8वां वेतन आयोग भारत सरकार के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों का पुनरीक्षण करने के लिए गठित एक आयोग है। यह आयोग सात साल में एक बार गठित किया जाता है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को 2016 से लागू किया जा रहा है।
वर्ष 2014 में सरकार ने कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था। इस आयोग की सिफारिशों से सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में 25% की बढ़ोतरी हुई थी। इसके अलावा, महंगाई भत्ते (DA) में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है। अब 7वें वेतन आयोग को लागू हुए 10 साल हो गए हैं। ऐसे में कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग की उम्मीद है। तो चलिए जानते हैं कि सरकार का क्या प्लान है इस मामले में……
वेतन आयोग कब बना था?
भारत में पहला वेतन आयोग जनवरी 1946 में गठित हुआ था। इसके अध्यक्ष श्रीनिवास वरादाचरियर थे। इसके बाद अब तक 7 वेतन आयोगों का गठन किया जा चुका है। आखिरी यानी सातवां वेतन आयोग 28 फरवरी, 2014 को बना था।
भारत में वेतन आयोगों का गठन हर 10 साल के अंतराल पर किया जाता है। वेतन आयोग का मुख्य कार्य सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन करना है। वेतन आयोग मौजूदा आर्थिक स्थिति, महंगाई, और सरकारी कर्मचारियों की कार्यकुशलता को ध्यान में रखते हुए वेतनमान में संशोधन की सिफारिश करता है।
वेतन आयोग का क्या महत्व है?
वेतन आयोग का महत्व निम्नलिखित है:
- वेतनमान में संशोधन: वेतन आयोग का मुख्य कार्य सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन करना है। वेतन आयोग मौजूदा आर्थिक स्थिति, महंगाई, और सरकारी कर्मचारियों की कार्यकुशलता को ध्यान में रखते हुए वेतनमान में संशोधन की सिफारिश करता है।
- भत्तों में संशोधन: वेतन आयोग भत्तों में भी संशोधन की सिफारिश करता है। भत्तों में संशोधन से सरकारी कर्मचारियों की वास्तविक आय में वृद्धि होती है।
- कर्मचारियों के हितों की रक्षा: वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों के हितों की रक्षा करता है। वेतन आयोग की सिफारिशों से सरकारी कर्मचारियों को अपनी सेवाओं के लिए उचित पारिश्रमिक मिलता है।
- सरकारी खर्च में नियंत्रण: वेतन आयोग की सिफारिशों से सरकारी खर्च में नियंत्रण होता है। वेतन आयोग सैलरी और भत्तों में बढ़ोतरी को सीमित करके सरकारी खर्च को कम करने का प्रयास करता है।
सरकारी खजाने पर हो सकता है बोझ
वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने से सरकारी खजाने पर पड़ने वाले बोझ के निम्नलिखित कारण हैं:
- कर्मचारियों की संख्या: भारत में सरकारी कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संख्या लगभग 40 लाख है, जबकि राज्य सरकारों के कर्मचारियों की संख्या लगभग 60 लाख है। इन कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों में बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर बड़ा बोझ पड़ता है।
- सैलरी और भत्तों की बढ़ोतरी: वेतन आयोग की सिफारिशों में सैलरी और भत्तों में काफी बढ़ोतरी की जाती है। उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों की औसत वेतन में 25% की बढ़ोतरी हुई थी।
- प्राइवेट नौकरीपेशा पर प्रभाव: सरकारी कर्मचारियों को नया वेतनमान मिलने से प्राइवेट नौकरीपेशा भी प्रभावित होते हैं। वे भी अपनी सैलरी में बढ़ोतरी की मांग करते हैं। इससे भी सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है।
चुनाव से पहले किया जाएगा नया वेतन जारी
जैसा की आप सभी जानते हैं की इस वर्ष लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं तथा नए वेतन आयोग बनने की भी उम्मीद भी जताई जा रही है। लेकिन अभी सरकार इस कार्य के लिए पूरी तरीके से तैयार नहीं हुई है। हालाँकि वित्त सचिव टीवी सोमनाथ ने बताया है कि अभी सरकार 8वें वित्त आयोग को बनाने को लेकर कोई तैयारी नहीं कर रही है।
विधानसभा चुनाव में किया गया अनुरोध
देश के पांच राज्यों में नवंबर 2023 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने मांग की थी के नए वेतन आयोग का गठन किया जाए। यह करने का उद्देश्य उन्हें चुनाव में केंद्रीय कर्मचारियों तथा रक्षा कर्मियों का समर्थन हासिल करना था।
कब हुआ था 7वां वेतन आयोग?
NPS के तहत, कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 10% योगदान करते हैं और सरकार 10% योगदान करती है। इस तरह, कर्मचारी को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के रूप में अपने योगदान और सरकार के योगदान का योग मिलता है।
बीजेपी सरकार ने NPS में कुछ बदलाव किए हैं। सबसे पहले, सरकार ने अपना योगदान बढ़ाकर 10 से 14% कर दिया है। इससे कर्मचारियों को पेंशन के रूप में अधिक राशि मिल सकेगी। दूसरे, सरकार ने NPS में निवेश के विकल्पों को बढ़ा दिया है। इससे कर्मचारियों को अपनी पेंशन को बेहतर बनाने का अवसर मिलेगा।
एनपीएस रीव्यू: पेंशन को अधिक स्थिर बनाने की कोशिश
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य एनपीएस के तहत कर्मचारी के रिटायर होने पर उसकी अंतिम सैलरी का 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पेंशन प्रदान करना है। वर्तमान में, एनपीएस के तहत कर्मचारी के रिटायर होने पर उसकी अंतिम सैलरी का 36 फीसद पेंशन के रूप में मिलता है। 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी का 50 फीसद पेंशन के रूप में मिलना चाहिए।
इस बदलाव से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन के रूप में अधिक राशि प्राप्त होगी। हालांकि, इस बदलाव से कर्मचारियों को अपने योगदान में भी वृद्धि करनी होगी।