कौन है Dr Bhupen Hazarika: Google ने डूडल के साथ संगीत उस्ताद को श्रद्धांजलि दी

भारत के पूर्वोत्तर राज्य से संबंधी बहुमुखी प्रतिभा के धनी गीतकार, संगीतकार एवं गायक रहे है उन्होंने अपनी मूल भाषा असमिया के साथ हिंदी, बांग्ला सहित अन्य भारतीय भाषाओ में गाने गए है। इसी कारण इन्होने अपने गीतों से लाखों दिलों को छू लिया था।

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Reported by Pankaj Yadav

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Dr Bhupen Hazarika: गूगल सर्च इंजन अपने कंटेंट के लिए जितना प्रसिद्ध है उतना ही अपने खास अंदाज में देश-दुनिया के मशहूर हस्तियों को अपने डूडल से सम्मानित करने के लिए प्रसिद्ध है। 8 सितम्बर के दिन गूगल डॉ. भूपेन हजारिका की 97वीं सालगिरह मना रहा है। डॉ. भूपेन हजारिका (Dr Bhupen Hazarika) एक प्रसिद्ध एवं कालजयी भारतीय गायक, संगीतकार एवं फिल्म निर्माता है। उनके द्वारा कई फिल्मों में संगीत दिया गया है।

Dr Bhupen Hazarika

उनके योगदान की प्रशंसा करते हुए Google ने आज अपने सूंदर डूडल के माध्यम से जन्मदिन पर श्रद्धांजलि दी है। भूपेन हजारिका 8 सितम्बर 1926 को असम राज्य के सादिया में जन्मे थे। आज गूगल सर्च पेज पर भूपेन को हारमोनियम बजाते हुए एनिमेटेड रूप में दिख रहे है।

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डॉ. भूपेन हजारिका का परिचय

भारत के पूर्वोत्तर राज्य से संबंधी बहुमुखी प्रतिभा के धनी गीतकार, संगीतकार एवं गायक रहे है उन्होंने अपनी मूल भाषा असमिया के साथ हिंदी, बांग्ला सहित अन्य भारतीय भाषाओ में गाने गए है। इसी कारण इन्होने अपने गीतों से लाखों दिलों को छू लिया था। हजारिका की जादुई आवाज में ‘दिल हुम हुम हुम करें’, ‘औ गंगा तू बहती है क्यों’ जैसे गीतों को सुनकर बहुत लोग प्रभावित हुए थे।

गायक और संगीत निर्माता होने के साथ-साथ भूपेन पूर्वोत्तर भारत के जानेमाने सामाजिक-सांस्कृतिक सुधारक के रूप में ख्याति प्राप्त है। उन्होंने अपने संगीत के माध्यम से सभी क्षेत्रों के निवासियों को एक सूत्र में बंधे रहने का सन्देश दिया है। उनके पिता और परिवार शिवसागर जिले के नजीत कस्बे के निवासी थे। भूपेन की प्रारंभिक शिक्षा गुवाहाटी में हुई थी।

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जनसंचार में पीएचडी हुए

हजारिका एक उच्च कोटि के संगीतकार होने के साथ बुद्धिजीवी भी थे। अपने इसी काम को उन्होंने साल 1946 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पोलिटिकल साइंस से मास्टर्स की डिग्री प्राप्त करके आगे बढ़ाया। इसके बाद साल 1952 में उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय से जनसंचार में पीएचडी की उपाधि भी मिली।

बहुत से पुरस्कार दिए गए

अमेरिका से अपनी शिक्षा को पूर्ण करने के बाद भूपेन को संगीत के प्रति रूचि ने भारत वापिस बुला लिया। उन्होंने अपने बेजोड़ संगीत के माध्यम से असमिया संस्कृति को देश-विदेश में पहचान दिलवाई। अपने छह दशक के लम्बे कार्यकाल में भूपेन को बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें संगीत एवं संस्कृति में कार्य के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म श्री एवं विभूषण जैसे नामचीन पुरस्कार मिल चुके है। इसके बाद साल 2019 में भारत के सबसे सम्मानित माने जाने वाले “भारत रत्न” को मरणोपरांत दिया गया।

दिलों को छूने वाली आवाज के मालिक

कुछ गायको की आवाज ऐसी होती है जिन्हे सुनकर सभी का दिन बन जाता है। इस प्रकार के गीतकारों की आवाज़े वर्षो तक श्रोताओं के मन में ताज़गी लाती रहती है। ऐसी ही आवाज के धनी थे भूपेन दा। भूपेन एक मुलती टैलेंटेड पर्सन होने के कारण अपने गीतों को खुद लिखते, धुन तैयार करने के बाद अपनी आवाज से सुसज्जित करते थे।

12 साल की आयु में ही 2 गाने लिखे

इस प्रकार के व्यक्तियों की प्रतिभा बालपन में ही दिखने लगती है। इसी तर्ज पर भूपेन ने सिर्फ 12 साल की अलप आयु में ही 2 गीतों को लिख दिया था। उनके कम उम्र के संगीत से मशहूर असमिया गीतकार ज्योतिप्रसाद अग्रवाल एवं फिल्म प्रोडूसर विष्णु प्रसाद राभा को प्रभावित किया था। इन्होने भूपेन की प्रतिभा को देखते हुए उनका पहला गीत रिकॉर्ड करने में सहायता दी। 12 साल की उम्र तक भूपेन ने दो फिल्मों में गाने लिख और रिकॉर्ड कर दिए थे।

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