चीन ने भारतीय क्षेत्र के अरुणाचल प्रदेश एवं अक्साई चिन को अपना बताते हुए नया नक्शा जारी किया है। उनकी ये हरकत गलत मकसद को ही जाहिर करती है। अब नयी ख़बरों के अनुसार चीन ने LAC के पूर्व में अक्साई चिन में सुरंगे बनानी शुरू कर दी है। वहाँ नदी और घाटी के दोनों तरफ सुरंगे एवं चीनी सैनिक हथियारों के लिए बन्कर बनाने में जुटे है।
चीन का सीमा पर निर्माण का काम उत्तरी लद्दाख में डेपसांग मैदान से 60 किमी दूर से ही दिख रहा है। इस समय वो LAC के पूर्व में अक्साई चिन में दिख रहा है। खबरों के अनुसार, इस क्षेत्र में नदी घाटी के दोनों तरफ 11 पोर्टल एवं शाफ़्ट बनने की शिनाख्त हो रही है। खास बात है कि बीते महीनो में इस इलाके में चीन काफी मात्रा में निर्माण कार्य में लगा है।
क्या इंडियन आर्मी का डर से अण्डरग्राउंड हुए
जानकारों की राय में इंडियन आर्मी के हवाई हमले एवं एयरस्ट्राइक सहित लम्बी दूरी तक मार करने वाली तोपों से अपने जवान एवं हथियार की सेफ्टी के लिए चीन ने ये काम शुरू किया है। इस इलाके में अंडरग्राउण्ड सर्विस को विकसित करके चीनी थिंक टैंक की कोशिशे अक्साई चिन में भारत की एयरफोर्स के सामने परेशानी रखना है।
सेटेलाइट की फोटो से नई स्थिति का पता लगा
18 अगस्त के दिन अक्साई चिन में चीनी सेना की स्थिति को सैटलाइट से ली गई फोटो में स्पष्ट रूप से देख सकते है। इन फोटो में हो रही अंडरग्राउण्ड सुविधाओं के निर्माण को भी देख सकते है। इन्ही फोटो को सामने रखते हुए HT ने मई महीने की रिपोर्ट में कहा था – चीन नए रनवे, जेट सेफ्टी शेल्टर एवं सैन्य ऑपरेशन बिल्डिंग को बनाकर एलएसी क्षेत्र में एयरबेस को फैलाव दिया है। चीनी सरकार ने अपनी आर्मी के बड़े मिशन चलाने एवं दूसरे इलाको में भारत के फायदे से जूझने की क्षमता को पाया है।
सुरंग बनने का लक्ष्य
इंडियन एयर फ़ोर्स में वाइस मार्शल रहे मनमोहन बहादुर ने लद्दाख क्षेत्र में काफी समय तक सेवा दी है। वे बताते है कि चीन की ये अंडरग्राउण्ड सुविधा जवानो के लिए नहीं है बल्कि ज्यादा सेंसेटिव एनिमेशन के लिए ही है। उनके मुताबिक इन हथियारों एवं एनिमेशन को हवाई हमले से नष्ट होने का डर है। वैसे इन सुरागों का प्रयोग कमाण्ड पोस्ट में भी कर सकते है।
गलवन घाटी में सेना ने ताकत बढ़ाई
जानकारों की रे में गलवन घाटी का मामला होने पर इंडियन आर्मी ने अपनी पोजीशन को काफी मजबूती दी है। इसी कदम के जवाब में चीन ये सभी काम कर रहा है। गलवन घाटी मामले के बाद से ही इंडियन आर्मी ने अपने फायर वेक्टर में बढ़ोतरी की है। खासकर ज्यादा रेंज तक मार करने वाले रॉकेट तोपखाने को अच्छे तरीके से बढ़ाया गया है। अब शेल्टर, बंकर एवं सुरंगो का निर्माण इस समय के खतरे में कमी लाने के प्रयास है।
इंडियन एयर फ़ोर्स भी रनवे को बढ़ाएगी
इंडियन एयर फ़ोर्स चीन के खिलाफ लद्दाख की सीमा पर बहुत से फ्रंटलाइन एयरबेस को ऑपरेट करती है। अब वायुसेना वायु लैंडिंग मैदान में रनवे को बढ़ाने की योजना पर सोच रही है। ये स्थान पैंगोंग झील के समीप 13,700 फ़ीट के ऊँचे स्थान पर पर है। इस प्रकार से इंडिया चीन के विरुद्ध LAC से 50 किमी से कम की दूरी से फाइटर जेट को ऑपरेट कर पायेगी।
चीन अपना रवैया नहीं बदलेगा
चीनी मामलो के पर्यवेक्षक रहे ब्रह्नाा चेलानी के अनुसार, चीन के ये निर्माण कदम उसके सख्त रवैए को दर्शा रहे है। चीन की मंशा भारत के साथ उपजे गतिरोध को समाप्त करने की नहीं है। चीन की हरकते अक्साई चिन, पूर्वी एवं मध्य लद्दाख क्षेत्र और अरुणाचल-तिब्बत सीमा तक दिख रही है।