है। किन्तु एक ग्रन्थ इसके विपरीत पाठक को नुकसान देता है, ये शापित ग्रन्थ है।

नीलावंती ग्रंथ' एक शापित ग्रन्थ
नीलावंती ग्रंथ’ एक शापित ग्रन्थ

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भारत सरकार ने ‘नीलावंती ग्रंथ’ को बैन किया

देश की सरकार ने भी “नीलावंती ग्रंथ” (Nilavanti Granth) नामक शापित ग्रन्थ पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इसकी वजह है कि जिन भी लोगो ने लालच के चलते इसको पढ़ा है वो या तो मर गए या फिर पागल हो गए। इस प्रकार से बहुत ज्यादा केस सामने आने पर सरकार को प्रतिबन्ध का फैसला लेना पड़ा। दरअसल इस ग्रन्थ को एक शापित यक्षिणी ने लिखा है।

ग्रन्थ की रचना एक यक्षिणी ने की थी

शापित नीलावंती ग्रंथ की रचना एक यक्षिणी ने की थी जिसका नाम ‘नीलवंती’ था। किन्तु ग्रन्थ को लिखने के बाद यक्षिणी ने किसी वजह से इस किताब को ही श्राप दे दिया। श्राप के मुताबिक़ जो कोई भी व्यक्ति इस ग्रन्थ को गलत नियत से पढ़ता है तो वो मर जायेगा अथवा उसका दिमाग खराब हो जायेगा। भारत में महाराष्ट्र एवं दक्षिण के राज्यों में नीलावंती की ऐसे मिथक अधिकांश प्रचलित है।

यक्षिणी कौन थी?

यक्षिणी प्राचीन समय में उत्तर प्रदेश राज्य के छोटे से गाँव के निवासी की बेटी थी। इस लड़की के पांच साल है होने पर माँ मर गई। इस बच्ची को ‘नीलवन्ती’ नाम से जानते थे। इसके पिता को आयुर्वेद का ज्ञान था, ऐसे नीलवन्ती को भी जड़ी-बूटियों, पशुओं एवं पक्षियों की भाषा आ गई। उसके सपने में शैतान आकर गढ़े धन की जानकारी देते थे। किन्तु वास्तव में वो कन्या एक यक्षिणी ही थी जो यहाँ श्राप के कारण फसी थी।

भारत में उपलब्ध नहीं है ये ग्रन्थ

हिंदी साहित्य को पढ़ें तो उसमे नीलावंती ग्रंथ को लेकर लिखा जरूर गया है किन्तु अभी ये किताब कही भी नहीं मिल सकती है। शापित होने की वजह से इस ग्रंथ को देश में प्रतिबंधित किया गया है। वैसे ग्रन्थ को लेकर कही जा रही बात के कही भी प्रमाण नहीं मिलते है। यद्यपि कुछ ऑनलाइन वेबसाइट में नीलवन्ती ग्रन्थ के कुछ भाग और कहानी जरूर मिलती है किन्तु ये सच है अथवा काल्पनिक, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।

नीलावंती ग्रंथ में कौन सी बाते है

सभी के मन में एक प्रश्न जरूर आता है कि इस ग्रन्थ में किसी विषय में लिखा गया है। इस बारे में भी यही ज्ञात है कि इस ग्रन्थ को पढ़ने से पाठक को जानवरो एवं पक्षियों से बाते करने की क्षमता मिल जाती है। कुछ के अनुसार इस ग्रन्थ को पढ़कर व्यक्ति को गड़ें खजाने की भी जानकारी मिलती है। किन्तु साथ में ग्रन्थ को जो श्राप मिला है उसकी वजह से ऐसा नहीं होता है।

नीलावंती ग्रंथ को शापित करने की वजह

नीलवन्ती ने इस ग्रन्थ को तैयार करने के बाद इस वजह से शापित किया ताकि कोई सामान्य मनुष्य इसका गलत लाभ न ले सके। यक्षिणी के श्राप के मुताबिक़ जिस किसी व्यक्ति ने इस ग्रन्थ को लालची भावना से पूरा पढ़ लिया वो तुरंत ही मर जायेगा। और यदि वह व्यक्ति इस ग्रन्थ को आधा-अधूरा पढ़ता है तो उसका मानसिक संतुलन खराब हो जायेगा।

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