NCERT की किताबों में इण्डिया की जगह भारत शब्द की सिफारिश की गई

देश की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अंतर्गत बनने वाली नयी विद्यालयी बुक्स में अब इंडिया के स्थान पर भारत शब्द इस्तेमाल करने की तैयारी चल रही है। इसको लेकर NCERT की हाई लेवल कमेटी की ओर से तैयार होने जा रही किताबों में इस बदलाव की सिफारिश की है। लेकिन इस मामले पर ... Read more

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Reported by Sheetal

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देश की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अंतर्गत बनने वाली नयी विद्यालयी बुक्स में अब इंडिया के स्थान पर भारत शब्द इस्तेमाल करने की तैयारी चल रही है। इसको लेकर NCERT की हाई लेवल कमेटी की ओर से तैयार होने जा रही किताबों में इस बदलाव की सिफारिश की है।

लेकिन इस मामले पर NCERT की तरफ से ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है और वे कहते है कि अभी बुक्स को बनाने की प्रक्रिया जारी है। हालाँकि इस प्रकार की किसी भी बदलाव का अधिकार केवल विशेषज्ञ समिति को ही है। नाम बदलने की खबर तब आने लगी जब बुक्स तैयार करने से जुडी समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सीआई इसाक ने प्रेस को ये जानकारी दी।

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प्रोफेसर इसाक पद्मश्री सम्मानित व्यक्ति

इंडिया शब्द के बदलाव के साथ ही प्राचीन इतिहास की जगह पर शास्त्रीय इतिहास एवं सभी सब्जेक्ट्स में भारत के ज्ञान की परम्परा को भी प्राथमिकता देने की सिफारिश भी है। प्रोफेसर इसाक को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है और वे जाने माने इतिहासकार भी है। वे भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद में भी कार्य कर चुके है।

प्रो. इसाक का सम्बन्ध कई सालों तक संघ परिवार के संगठनों से रहा है। वे (Professor CI Isaac) जानकारी देते है कि भारत सदियों प्राचीन नाम है और इसका इस्तेमाल ‘विष्णु पुराण’ आदि प्राचीनतम शास्त्रों में भी हुआ है जो कि करीबन 7 हजार वर्ष पुराना है। उनके मुताबिक़ हमारी समिति ने बहुत सी लड़ाइयों में हिन्दुओं की जीतने की घटना को भी जोड़ने की सिफारिश की है।

किताबो का फ्रेमवर्क तैयार हुआ

प्रो. इसाक के अनुसार अभी तक की किताबों में हम लोगों की हार का ही जिक्र मिलता है किन्तु मुगलो एवं सुल्तानों पर जीत का कोई जिक्र नहीं है। अंग्रेजों द्वारा भारत के इतिहास को 3 खंडो में बाँटा गया था – प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक। इनमे देश को वैज्ञानिक जानकारी एवं उन्नति से विहीन दर्शाया गया है।

समिति का प्रस्ताव है कि भारत के इतिहास में शास्त्रीय काल को मध्य एवं आधुनिक काल के साथ ही बच्चों पर पढ़ना चाहिए। जानकारी के अनुसार विद्यालयों के कोर्स के फ्रेमवर्क को बनाने हेतु गठित किया है। उस वक्त 24 अन्य समितियों का गठन भी हुआ था और इनके सिफारिशों पर फ्रेमवर्क बनाने का कार्य भी पूर्ण हो चुका है।

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नयी किताबे अगले शैक्षिक सत्र में आएगी – शिक्षा मंत्रालय

तैयार फ्रेमवर्क के अनुसार ही बुक्स को बनाया जा रहा है और यह काम विशेषज्ञ समिति कर रही है। किन्तु अभी किताबों में नयी बाते जोड़ने एवं पुरानी हटाने की जानकारी देना थोड़ी जल्दबाजी ही होगी। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार NEP के अंतर्गत विद्यालयों में नयी कितने नए शैक्षिक स्तर मतलब 2024-25 तक आने वाली है।

इस प्रस्ताव को कब तक अंतिम स्वीकृति मिलेगी ये तो समय ही बताएगा किन्तु समिति अपने तैयार फ्रेमवर्क को लेकर कहती है कि आने वाली पीढ़ी को भारतीयता एवं भारत से जोड़ने की जरूरत है। इस काम में देश से जुडी उन तमाम बातों को किताबों में पढ़ाना होगा जिससे वे देश को अच्छे से जाने एवं समझे।

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भारत शब्द को लेकर विपक्ष हमलावर

इस खबर के आने के बाद देश के विपक्षी दलों ने भी बीजेपी पर इस समिति को लेकर हमला किया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार देश का इतिहास बदलना चाह रही है। यह सभी कुछ विपक्षी गठबंधन ‘इण्डिया’ से हार के डर से हो रहा है। कॉंग्रेस ने इस काम को सिर्फ ध्रुवीकरण करने की कोशिश कहा है।

कॉंग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल (K. C. Venugopal) के अनुसार इंडिया शब्द भी ‘भारत’ शब्द जैसी ही गौरवमयी है। सरकार का प्रयास एक पूरी पीढ़ी को इस गौरवमयी शब्द से द्वेष करवा रही है। आप पार्टी प्रवक्ता के प्रियंका कक्कड़ के अनुसार इससे पता लगता है कि पीएम मोदी ‘इंडिया’ गठबंधन से भय रखते है।

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