गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। इस दिन को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने सिख धर्म और सिख लोगों को एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके (Guru Gobind) जीवन और कार्यों को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
सिखों को संघठन की शक्ति बताई
उनका जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना साहिब में हुआ था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर जी थे। गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान योद्धा, संत, कवि और लेखक थे। उन्होंने सिखों को एक संगठित और शक्तिशाली समुदाय बनाया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की जो सिखों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक और राजनीतिक संगठन है।
गुरु गोविन्द सिंह की कुछ खास बाते
गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन की कुछ अहम बातें इस प्रकार हैं –
- उन्होंने सिखों को एक संगठित और शक्तिशाली समुदाय बनाया। इसके लिए उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की। खालसा पंथ सिखों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक और राजनीतिक संगठन है।
- उन्होंने सिखों को स्वतंत्रता और न्याय के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सिखों को एकजुट किया और उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
- उन्होंने सिख धर्म को समृद्ध किया। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की, जिनमें “जप साहिब”, “चंडीदास वारों” और “जाफ़रनामा” शामिल हैं।
खास अरदास और लंगर होते है
गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष समारोह आयोजित किए जाते हैं। अरदास होती है और विशाल लंगर का आयोजन होता है। सिख इस दिन अपने गुरुओं को याद करते हैं और उनके आदर्शों का पालन करने का संकल्प लेते हैं।
आज भी प्रेरणा स्त्रोत है गुरु गोविन्द
गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन और कार्यों से हमें प्रेरणा मिलती है। वे एक महान नेता थे जिन्होंने अपने अनुयायियों को स्वतंत्रता और न्याय के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनके आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं।
गुरु गोविन्द पर कविताएँ
वाहे गुरु का आशीष सदा मिले
ऐसी कामना है हमारी,
गुरु की कृपा से आएगी,
घर-घर में खुशहाली
सवा लाख से एक लड़ाऊं,
चिड़ियों सों मैं बाज लड़ाऊं
तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊं
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