एक दिन में ही विपक्षी पार्टियों ने महिला आरक्षण बिल के विरोध का मुद्दा ढूँढा, बिल में बदलाव की माँग की

मंगलवार को संसद में महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) के प्रस्तुत होने पर सभी पार्टियाँ इसके समर्थन में थी किन्तु 24 घंटो बाद ही बात एकदम उलट हो गई। अब विरोधी दलों ने बिल का विरोध करने का मुद्दा ढूँढ लिया है। पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई वाली केंद्रीय सरकार ने कल ही ‘नारी शक्ति वंदन’ नाम का महिला आरक्षण का बिल सदन में प्रस्तुत किया था।

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावो से पहले मोदी सरकार के लिए ये बिल बहुत बड़ी उपलब्धि समझा जा रहा है। सदन में होने पर तो सभी विरोधी दल बिल को लेकर संशय की स्थिति में ही दिखे। संसद से जाते समय कॉंग्रेसी नेता सोनिया गाँधी ने तो इस बिल को अपना तक करार दिया।

एक दिन ही विपक्षी दल बदले

विरोधी दलों को महिला आरक्षण से ही शिकस्त देने के कारण सरकार एक कदम आगे साबित हो रही थी और एक भी दल इस बिल का मुखर होकर विरोध भी नहीं कर पाए रहा था। किन्तु एक ही दिन में बात एकदम बदल गई और विरोधी दलों ने महिला आरक्षण बिल पर आपत्ति जताने का बहाना ढूँढ लिया है।

कॉंग्रेस सालों तक बिल लटकती रही – दूबे

लोकसभा में भाजपा नेता निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) विरोधी दलों पर आक्रामक हुए और कहा – इनका सोचना है कि संसद में परकटी महिलाएँ न आने पाए, ऐसे ये सोचते है। कॉंग्रेस ने सालो बिल को अटकाए रखा। यह बिल कॉंग्रेस का नहीं अपितु बीजेपी और प्रधानमंत्री का है। जो गोल करता है उसको श्रेय मिलता है।

दुबे के अनुसार, हम बिल लेकर आए है तो कॉंग्रेस को दर्द हो रहा है। पीएम मोदी ने ही देशभर में शौचालय बनवाकर महिलाओं को सम्मान। यह देश संविधान से चलता है, अभी सोनिया जी ने बोला है कि ये बिल शीघ्र ही पारित होना चाहिए।

अब संविधान में प्रावधान है कि राज्यसभा में किसी प्रकार का आरक्षण नहीं हो सकता है तो आरक्षण कैसे दें सकते है। आप लॉलीपॉप बनाकर घुमाते रहे, धारा-82 में बिल लागू करने की विधि लिखी है।

सबसे पहले कॉंग्रेस ने बिल पारित किया – सोनिया गाँधी

संसद में सोनिया गाँधी (Sonia Gandhi) ने अपना सम्बोधन शुरू किया और कहा, महिला हमारे महान देश की माँ है। हर मोर्चे पर महिलाऐं पुरुषों के साथ कन्धा लगाकर संघर्ष की है। महिला त्याग की पहचान है और उसके धैर्य को जानना कठिन है। महिला आरक्षण बिल को सबसे पहले कॉंग्रेस लेकर आई थी और मैं बिल को समर्थन देती हूँ। अभी राजीव गाँधी का आधा ही सपना पूरा हुआ है।

जेडीयू ने भी शर्तो के साथ समर्थन दिया

जेडीयू नेता केसी त्यागी (K. C. Tyagi) ने पहले तो इस बिल को सपोर्ट दिया था किन्तु यह भी कहा कि इस आरक्षण बिल में दलित एवं वंचित वर्ग की महिलाओं को भी आरक्षण मिले। जानकारों के अनुसार बीजेपी ने जातिगत राजनीति से अलग होकर एक हिन्दू वोट बैंक तैयार कर लिया है। अब विरोधी दलों को सरकार के पास मजबूत महिला वोटबैंक आने का डर है।

अखिलेश ने पीडीए फॉर्मूले की बात कही

सपा प्रमख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने एक्स के माध्यम से कहा है – ‘महिला आरक्षण लैंगिक न्याय एवं सामाजिक न्याय का संतुलन हो। वे PDA सूत्र का वर्णन करके कहते है कि इसमें पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए) वर्ग की महिला के आरक्षण का तय प्रतिशत भी साफ हो। ऐसे अखिलेश भी सीधे विरोध न करते हुए कुछ रास्ते तलाशते दिख रहे है।

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आरक्षण के भीतर आरक्षण अनिवार्य – राबड़ी देवी

आरजेडी पार्टी से महिला आरक्षण बिल को लेकर राबड़ी देवी ने बाते रखी। उनके अनुसार आरक्षण के भीतर आरक्षण जरुरी है और दूसरे वर्गो की तीसरी एवं चौथी पीढ़ी के स्थान पर आरक्षित वर्गो की प्रथम पीढ़ी की महिलाऐं अभी शिक्षा पा रही है। वे इस आरक्षण बिल में वंचित, उपेक्षित, खेतिहर एवं मेहनतकश समुदाय की महिलाओं की सीटों को रिज़र्व करने की माँग के साथ ध्यान दिलवाती है कि उन सभी महिलाओं की भी जाति है।

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