पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए समय पर Retirement Benefit जारी करना बेहद जरूरी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स को रोका नहीं जा सकता। आइए, विस्तार से जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी।
Retirement Benefit रोका नहीं जा सकता
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक चतुर्थ श्रेणी से रिटायर कर्मचारी, शकुंतला देवी, के पक्ष में फैसला सुनाया है। अदालत ने न केवल उनके Retirement Benefit को जारी करने का आदेश दिया, बल्कि देरी के लिए सरकार पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
35 वर्ष की सेवा के बाद भी नहीं मिला रिटायरमेंट लाभ (Retirement Benefit)
शकुंतला देवी, जिन्होंने 35 वर्षों से अधिक समय तक नगरपालिका कार्यालय में सफाई सेवक के रूप में सेवा की, 2020 में रिटायर हुईं। लेकिन उन्हें उनका Retirement Benefit नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सरकार ने स्वीकार किया भुगतान लंबित है
कोर्ट में सरकार ने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी और छुट्टी के नकदीकरण के रूप में 13,56,993 रुपये का भुगतान किया जाना बाकी है। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि नगरपालिका की खराब वित्तीय स्थिति के कारण पेंशन बकाया जारी करने में देरी हुई है।
कोर्ट ने खारिज की सरकार की दलील
कोर्ट ने नगरपालिका की इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि खराब वित्तीय स्थिति की वजह से कर्मचारी का पेंशन और Retirement Benefit रोका नहीं जा सकता। जज नमित कुमार ने कहा कि यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को पेंशन लाभ जारी करने में कोई बाधा नहीं है। याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई लंबित नहीं है, जो उसके पेंशन लाभ रोकने का अधिकार देती है। कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता प्रति वर्ष 9% की दर से ब्याज की हकदार है।
रिटायमेंट बेनिफिट भुगतान करने का आदेश जारी
कोर्ट ने केस का निपटारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता कोर्ट केस के खर्च की भी हकदार होगी। कोर्ट ने नगर परिषद को आदेश की काॅपी मिलने के छह सप्ताह के भीतर ब्याज सहित Retirement Benefit भुगतान करने का आदेश जारी किया।
रिटायर कर्मचारियों को सम्मानपूर्वक जीने के लिए पेंशन जरूरी
जज नमित कुमार ने कहा कि रिटायर कर्मचारी पूरी तरह से पेंशन और Retirement Benefit पर अपना जीवन चलाते हैं। ऐसे में सेवानिवृत्ति लाभ जारी नहीं होने की स्थिति में कोई भी रिटायर कर्मचारी सम्मानजनक जीवन नहीं जी पाएगा।
इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रिटायर कर्मचारियों को समय पर उनके Retirement Benefits मिलना उनके सम्मानजनक जीवन के लिए आवश्यक है।