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यूनिफॉर्म सिविल कोड देशभर में जल्द होगा लागू: जाने क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

देश के गृह मंत्री ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने की बात कहकर एक बार फिर से इसको लेकर बहस को गर्मी दी है। एक देश एक कानून की तर्ज़ पर सभी लोगों में नागरिकों को एक समान अधिकार देने की मांग हो रही है। इस कोड को लेकर सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट उत्तराखंड में लागू करने की तैयारी है।

पिछले कुछ दिनों में यूनिफॉर्म सिविल कोड खबरों में काफी हिस्सा रहा है। इस मुद्दे ने देश की सियासत को 2 भागों में बाँट दिया है। इसे लेकर फैले डर की वजह से ज्यादातर लोगों ने इसको लेकर सच को जानने की कोशिश नहीं की। इसी बीच सरकार ने गुजरात के विधानसभ चुनाव की तारीखों की घोषणा होने से पहले ही इसको लागू करने का निर्णय सुना दिया है। भारत के पडोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं मलेशिया में यूनियन सिविल कोड लागू हो चुका है। अब हमारे देश में भी कॉमन सिविल कोड पारित हो सकती है। गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल दौरे पर इस कानून के लिए संकेत दिए है।

इस कानून से सभी धर्मों के नागरिक बराबर प्रभावित होंगे। इस कोड (uniform civil code) के पास हो जाने के बाद नागरीको के लिए शादी, तलाक़, बच्चा एडॉप्शन में, प्रॉपर्टी के बँटवारें में आदि मामलों में एक जैसे नियम लागू होंगे। हमारे देश में इस कोड को लेकर एक लम्बे समय से चर्चाओं का दौर चल रहा है। जब किसी राज्य में इसको पारित करने की बात आती है तो इसका पुरजोर विरोध भी होता है। इस लेख में आपको यूनिफॉर्म सिविल कोड को जानने का मौका मिलेगा, यदि आप लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ते है।

यूनियन सिविल कोड का इतिहास

साल 1948 के नवंबर महीने में दिल्ली के संसद भवन में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए विमर्श हो रहा था। इस बहस में प्रमुख बात यह थी कि UCC को भारतीय संविधान में जोड़ा जाए अथवा नहीं। 23 नवंबर 1948 के दिन इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका था। लेकिन इतना वक्त गुजर जाने के बाद भी सरकार अब इस कोड को पारित करने का मन बना रही है। चूँकि एक देश, एक कानून विचार नेताओं एवं नागरिकों के जहन में आ रहा है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

यूनिफॉर्म सिविल कोड़ का सरल सा अर्थ है देश के सभी नागरिको के लिए एक जैसा कानून। नागरिक किसी भी धर्म, जाति एवं समुदाय से सम्बंधित हो। कोई भी प्रदेश सरकार इस नियम को अपने यहाँ पारित करती है तो यह सभी नागरिकों पर एक बराबर मान्य होगा। इस कोड का मूल उद्देश्य प्रत्येक धर्म के पर्सनल लॉ को एक रूपता देना है। इस समय हमारे देश के विभिन्न धर्मों में अलग-अलग पर्सनल कानून है। जैसे उदहारण के लिए हिन्दुओं के लिए अलग एक्ट, मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के पारित होने के बाद प्रत्येक धर्म का एक जैसा कानून होगा।

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्यों जरुरी है?

इसके अलावा विभिन्न धर्मों के लिए अलग कानून होने से न्यायपालिका पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इस प्रकार की समस्या का समाधान होगा और अब न्यायपालिका में मामलों पर निर्णय जल्द हो सकेंगे। आईआईएमटी में मिडिया विभाग के HOD डॉ निरंजन कुमार बताते है कि सभी लोगों के लिए कानून में एक रूपता आने वाली है। इस वजह से सामाजिक एकता में बढ़ोत्तरी होगी। उनके मुताबिक इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जहाँ पर प्रत्येक नागरिक को समानता मिलती यह उस देश की उन्नति तेजी से होती है। विभिन्न देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लगा है।

गैलगोटियस यूनिवर्सिटी के मिडिया शिक्षक डॉ भवानी शंकर बताते है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष छवि वाला देश है। इस प्रकर से कानून और धर्म एक एक दूसरे कोई मतलब नहीं है। सभी नागरिकों के साथ धर्म से हटकर समान व्यवहार लागु होना जरुरी है।

विरोध क्यों हो रहा है?

इसका विरोध करने वाले भी पीछे नहीं है, उनमें सबसे आगे रहते है – मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड। ये इस कोड का यह कहकर विरोध करते रहे है कि यह सभी धर्मों पर हिन्दू कानून को थोपने जैसा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि यदि सबके ऊपर समान कानून पारित किया गया तो उनके अधिकारों का हनन होने वाला है।

उच्चतम न्यायालय ने कब क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट की ओर से बहुत बार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर टिप्पणी आ चुकी है। कोर्ट ने विभिन्न केसों का उदहारण देकर इस विषय पर अपने तर्क रखें है।

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कोड के पक्ष में याचिका दायर हुई

कार्यकर्त्ता अश्विनी उपाध्याय ने UCC को पारित करने के पक्ष में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका डाली है। इस याचिका में उनका कहना है कि देश एक संविधान से चलता है। एक ऐसा विधान जो ससभी धर्मों एवं वर्गों पर एक बराबर मान्य हो। और किसी पंथ निरपेक्ष देश में धार्मिकता के अनुसार विभिन्न कानून नहीं होते है। भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

UCC को सबसे पहले उत्तराखंड में लाने की तैयारी

सर्वप्रथम कॉमन सिविल कोड को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उत्तराखंड में लाने की तैयारी है। इसके लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया जा चुका है। किन्तु जो इसमें रह गया है उसको भी सुधार लिया जायेगा।

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