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क्यों गिराया जा रहा सुपरटेक ट्विन टावर, बिल्डर ने कैसे किया ‘खेल’, रिफंड का क्या स्टेटस… जानें सबकुछ

नोएडा के सेक्टर-93 में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Towers) यहाँ की बड़ी इमारतों में से एक है। यह बिल्डिंग पिछले कुछ समय से गिराए जाने की खबरों से चर्चा में है। 28 अगस्त में टावर्स के ध्वस्तीकरण को लेकर तैयारियाँ जोरो पर है जिससे स्थानीय लोगों में चिंता एवं उत्साह देखा जा रहा है। कई साल पुराने मामले में कोर्ट की ओर से भी बहुत से नाटकीय मोड़ देखने को मिले है।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद से ही सुपरटेक ग्रुप के प्रोजेक्ट एमराल्ड कोर्ट के दो निर्माणाधीन बिल्डिंग को गिराने की प्लानिंग है। कोर्ट ने एपेक्स और सियाने टावर्स को बायर्स की शिकायत गिराने का आदेश दिया है। एक ओर इनको बनाना ग्राहकों के साथ धोखा था दूसरी तरह गिराने का फैसला भी कम तकलीफदेह नहीं होगा।

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पूरा मामला विस्तार से

23 नवंबर 2004 के दिन नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर 93A में ग्रुप हाउसिंग का प्लाट संख्या 4 को एमराल्ड कोर्ट को अधिकृत किया। अथॉरिटी ने परियोजना के अंतर्गत ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 14 टावर के नक्शा का आवंटन किया। इसमें सभी टावर को ग्राउंड फ्लोर सहित 9 मंजिल तक के लिए पास हुए। 29 दिसंबर 2006 में नोएडा अथॉरिटी की ओर से ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी की परियोजना में दो मंजिल और बनाने का पहला संसोधन हुआ। जिसके अंतर्गत 14 टावर मिलाकर ग्राउंड फ्लोर के अतिरिक्त 9 मंजिल के स्थान पर 11 मंजिल के निर्माण का नक्शा पास हो गया।

इसके बाद टावर 15 का और नोएडा अथॉरिटी ने 16 टावर का भी नक्शा पास किया। इसके अंतर्गत अब कुल 16 टावर के लिए 11 मंजिलों की अनमति दी गई जिससे इसकी ऊँचाई 37 मीटर करी गई। 26 नवंबर 2009 के दिन नॉएडा अथॉरिटी ने टावर नंबर 17 का नक्शा पास किया। जिसमे टावर नंबर 16 व 17 पर 24 मंजिलों के निर्माण का नक्शा बनाया गया जिससे ऊँचाई 73 मीटर निर्धारित कर दी गयी। इसके बाद भी नोएडा अथॉरिटी न रुकी और नक़्शे का तीसरा संशोधन कर दिया। 2 मार्च 2012 में टावर 16 और 17 के लिए एएफआर बढ़ाया गया जिसमे दोनों टावर्स की ऊँचाई 40 मंजिल तक करके 121 मीटर तय कर दी।

अवैध रूप से ट्विन टावर का निर्माण

आरडब्लूए के अध्यक्ष उदय भान सिंह के बताया कि नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमानुसार दो आवासीय बिल्डिगों के मध्य न्यूनतम 16 मीटर की दुरी अनिवार्य है। किन्तु इस परियोजना के टावर नंबर 1 और ट्विन टावर के बीच 9 मीटर से भी कम दुरी पाई गयी है। वे बताते है की जहाँ टावर 16 और 17 बनाये है वहाँ बिल्डर ने ग्राहकों को फ्लैट देते समय ओपन स्पेस दिखाया था। साल 2008 की जानकारी देते हुए वह बताते है कि बिल्डर ने एमराल्ड कोर्ट में टावर संख्या 1 से 15 तक कब्ज़ा करना शुरू किया। साल 2009 में बायर्स ने आरडब्लूए बनाई और इनके विरुद्ध लड़ाई का निर्णय लिया।

इसके बाद संशोधन नक्शों पर तो हुए किन्तु जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। फ्लैट बायर्स और आरडब्लूए की आपत्ति के बाद भी टावर संख्या 16 और 17 का निर्माण जारी रह जिसे आज ट्विन टावर के नाम से जानते है।

ब्याज के साथ रिफन्डिंग के आदेश

कोर्ट ने अपने आदेश में बिल्डर्स को 2 महीनों के अंदर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ट्विन टावर के फ्लैट खरीदारों को पैसे वापिस देने के निर्देश दिए है। इसके अतिरिक्त बिल्डर को आवासीय कल्याण संस्था को 2 करोड़ देने होंगे।

24 अधिकारी एवं कर्मचारियों पर FIR

उदय भान सिंह के अनुसार, पहले अथॉरिटी ने प्रकरण में बिल्डर्स का साथ दिया। इसके बाद ये मामला हाई कोर्ट पहुँच गया। साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टावर को तोड़ने का आदेश दिया। साल 2021 में उच्च स्तरीय एसआईटी (SIT) ने जाँच की रिपोर्ट शासन को दी, इसको मध्यनज़र रखते हुए 24 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज़ की गयी।

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