Govardhan Puja 2024: क्‍यों भगवान श्रीकृष्‍ण को लगाया जाता है अन्‍नकूट और कढ़ी-चावल का भोग?

कृष्ण ने अपने गोकुल वासियों को बचाने के लिए सात दिनों तक पर्वत उठाया था इसलिए इस शुभ दिन पर उनकी पूजा करना बहुत अच्छा माना जाता है। सात दिनों के बाद भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाए जाते है।

Photo of author

Reported by Sheetal

Published on

हिन्दू धर्म में गोवेर्धन पूजा को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को अन्‍नकूट और कढ़ी-चावल का भोग जाता है। बहुत कम लोग इस दिन मनाने का इतिहास जानते है। हर साल गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है।

इसे भी जानें : जन्माष्टमी की सही तारीख, समय, मूर्ति, पूजा पद्धति एवं दुर्लभ संयोग एवं व्रत रखने की जानकारी लें

Table of Contents

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

Govardhan Puja 2024 की तिथि

दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है। ये दिन बहुत ही खास और महत्वपूर्ण होता है। इस साल 2024 में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर शनिवार को है।

गोवर्धन पूजा करने का शुभ समय (मुहूर्त)

प्रतिपदा तिथि: 2 नवंबर 2024, शनिवार को सुबह 10:29 बजे से शुरू होगी और 3 नवंबर 2024, रविवार को सुबह 8:44 बजे समाप्त होगी।

  • प्रातःकाल: 6:40 बजे से 8:52 बजे तक (2 घंटे 12 मिनट)
  • अभिजित मुहूर्त: 11:52 बजे से 12:40 बजे तक (48 मिनट)
  • सर्वार्थसिद्धि योग: 3 नवंबर 2024, रविवार को सुबह 6:58 बजे से 9:27 बजे तक (2 घंटे 29 मिनट)

क्यों भगवान श्रीकृष्‍ण को लगाया जाता है अन्‍नकूट और कढ़ी-चावल का भोग?

भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाने के लिए सात दिनों तक अपनी कनिष्ठ अंगुली पर गोवेर्धन पर्वत को उठाया था जिस दौरान उन्होंने कुछ खाया नहीं था। इसके बाद इंद्र देवता को अपनी गलती का अहसास हो गया था और उन्होंने श्री कृष्ण से माफ़ी मांगी। उसी दिन से गोवेर्धन पूजा की जाती है। क्यो

संबंधित खबर Pandokhar Sarkar Dham Darbar: ऐसा चमत्कारी स्थान जहां श्रद्धालुओं की पूरी हो जाती हैं, सारी मन्नते?

Pandokhar Sarkar Dham Darbar: ऐसा चमत्कारी स्थान जहां श्रद्धालुओं की पूरी हो जाती हैं, सारी मन्नते?

कि कृष्ण ने अपने गोकुल वासियों को बचाने के लिए सात दिनों तक पर्वत उठाया था इसलिए इस शुभ दिन पर उनकी पूजा करना बहुत अच्छा माना जाता है। सात दिनों के बाद भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाए जाते है। जिनमे से उन्हें सबसे प्रिय अन्‍नकूट और कढ़ी-चावल लगता है। अन्नकूट का स्वाद उन्हें इतना अच्छा लगता था की वह दूर -दूर से भागे चले आते थे।

अन्नकूट पूजा और छप्पन भोग का महत्व

इस दिन कृष्ण इंद्र देवता से विजय होकर अपने घर की ओर पधारे रहे। गोवर्धन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण का रूप माना जाता है। ये त्यौहार उनके स्नेह, दिव्या शक्ति और कृपा का प्रतीक है। अन्नकूट का मतलब होता है। अन्न का ढेर या बहुत सारा भोजन। जब इंद्र देव ने क्रोधित होकर कई दिनों तक वर्षा की जिससे परेशान होकर कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली ने उठा दिया ताकि गांव के लोग को आश्रय दिया जाएं।

इंद्र देवता से विजय प्राप्त करने के बाद सभी गांव वाले उन्हें प्रसाद के रूप में विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार करते है। जिसमे उन्हें दाल, चावल, मिठाई, फल आदि अन्य प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते है। गांव के सभी लोग उनका धन्यवाद करने के लिए उन्हें अच्छे -अच्छे खाद्य पदार्थ अर्पित करते है।

जब भगवान श्री कृष्ण को भोजन अर्पित किया जाता है तो उनकी थाली में 56 प्रकार के खाद्य पदार्थ होते है। ये इसलिए क्योकि यशोधा मया कृष्ण को एक दिन में 8 बार भोजन करवाती थी। सात दिन के हिसाब से 56 प्रकार के भोजन को तैयार किया जाता है। इसलिए भगवान कृष्ण को ये भोग बहुत ही प्रिय लगता है।

संबंधित खबर {Hartalika Teej} कब से है?नोट करें सही डेट

Hartalika Teej 2024: कब है हरतालिक तीज? नोट करें डेट, शुभ महत्व और जानें पूजा विधि

Leave a Comment

WhatsApp Subscribe Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp