SIP में अपना पैसा निवेश करने में ये गलतियाँ न करें, म्यूचुअल फण्ड के निवेशक इन पॉइंट को जरूर जाने

वर्तमान समय में अधिकांश निवेशक SIP के माध्यम से मुट्युअल फण्ड में पैसे निवेश करने में रूचि दिखाते है। इसकी प्रमुख वजह है कि SIP में बाजार जोखिम की मात्रा कम रहती है और कम्पाउंड निवेश का लाभ मिल जाता है।

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Reported by Pankaj Yadav

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आजकल सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) लोगो के बीच एक प्रसिद्ध निवेश करने का माध्यम बन चुका है। इसमें निवेशक एक खास समयसीमा के लिए नियमित तरीके से मुट्युअल फण्ड में खास धनराशि को इन्वेस्ट करते है। SIP को बड़े समय के लिए पैसा बनाने में अच्छा उपाय माना जाता है।

निवेशक के लिए सभी प्रकार के फायदे देने के बाद भी SIP में निवेश करते समय कुछ मिस्टेक से बचने की जरुरत है। निवेशक SIP में इन्वेस्ट करने से पूर्व ये देख लें कि निवेश के फण्ड, उद्देश्य एवं खतरे और फीस को सही प्रकार से समझ पा रहे है। ध्यान रखे कि बीते कुछ सालों में Mutual Fund में पैसा निवेश करने में काफी लोकप्रियता आई थी।

वर्तमान समय में अधिकांश निवेशक SIP के माध्यम से मुट्युअल फण्ड में पैसे निवेश करने में रूचि दिखाते है। इसकी प्रमुख वजह है कि SIP में बाजार जोखिम की मात्रा कम रहती है और कम्पाउंड निवेश का लाभ मिल जाता है। इसी कारण से इसमें दूसरी बचत योजनाओं के मुकाबले अच्छा रिटर्न मिल जाता है।

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SIP में निवेश के समय जरुरी पॉइंट

अपर्याप्त रिसर्च करना : सबसे सामान्य गलती तो यह है कि एक खास रिसर्च के बिना ही SIP में इन्वेस्ट किया जाता है। लेकिन जिस भी Mutual Fund में इन्वेस्ट हो रहा है उसको समझना जरुरी है। इसमें इसका पिछले प्रदर्शन, फण्ड मैनेजमेंट ट्रैकिंग रिकार्ड, इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटिजी एवं एक्सपर्ट रेश्यो सम्मिलित है। इनका ध्यान न देने पर इन्वेस्टमेंट में कम रिटर्न मिलता है।

फाइनेंसियल टारगेट : साफ़ फाइनेंसियल टारगेट न रखकर इन्वेस्ट करना विपरीत असर देता है। एक खास टारगेट पाने के लिए निवेशक को जरुरी राशि एवं अपनी SIP के टाइमपीरियड को तय करने में सहायता मिलती है। ये जान लेना भी जरुरी है कि इन्वेस्टमेंट क्यों कर रहे है? भविष्य के किस लक्ष्य जैसे रिटयरमेंट, हायर एजुकेशन एवं मकान आदि को ध्यान में रखकर SIP लें।

बाजार का समय : कम समय के लिए मार्किट चाल के अनुसार SIP लेने अथवा बंद करके मार्किट का समय तय करने का प्रयास करना एक त्रुटि है। SIP को टाइम के साथ मार्किट की अस्थिरता के एवरेज करने के लिए तैयार करते है। मार्किट में बाजार तय करने में मौका छूट सकता है और भावना के आधार पर फैसला लेने की सम्भावना रहती ह।

निवेश होने वाली धनराशि : निवेशक के द्वारा SIP में इन्वेस्ट होने वाली धनराशि को व्यक्ति के फाइनेंसियल टारगेट एवं खतरा लेने की क्षमता पर निर्भर होती है। वैसे पाने टारगेट को पाने के लिए उपर्युक्त मात्रा में राशि का निवेश होना जरुरी है। ऐसे में कम मात्रा में इन्वेस्ट होने पर अपने टारगेट को पाने में ज्यादा टाइम लगेगा और न पहुँचने की भी संभावना है। ज्यादा मात्रा में निवेश करने पर मंथली किस्ते भी नहीं झेल पाएंगे।

फण्ड में भिन्नता लाना – अपने इन्वेस्टमेंट में भिन्नता लाने की जरूरत होती है लेकिन बहुत अधिक विविधता होना पर लाभ मिलने में कमी हो सकती है। इसका कारण अच्छा प्रदर्शन करने वाले फण्ड में निवेश की कमी होता है। इसके विपरीत एक ही फण्ड में इंवेटमेंट करने पर व्यर्थ का खतरा पैदा हो जाता है। इसलिए संतुलन का असर जरूर डालना चाहिए।

जाँच एवं जरुरी परिवर्तन : याद रहे कि SIP हमेशा लॉन्ग टर्म इन्वेस्मेंट के लिए ही है। किन्तु उचित समय पर अपने पोर्टफोलिया की जाँच करना और इसमें आवश्यक बदलाव करना भी जरुरी है। निवेशक की आर्थिक हालत, मार्किट कंडीशन एवं फंड्स की परफॉरमेंस में परिवर्तन की वजह से SIP में बदलाव करने की जरूरत पड़ती है।

ऐसी चीजों से बचना जरुरी

निवेशक को MF ने मल्टी कैप, लार्ज कैप, मिड कैप एवं स्माल कैप जैसे बहुत से विकल्प मिल जाते है। बीते समय में कुछ लोगो को मिड और स्माल कैप से अधिक रिटर्न मिला है। ध्यान रखे कि हर समय ऐसा ही होगा ये जरुरी नहीं है।

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