ट्रेन के डिब्बों में पीली और सफेद धारियों का उपयोग क्यों किया जाता है ?

भारतीय रेलवे में बहुत सी चीजों को समझाने के लिए विशेष प्रकार के अलग -अलग सिम्बल्स का उपयोग किया जाता है। जैसे - ट्रैक पर बने सिंबल, प्लेटफार्म पर बने सिंबल इन सभी सिम्बल्स को इसलिए बनाया गया है।

Photo of author

Reported by Pankaj Yadav

Published on

ट्रेन के डिब्बों में पीली और सफेद धारियों का उपयोग क्यों किया जाता है ?

ट्रेन के डिब्बों में पीली और सफेद धारियों :- 16 अप्रैल 1853 को भारतीय रेलवे ने अपनी सेवाएं शुरू की थी, जिसके बाद पहली ट्रेन ने 33 किलोमीटर मुंबई से ठाणे तक की दुरी तय की थी। भारतीय रेलवे को दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्कों में गिना जाता है, भारतीय रेल यातायात के आधुनिक साधनों में से एक है। 1951 में भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकृत किया गया था, जिसके बाद यह एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क बन गया है।

रेलवे का भाप इंजन के बाद डीज़ल और बिजली के इंजन तक का सफर बहुत ही मुश्किल रहा है, इसी वजह से भारत की रेल यात्रा को शानदार और अविस्मरणीय माना जाता है।

दोस्तों आप सभी ने अपने जीवन में रेल यात्रा तो जरूर की होगी, और शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने रेल से सफर न किया हो। परन्तु आपने कभी रेल के डिब्बों पर सफ़ेद और पीली धारियां देखी है, आपके मन में विचार आया होगा यह क्या होता है। आज हम आपको इन्ही सफ़ेद और पीली, सफ़ेद धारियों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देने जा रहें है।

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

यह भी देखें >>>>Indian Railways Rules: रेलवे ने करोड़ों यात्रियों के लिए जारी की बड़ी अपडेट, रात में ट्रैन का सफर करने वाले जान लें रेलवे के नए नियम

ट्रेन के डिब्बों में अलग अलग रंग की धारी क्यों होती है ?

भारतीय रेलवे में बहुत सी चीजों को समझाने के लिए विशेष प्रकार के अलग -अलग सिम्बल्स का उपयोग किया जाता है। जैसे – ट्रैक पर बने सिंबल, प्लेटफार्म पर बने सिंबल इन सभी सिम्बल्स को इसलिए बनाया गया है।

जिससे किसी भी व्यक्ति को रेल से सम्बंधित चीजों के बारे में जानने के कठिनाई न हो, सिंबल को देखकर आसानी से समझ जाये की यह सिंबल क्या दर्शाता है। इन्ही सब बातों को देखते हुए ट्रेन के डिब्बों में भी एक विशेष प्रकार के सिंबल का उपयोग किया जाता है।

ट्रेन के डिब्बों में पीली और सफेद धारियों का उपयोग क्यों किया जाता है ?

नीले डिब्बे के आखरी कोच की खिड़की के ऊपर पीली या सफ़ेद रंग की लाइन धारियाँ बनी होती है, जो एक डब्बे को दूसरे डब्बे से अलग करती है। नीले डिब्बे पर बनी यह लाइन द्वितीय श्रेणी के Unreserved कोच को अलग करती है। जब स्टेशन पर कोई भी ट्रैन आती है, तो बहुत से लोग जनरल कोच की पहचान नहीं कर पाते है। इसी वजह से रेल विभाग ने ट्रैन के कोच पर यह अलग अलग रंग के डिब्बे बनाये है।

यदि किसी नीले रंग के ICF डिब्बे के कोच पर पीले या सफ़ेद रंग की धारी देखने को मिलती है। तो इसका मतलब है, यह जनरल कोच है। यह धारियाँ सेकंड क्लास के अनरिजर्व्ड कोच को दर्शाती है।

इसी प्रकार से नीले डिब्बे के ऊपर लाल पट्टी पर ब्रॉड पीली रंग की धारियां विकलांग और बीमार लोगों के लिए होती है। तथा कोच में ग्रे पर हरी धारियाँ से यह पता चलता है, की यह कोच महिला कोच है। यह रंग मुंबई और पश्चिम बंगाल की रेलवे में देखने को मिलते है, तथा लाल रंग की ट्रैन के फर्स्ट कोच को दर्शाती है।

भारतीय रेलवे से सम्बंधित महत्वूर्ण जानकारी

भारतीय रेलवे में तीन प्रकार के कोच होते है –

  • आईसीएफ ( ICF )
  • एलएचबी ( LHB )
  • हाइब्रिड एलएचबी ( HYBRID LHB )

सबसे पहले भारतीय रेलवे में समान्य कोच ICF जिसे जनरल कोच भी कहाँ जाता है, यह नीले रंग का होता है। यह कोच आम जनता के लिए एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में उपयोग होता है।

ICF ट्रेन में एयर ब्रेक का उपयोग किया जाता है, इसमें ब्रेक लगाने पर यह बहुत दूर जाकर रूकती है।

  • ICF ट्रैन में लाल रंग का कोच होता है।
  • गरीब रथ ट्रेन में हरे रंग का कोच होता है।
  • मीटर गेज ट्रेन में भूरे रंग का कोच होता है।

LHB कोच में एक डिफ़ॉल्ट रंग होता है, जो राजधानी का रंग भी होता है। गतिमान एक्सप्रेस एक शताब्दी की तरह दिखती है, परन्तु इसमें पीली पट्टी भी होती है। LHB ट्रेन में डिस्क ब्रेक का उपयोग होता है, इसमें ब्रेक लगाने पर यह ट्रेन बहुत ही नजदीक जाकर रूकती है।

इसे भी देखें >>>Indian Railways: आखिर क्यों रेलवे स्टेशन के नाम लिखे होते हैं पीले बोर्ड पर काले रंग से, बेहद रोचक है इसके पीछे की वजह

Leave a Comment

WhatsApp Subscribe Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp