राजस्थान में 3000 करोड़ का बड़ा घोटाला: GPF सेटलमेंट फंड में स्कैम  

राजस्थान में वित्तीय घोटालों की एक नई कड़ी में, सरकारी वित्त विभाग के आला अफसरों ने कर्मचारी कल्याण कोष के नाम पर जीपीएफ सेटलमेंट फंड में जमा किए गए तीन हजार करोड़ रुपये का मिसयूज किया है। इस राशि का इस्तेमाल राज्य के राजस्व सरप्लस को दिखाने में किया गया, जबकि यह धनराशि वास्तव में ... Read more

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Reported by Sheetal

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राजस्थान में वित्तीय घोटालों की एक नई कड़ी में, सरकारी वित्त विभाग के आला अफसरों ने कर्मचारी कल्याण कोष के नाम पर जीपीएफ सेटलमेंट फंड में जमा किए गए तीन हजार करोड़ रुपये का मिसयूज किया है। इस राशि का इस्तेमाल राज्य के राजस्व सरप्लस को दिखाने में किया गया, जबकि यह धनराशि वास्तव में कर्मचारी कल्याण कोष में जमा होनी चाहिए थी।

यह घोटाला तब सामने आया जब सीएजी ने राज्य सरकार को इस तरह के कृत्यों से मना किया था, लेकिन अधिकारियों ने हर साल नए झूठ गढ़कर यह पैसा ठिकाने लगा दिया।

इस मामले में वित्त विभाग के अफसरों ने जीपीएफ खातों में जमा कुल तीन लाख 91 हजार कर्मचारियों के 34,262 करोड़ रुपये में से 3,000 करोड़ रुपये को अनक्लेम्ड बताकर रेवेन्यू घाटे की पूर्ति में खर्च कर दिया।

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राजस्थान में 3000 करोड़ का बड़ा घोटाला: GPF सेटलमेंट फंड में स्कैम  
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गहलोत सरकार में हुआ घोटाला

यह घोटाला उस समय हुआ जब गहलोत सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में तीन हजार करोड़ रुपये के कर्मचारी कल्याण कोष की घोषणा की थी। इस घोषणा के बावजूद, अक्तूबर 2023 तक की स्थिति में कर्मचारी कल्याण कोष में एक रुपया भी जमा नहीं हुआ था।

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इस पूरे मामले पर सीएजी ने विधानसभा में अपनी रिपोर्ट में भी जिक्र किया है। अब यह देखना होगा कि भविष्य में इस तरह के समायोजन और न्यायिक प्रकरणों में राशि किस फंड से लौटाई जाएगी। यह प्रश्न अब राजस्थान सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। सीएजी द्वारा उठाए गए मुद्दे ने इस बात को प्रकाश में लाया है कि जीपीएफ फंड्स का प्रबंधन और उपयोग किस तरह से किया जाना चाहिए और इसमें अनियमितताओं का सामना कैसे किया जाए।

राजस्थान सरकार को वित्तीय प्रबंधन में लानी होगी पारदर्शिता

इस घटनाक्रम के बाद, राजस्थान सरकार को वित्तीय प्रबंधन के तरीकों में सुधार और कर्मचारी कल्याण कोष के लिए अधिक स्पष्टता और पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। साथ ही, इस घोटाले ने न केवल वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया है, बल्कि कर्मचारी कल्याण कोष के उद्देश्य और महत्व को भी प्रभावित किया है।

इस मामले में जांच की आवश्यकता है और सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में तेजी से कदम उठाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। राजस्थान सरकार और संबंधित विभागों को इस प्रकरण के लिए जवाबदेही स्थापित करनी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारियों का पैसा सुरक्षित और उचित तरीके से प्रबंधित किया जाए। इस घोटाले की जांच से न सिर्फ वित्तीय अनियमितताओं का पता चलेगा, बल्कि यह भी स्पष्ट होगा कि भविष्य में कैसे ऐसी स्थितियों से बचा जा सकता है।

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