जब नहीं थीं बर्फ जमाने की मशीनें तब ड्रिंक्स में कैसे आइस क्यूब मिलाते थे राजा-महाराजा
क्या आपने कभी सोचा कि प्राचीन भारत में जब बर्फ जमाने की ना तो मशीनें थीं और ना ही उन्हें लंबे समय तक स्टोर कर पाने के साधन तो उस समय देश में बर्फ का इस्तेमाल कैसे होता रहा होगा
भारत में बर्फ कैसे आई. प्राचीन भारत में राजा और महाराजा कैसे इसको मंगवाते थे. फिर मुगल बादशाह कैसे इसका इस्तेमाल करते थे, इसकी कहानी काफी दिलचस्प है.
राजा-महाराजा, सम्राट और धनी लोग पहाड़ों से बर्फ के टुकड़े मंगवाते थे. भारत में मुगल बादशाह हुमायूं ने 1500 में कश्मीर से बर्फ को तोड़कर उसकी सिल्लियों का आयात करना शुरू किया
राजा-महाराजाओं के अलावा मुगलों के दौर में बर्फ को पिघलने से रोकने के लिए उस पर सॉल्टपीटर (पोटेशियम नाइट्रेट) छिड़का जाता था
अकबर के शासन काल में हिमालय की वादियों से बर्फ़ लाई जाती थी. इसके लिए हाथी, घोड़ों और सिपाहियों की सहायता ली जाती थी. आगरा से हिमालय पर्वत करीब 500 मील दूर है.
बुरादे और जूट के कपड़े में लपेटकर बर्फ को हिमालय से आगरा तक पहुंचाया जाता था. दूरी बहुत होने के कारण बर्फ की बहुत बड़ी सिल्ली, आगरा पहुंचते-पहुंचते छोटी सी रह जाती थी
मुगलों की भांति महाराजा रणजीत सिंह भी हिमालय से बर्फ मंगवाया करते थे. अंग्रेजो को बर्फ मंगवाने को यह तरीका बहुत महंगा लगा. उन्होंने दिल्ली में ही बर्फ जमाने का प्रबंध कर लिया
दिल्ली गेट से तुर्कमान गेट तक खंदकें खोदकर उनमें नमक मिला पानी भर कर टाट और भूसे की मदद से सर्दियों में बर्फ की पपड़ी तैयार की जाती थी जिसे विशेष गड्ढों से गर्मियों तक सुरक्षित रखा जाता था.