7th Pay Commission: सरकार ने कर्मचारियों के वेतन की नई मैट्रिक्स तैयार की, पे-मैट्रिक्स की भूमिका जाने

सेन्ट्रल कर्मचारियों के वेतन में पे मैट्रिक्स का काफी बड़ा रोल होता है तो सभी कर्मचारियों को इसकी गणना से जुडी बात साफ़ होनी चाहिए। कर्मचारी सातवें वेतन आओग के मुताबिक़ अपनी तनख्वाह की गणना कर सकेंगे। इस काम के लिए सरकार की तरफ से एक सरल सा सैलरी मैट्रिक्स टेबल चार्ट बना हुआ है। ... Read more

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Reported by Pankaj Yadav

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सेन्ट्रल कर्मचारियों के वेतन में पे मैट्रिक्स का काफी बड़ा रोल होता है तो सभी कर्मचारियों को इसकी गणना से जुडी बात साफ़ होनी चाहिए। कर्मचारी सातवें वेतन आओग के मुताबिक़ अपनी तनख्वाह की गणना कर सकेंगे। इस काम के लिए सरकार की तरफ से एक सरल सा सैलरी मैट्रिक्स टेबल चार्ट बना हुआ है।

ध्यान दें 6वें वेतन आयोग के अंतर्गत कर्मचारी को बेसिक वेतन प्रवेश स्तर पर सिर्फ 7,000 मिल रही थी और इस पर 125 प्रतिशत DA मिल रहा था। किन्तु सातवे वेतन आयोग के लगने के बाद से ही कर्मचारी का वेतन 14 प्रतिशत तक बढ़ा है और इसमें DA भी अलग से मिल रहा है।

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7वां पे मैट्रिक्स क्या है?

यह एक संरचना वाला चार्ट है जिसमे बहुत से लेवल पर सैलरी के पद क्रम की रूपरेखा मिलती है। इसके अंतर्गत प्रवेश स्तर से लेकर कर्मचारी में एकरूपता तय करते हुए सैलरी स्ट्रक्टर को साल 2016 में लाया गया था। इस टेबल में 760 सेल मिलते है जिससे 30 लाख से ज्यादा कर्मचारियों के बड़े कार्यबल को सेवा देते है।

इस पे मेट्रिक्स में 19 कॉलम में हर एक में भिन्न सैलरी लेवल मिलते है किन्तु 40 पक्तियों में बहुत सी सैलरी बढ़ोत्तरी दिखती है। ये बढ़ोत्तरी कर्मचारी के 40 वर्षो के समय अनुभव में आती है। इस टेबल में 1 से 18 तक स्तर वाली एक क्षैतिज सीमा मिलती है।

ऐसे ही ऊपर की ओर रेखा में एक खास लेवल के अंदर ‘सैलरी वृद्धि’ देखी जाती है जोकि आगे 3 फ़ीसदी की सलाना वित्तीय बढ़ोत्तरी को दिखाती है। इस नए पे-मेट्रिक्स को सैलरी की प्रस्तुति को आसान करने के लिए लाया गया था।

पे-मेट्रिक्स का वेतन में योगदान

एक पे-मैट्रिक्स से कर्मचारी को मिलने वाले मूल वेतन और उसमें वृद्धि की सारी डिटेल्स मिल जाती है। ये एक प्रकार का सीधा सा वेतन का स्ट्रक्टर होता है। इसमें अंतर्गत वेतन के स्तर बने होते है जिससे वेतन की गणना करना काफी आसान सा काम हो जाता है।

पे-मैट्रिक्स के अंतर्गत पाँच वेतन स्तर

  • पहला – इसके अंतर्गत 18 हजार से 56,900 रुपए वेतन
  • दूसरा – इसके अंतर्गत 19,900 से 63,200 रुपए वेतन
  • तीसरा – इसमें 21,700 से 69,100 रुपए वेतन
  • चौथा – इसमें 25,500 से 81,100 रुपए वेतन
  • पाँचवा – इसमें 29,900 से 92,200 रुपए वेतन

7वें वेतन आयोग की मुख्य बाते

  • न्यूनतम एवं अधिकतम सैलरी – केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिस पर प्रवेश स्तर पर कम से कम वेतन 7,000 से बढ़ाकर 18,000 रुपए कर दिया गया।
  • सालाना वेतन बढ़ोत्तरी – हर साल वेतन में होने वाली वृद्धि को भी 3 फ़ीसदी पर स्थिर किया गया।
  • पेंशन संशोधन – केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के बाद पेंशन में भी वृद्धि की गई और इस प्रकार से केंद्रीय कर्मचारी के की पेंशन को 3,500 से 9,000 रुपए कर दिया गया।
  • फिटनेस फैक्टर – नए वेतनमान में निष्पक्षता एवं स्थिरता तय करने के लिए सभी कर्मचारियों का वर्तमान वेतन में 2.57 का एक जैसा फिटनेस फैक्टर लगाया गया।
  • 7वां वेतन मैट्रिक्स – वेतन बैंड एवं ग्रेड वेतन की चली आ रही प्रणाली को नए वेतन मैट्रिक्स से बदला गया था। इसमें कर्मचारी की स्थिति को 7वें वेतन मैट्रिक्स से अंदर उनके लेवल से तय होती थी।
  • ग्रेज्युटी – ग्रेज्युटी की ऊपरी सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए किया गया है। रिटायर होने बाद इससे अच्छी आर्थिक सेफ्टी मिल जाती है।
  • मेडिकल बीमा स्कीम – यह भी एक अच्छा काम केंद्र सरकार ने कर्मचारी एवं पेंशनभोगी के लिए स्वास्थ्य का बीमा देकर किया है।

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7वें वेतन आयोग में सैलरी कैलकुलेशन

2016 की पहली तारीख से ही साँतवा वेतन आयोग मान्य हुआ था जिसमे विभिन्न कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्टर अथवा मूल वेतन को 2.57 गुना बढ़ाया गया था। इस के बाद मूल वेतन के अनुसार ही वेतन की गणना होगी।

  • कुल बेसिक वेतन + डीए + एचआरए + टीए + दूसरे भत्ते आदि को जोड़ने के बाद मासिक वेतन मिलता है।

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